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स्पेशल रिपोर्ट: एक ऐसा मंदिर जहां दर्शन करने से होती है हर मनोकामना पूरी - मनोकामना पूरी

जालोर के धानपुर गांव में आशापुरा माता का भव्य मंदिर है. यहां हर नवरात्रि को शानदार कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. जिसमें देशभर के ख्यातिप्राप्त कलाकार शिरकत करते है. इस मंदिर की मान्यता है कि कोई भी व्यक्ति इस मंदिर में आकर मन्नत मांगता है, तो उसकी मन्नत पूरी होती है.

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Published : Sep 23, 2019, 11:48 AM IST

Updated : Sep 23, 2019, 12:19 PM IST

जालोर. जिला मुख्यालय से भीनमाल जाने वाले सड़क मार्ग पर 10 किमी दूरी पर धानपुर गांव स्थित है. यहां पर बना आशापुरा माता का मंदिर पूरे देश मे विख्यात है. इस मंदिर की बड़ी रोचक कहानी है. इस मंदिर की शुरुआत सैंकड़ों साल पहले हुई थी. अब मान्यता यह है कि जो भी व्यक्ति इस मंदिर में आकर मन्नत मांगता है वो पूरी होती है. इसके लिए सैकड़ों की संख्या में लोग मंदिर आते हैं. खास कर नवरात्रि में यहां पर 9 दिन तक विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होता है. अलग-अलग कलाकारों का परफार्मेंस होता है, जिसे देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग आते हैं.

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धानपुर का यह भव्य मंदिर मनोकामनाओं को करता है पूरी

ऐसे हुई मंदिर के नींव की शुरुआत

सैंकड़ों साल पहले धानपुर गांव में लिखमीचंद भंडारी का परिवार रहता था. गांव के तालाब के पास आशापुरा माता का छोटा सा मंदिर हुआ करता था. जिसमें लिखमीचंद पूजा अर्चना करते थे. गांव में रहने के कारण कोई भी लड़की का पिता अपनी बेटी की इस गांव में शादी नहीं कराना चाहता था. ऐसे में लिखमीचंद का परिवार गांव छोड़ कर बागरा गांव चले गए. लेकिन लिखमीचंद की आस्था लगातार आशापुरा मंदिर से जुड़ी रही. इस दौरान उन्होंने अपने परिवार के लड़कों की शादी की मन्नत मांगी और उनकी यह मन्नत पूरी हो गई. गांव के कुछ बुजुर्ग लोग बताते हैं कि इसी मंदिर में एक दिन आशापुरा माता ने उनकी दर्शन दिए थे, जिसके बाद लिखमीचंद ने भव्य मंदिर बनाने का सोचा.

जालोर में है आशापुरा माता का भव्य मंदिर

पढे़ं- खींवसर उप चुनाव : भाजपा कार्यकर्ताओं ने पार्टी नेताओं के सामने रखी अपने 'मन की बात'

जिसके बाद लिखमीचंद ने मुख्य रोड पर मंदिर के लिए जमीन 5 हजार रुपए में खरीदी. उसी जगह पर मंदिर बनाने की नींव रखी गई. मंदिर बनने के समय भी बहुत हुए विघ्न भंडारी भाईपा परिवार की ओर से जमीन लेकर मंदिर बनाने की कोशिश शुरू की गई. भंडारी समाज के सभी लोगों ने इसमें सहयोग भी किया. लेकिन मंदिर के निर्माण में कुछ ना कुछ विघ्न आता गया. इस दौरान मंदिर के निर्माण कार्य करने वाले मुख्य कारीगर की मौत हो गई थी. उसके बाद मूर्ति बनाने वाले कारीगर की भी अचानक मौत हो गई थी. इस दौरान काम लम्बे समय तक बंद पड़ा रहा. जब काम वापस शुरू करवाया तो भंडारी भाईपा समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति की मौत हो गई. लगातार ऐसी घटनाओं के बाद क्षेत्र में भय व्याप्त हो गया. लेकिन अंत में आखिर मंदिर का निर्माण पूरा हुआ.

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माता की कृपा से हर दु:ख दूर हो जाते हैं

पढ़ें- नागौर : स्कूल संचालक ने दिव्यांग महिला से किया दुष्कर्म, पुलिस पर रिपोर्ट दर्ज नहीं करने के आरोप

हर मन्नत होती है पूरी

नवरात्रि स्पेशल को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने आशापुरा मंदिर का दौरा किया. इस दौरान मंदिर में आरती का आयोजन हो रहा था. मंदिर में मौजूद ईश्वर सिंह ने बताया कि मंदिर में आशापुरा माता जी से जो भी मन्नत मांगते है, तो पूरी होती है. उन्होंने बताया कि मंदिर बनने के बाद में रोज मंदिर आते हैं. माता की कृपा से वे एक बार गांव का सरपंच बन चुके हैं.

जालोर. जिला मुख्यालय से भीनमाल जाने वाले सड़क मार्ग पर 10 किमी दूरी पर धानपुर गांव स्थित है. यहां पर बना आशापुरा माता का मंदिर पूरे देश मे विख्यात है. इस मंदिर की बड़ी रोचक कहानी है. इस मंदिर की शुरुआत सैंकड़ों साल पहले हुई थी. अब मान्यता यह है कि जो भी व्यक्ति इस मंदिर में आकर मन्नत मांगता है वो पूरी होती है. इसके लिए सैकड़ों की संख्या में लोग मंदिर आते हैं. खास कर नवरात्रि में यहां पर 9 दिन तक विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होता है. अलग-अलग कलाकारों का परफार्मेंस होता है, जिसे देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग आते हैं.

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धानपुर का यह भव्य मंदिर मनोकामनाओं को करता है पूरी

ऐसे हुई मंदिर के नींव की शुरुआत

सैंकड़ों साल पहले धानपुर गांव में लिखमीचंद भंडारी का परिवार रहता था. गांव के तालाब के पास आशापुरा माता का छोटा सा मंदिर हुआ करता था. जिसमें लिखमीचंद पूजा अर्चना करते थे. गांव में रहने के कारण कोई भी लड़की का पिता अपनी बेटी की इस गांव में शादी नहीं कराना चाहता था. ऐसे में लिखमीचंद का परिवार गांव छोड़ कर बागरा गांव चले गए. लेकिन लिखमीचंद की आस्था लगातार आशापुरा मंदिर से जुड़ी रही. इस दौरान उन्होंने अपने परिवार के लड़कों की शादी की मन्नत मांगी और उनकी यह मन्नत पूरी हो गई. गांव के कुछ बुजुर्ग लोग बताते हैं कि इसी मंदिर में एक दिन आशापुरा माता ने उनकी दर्शन दिए थे, जिसके बाद लिखमीचंद ने भव्य मंदिर बनाने का सोचा.

जालोर में है आशापुरा माता का भव्य मंदिर

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जिसके बाद लिखमीचंद ने मुख्य रोड पर मंदिर के लिए जमीन 5 हजार रुपए में खरीदी. उसी जगह पर मंदिर बनाने की नींव रखी गई. मंदिर बनने के समय भी बहुत हुए विघ्न भंडारी भाईपा परिवार की ओर से जमीन लेकर मंदिर बनाने की कोशिश शुरू की गई. भंडारी समाज के सभी लोगों ने इसमें सहयोग भी किया. लेकिन मंदिर के निर्माण में कुछ ना कुछ विघ्न आता गया. इस दौरान मंदिर के निर्माण कार्य करने वाले मुख्य कारीगर की मौत हो गई थी. उसके बाद मूर्ति बनाने वाले कारीगर की भी अचानक मौत हो गई थी. इस दौरान काम लम्बे समय तक बंद पड़ा रहा. जब काम वापस शुरू करवाया तो भंडारी भाईपा समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति की मौत हो गई. लगातार ऐसी घटनाओं के बाद क्षेत्र में भय व्याप्त हो गया. लेकिन अंत में आखिर मंदिर का निर्माण पूरा हुआ.

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माता की कृपा से हर दु:ख दूर हो जाते हैं

पढ़ें- नागौर : स्कूल संचालक ने दिव्यांग महिला से किया दुष्कर्म, पुलिस पर रिपोर्ट दर्ज नहीं करने के आरोप

हर मन्नत होती है पूरी

नवरात्रि स्पेशल को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने आशापुरा मंदिर का दौरा किया. इस दौरान मंदिर में आरती का आयोजन हो रहा था. मंदिर में मौजूद ईश्वर सिंह ने बताया कि मंदिर में आशापुरा माता जी से जो भी मन्नत मांगते है, तो पूरी होती है. उन्होंने बताया कि मंदिर बनने के बाद में रोज मंदिर आते हैं. माता की कृपा से वे एक बार गांव का सरपंच बन चुके हैं.

Intro:जिला मुख्यालय से मात्र 10 किमी दूर स्थित धानपुर गांव में आशापुरा माता का भव्य मंदिर भंडारी भाईपा समाज द्वारा बनाया गया है। इस मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद यहां हर नवरात्रि को शानदार कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। जिसमें देशभर के ख्यातिप्राप्त कलाकार शिरकत करते है। इस मंदिर की मान्यता है कि कोई भी व्यक्ति इस मंदिर में आकर मन्नत मांगता है तो उसकी पूरी होती है।


Body:नागणेच्यां माता का मंदिर बनाने के बाद ही आशापुरा माता का मंदिर हुआ पूरा, पहले कई बार मंदिर निर्माण में पड़ा विघ्न जालोर जिला मुख्यालय से भीनमाल जाने वाले सड़क मार्ग पर 10 किमी दूर स्थित धानपुर गांव का आशापुरा माता का मंदिर पूरे देश मे विख्यात है। इस मंदिर की बड़ी रोचक कहानी है। इस मंदिर की शुरुआत सैंकड़ों वर्षों पूर्व में हुई थी। उसके बाद अब मान्यता यह है कि जो भी व्यक्ति इस मंदिर में आकर मन्नत मांगता है वो पूरी होती है। इसके लिए सेंकड़ों की संख्या में लोग मंदिर आते है। खास कर नवरात्रा में यहां पर 9 दिन ही अलग अलग कलाकारों का परफार्मेंस होता है। जिससे देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग आते है। ऐसे हुई मंदिर के नीव की शुरुआत सैंकड़ों वर्षों पूर्व धानपुर गांव में लिखमीचंद भंडारी का परिवार रहता था। गांव की तालाब के पास आशापुरा माता का छोटा मंदिर हुआ करता था। जिसमें लिखमीचंद पूजा अर्चना करते थे। गांव में रहने के कारण कोई भी लड़की का पिता अपनी बेटी को गांव में देना नहीं चाहता था। ऐसे में लिखमीचंद का परिवार गांव छोड़ कर बागरा गांव में बस गए, लेकिन लिखमीचंद की आस्था लगातार आशापुरा मंदिर से जुड़ी रही। इस दौरान उन्होंने अपने परिवार के लड़कों की शादी की मन्नत मांगी और यह मन्नत उनकी पूरी हो गई। गांव के कुछ बुजुर्ग लोग बताते है कि इसी मंदिर में एक दिन आशापुरा माता ने उनकी दर्शन दिए थे। जिसके बाद लिखमीचंद ने भव्य मंदिर बनाने का सोचा ओर इसकी कोशिश में लग गए। उन्होंने यह बात बागरा के ठाकुर गंगासिंह को बताई तो उन्होंने गांव में मंदिर के लिए जमीन देने की बात रखी, लेकिन लिखमीचंद चाहते थे कि मंदिर मुख्य रोड पर बनाया जाए ताकि आने जाने वाले यात्रियों को भी फायदा मिल सके। जिसके कारण इन्होंने ठाकुर गंगासिंह को मंदिर धानपुर गांव की सरहद में मुख्य रोड पर बनाने बात कहीं। जिसके बाद मुख्य रोड पर मंदिर के लिए जमीन 5 हजार रुपए में खरीदी और उसी जगह पर मंदिर बनाने की नींव रखी गई। मंदिर बनने के समय भी बहुत हुए विघ्न भंडारी भाईपा परिवार की ओर से जमीन लेकर मंदिर बनाने की कोशिश शुरू की गई और भंडारी समाज के सभी लोगों ने इसमें सहयोग भी किया, लेकिन मंदिर के निर्माण में कुछ ना कुछ विघ्न आता गया। इस दौरान मंदिर के निर्माण कार्य करने वाले मुख्य कारीगर की मौत हो गई थी। उसके बाद मूर्ति बनाने वाले कारीगर की भी अचानक मौत हो गई थी। इस दौरान काम लम्बे समय तक बंद पड़ा रहा। में वापस शुरू करवाया तो भंडारी भाईपा समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति की मौत हो गई। लगातार ऐसी घटनाओं के बाद एक बार भय व्याप्त हो गया। गांव के लोगों में से किसी ने बताया कि यहां पर सदियों पूर्व गांव था और उनके नाग व नागिन का मंदिर था। ऐसे में आप मंदिर में नागणेच्यां माता का मंदिर बनाओ। इस पर भंडारी भाईपा समाज के लोगों ने आशापुरा माता के मंदिर से पीछे नागणेच्यां माता का मंदिर बनाया गया। जिसके बाद बिना किसी विघ्न के आशापुरा माता का मंदिर पुरा हो गया। उसके बाद 13 फरवरी 2009 में मंदिर की प्रतिष्ठा की गई। उसके बाद अब लगातार नवरात्रा में कार्यक्रम आयोजित होते है। हर मन्नत पूरी होती है - ईश्वर सिंह नवरात्रा स्पेशल को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने आशापुरा मंदिर का दौरा किया इस दौरान मंदिर में आरती का आयोजन हो रहा था। मंदिर में मौजूद ईश्वर सिंह ने बताया कि मंदिर में आशापुरा माता जी से जो भी मन्नत मांगते है तो पूरी होती है। उन्होंने बताया कि मंदिर बनने के बाद में रोज़ मंदिर आते है। उन्होंने बताया कि माता के कृपया से में एक बार गांव का सरपंच बन गया है। वहीं हर काम हो जाता है। गांव में भी बना हुआ है आशापुरा माता का मंदिर मंदिर के लोगों ने बताया की जिस जगह मंदिर सैंकड़ों साल पहले बना हुआ था। उस जगह भी भंडारी भाईपा समाज के लोगों ने छोटा मंदिर बना रखा है। यहां से आ सकते है मंदिर तक आशापुरा मंदिर में श्रद्धालु मुम्बई, बेंगलुरु या चेन्नई से आते है तो फ्लाइट में जोधपुर उतर कर वाया रोहट, भाद्राजून होते हुए जालोर से धानपुर मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।इसके अलावा ट्रैन से आने के लिए तो जालोर तक ट्रेन आती है। वहा से मात्र 10 किमी दूर भीनमाल रोड पर मंदिर स्थित है। ऐसे में यहां से टैक्सी लेकर भी मंदिर तक जा सकते है।


Conclusion:नवरात्रि की लेकर खबर राजेश जी वालिया सर ने मांगी है। उन्होंने बोला है कि खबर बिना वीओ करके भेजनी है। ऐसे में बिना वीओ करके भेज रहा हु।
Last Updated : Sep 23, 2019, 12:19 PM IST
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