जैसलमेर. देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए मुस्तैदी के साथ डटे रहने वाले सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों और जवानों ने (BSF worshipped weapons in Jaisalmer) विजयादशमी के मौके पर विधि-विधान के साथ शस्त्र पूजन किया. इस दिन तीनों सेनाओं, पैरामिलिट्री फोर्स के बटालियन परिसर में कार्यक्रम आयोजित कर शस्त्रों की पूजा की जाती है. ऐसा ही कार्यक्रम जैसलमेर की सम रोड स्थित सीमा सुरक्षा बल की 1022 तोपखाना रेजिमेंट के परिसर में आयोजित हुआ.
1022 बीएसएफ तोपखाना रेजिमेंट कमांडेंट एस. एस. पंवार ने बताया ने कि अस्त्र-शस्त्रों को सामने रखकर पूजा करने की परंपरा रामायण और महाभारत काल (BSF worshipped weapons on Dussehra) से चली आ रही है. हमारी BSF आज भी इस परंपरा को निभाती है और हर साल विजयादशमी के दिन अस्त्र-शस्त्र की पूजा की जाती है. इस पूजा में सबसे पहले मां दुर्गा की दोनों योगनियां जया और विजया की पूजा होती है और फिर शस्त्रों को पूजा जाता है. इस पूजा का उद्देश्य सीमा की सुरक्षा के लिए देवी का आशीर्वाद प्राप्त करना है.
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शस्त्र पूजा के बाद शस्त्रों को इकट्ठा किया जाता है फिर उनपर गंगाजल छिड़का जाता है. इसके बाद सभी शस्त्रों को हल्दी व कुमकुम का तिलक लगाकर फूल अर्पित किया जाता है. सीमा सुरक्षा बल के सेक्टर और बटालियनों में स्थापित मंदिरों में पारंपरिक रूप से काम आने वाले शस्त्रों का मंत्रोच्चारण के साथ पूजन करवाया गया. इस दौरान बल के आला अधिकारियों के साथ बड़ी संख्या में जवान शरीक हुए. मान्यताओं के अनुसार रामायण काल से ही शस्त्र पूजा की परंपरा चली (Tradition of Weapon Worship) आ रही है. भगवान राम ने भी रावण से युद्ध करने से पहले शस्त्र पूजा की थी.