जालोर. जिला मुख्यालय से भीनमाल जाने वाले सड़क मार्ग पर 10 किमी दूरी पर धानपुर गांव स्थित है. यहां पर बना आशापुरा माता का मंदिर पूरे देश मे विख्यात है. इस मंदिर की बड़ी रोचक कहानी है. इस मंदिर की शुरुआत सैंकड़ों साल पहले हुई थी. अब मान्यता यह है कि जो भी व्यक्ति इस मंदिर में आकर मन्नत मांगता है वो पूरी होती है. इसके लिए सैकड़ों की संख्या में लोग मंदिर आते हैं. खास कर नवरात्रि में यहां पर 9 दिन तक विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होता है. अलग-अलग कलाकारों का परफार्मेंस होता है, जिसे देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग आते हैं.
ऐसे हुई मंदिर के नींव की शुरुआत
सैंकड़ों साल पहले धानपुर गांव में लिखमीचंद भंडारी का परिवार रहता था. गांव के तालाब के पास आशापुरा माता का छोटा सा मंदिर हुआ करता था. जिसमें लिखमीचंद पूजा अर्चना करते थे. गांव में रहने के कारण कोई भी लड़की का पिता अपनी बेटी की इस गांव में शादी नहीं कराना चाहता था. ऐसे में लिखमीचंद का परिवार गांव छोड़ कर बागरा गांव चले गए. लेकिन लिखमीचंद की आस्था लगातार आशापुरा मंदिर से जुड़ी रही. इस दौरान उन्होंने अपने परिवार के लड़कों की शादी की मन्नत मांगी और उनकी यह मन्नत पूरी हो गई. गांव के कुछ बुजुर्ग लोग बताते हैं कि इसी मंदिर में एक दिन आशापुरा माता ने उनकी दर्शन दिए थे, जिसके बाद लिखमीचंद ने भव्य मंदिर बनाने का सोचा.
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जिसके बाद लिखमीचंद ने मुख्य रोड पर मंदिर के लिए जमीन 5 हजार रुपए में खरीदी. उसी जगह पर मंदिर बनाने की नींव रखी गई. मंदिर बनने के समय भी बहुत हुए विघ्न भंडारी भाईपा परिवार की ओर से जमीन लेकर मंदिर बनाने की कोशिश शुरू की गई. भंडारी समाज के सभी लोगों ने इसमें सहयोग भी किया. लेकिन मंदिर के निर्माण में कुछ ना कुछ विघ्न आता गया. इस दौरान मंदिर के निर्माण कार्य करने वाले मुख्य कारीगर की मौत हो गई थी. उसके बाद मूर्ति बनाने वाले कारीगर की भी अचानक मौत हो गई थी. इस दौरान काम लम्बे समय तक बंद पड़ा रहा. जब काम वापस शुरू करवाया तो भंडारी भाईपा समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति की मौत हो गई. लगातार ऐसी घटनाओं के बाद क्षेत्र में भय व्याप्त हो गया. लेकिन अंत में आखिर मंदिर का निर्माण पूरा हुआ.
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हर मन्नत होती है पूरी
नवरात्रि स्पेशल को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने आशापुरा मंदिर का दौरा किया. इस दौरान मंदिर में आरती का आयोजन हो रहा था. मंदिर में मौजूद ईश्वर सिंह ने बताया कि मंदिर में आशापुरा माता जी से जो भी मन्नत मांगते है, तो पूरी होती है. उन्होंने बताया कि मंदिर बनने के बाद में रोज मंदिर आते हैं. माता की कृपा से वे एक बार गांव का सरपंच बन चुके हैं.