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स्वर्णनगरी का पर्यटन व्यवसाय चौपट, 'पावणो' की बाट जोह रहे व्यवसायी

कोरोना काल में सबसे बड़ा नुकसान पर्यटन को हुआ है. लॉकडाउन खुलने के बाद भी पर्यटन के व्यवसाय में इजाफा नहीं हो पाया है. महामारी के डर से अभी लोगों का घूमना शुरू नहीं हुआ है. ऐसे में हर किसी के मन में एक ही सवाल है कि कब आएंगे सैलानी?

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व्यवसायियों की चिंता
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Published : Aug 21, 2020, 7:57 PM IST

जैसलमेर. कोरोना ने जहां शुरुआत में ही पर्यटन को झटका दे दिया था वहीं अब इस सीजन की शुरुआत भी पिटती दिख रही है. जुलाई माह में आम तौर पर सैलानियों की आवक शुरू हो जाती है लेकिन इस बार जुलाई में पर्यटक नहीं आए. वहीं सीजन का दूसरा महीना भी खाली जा रहा है. ऐसे में पर्यटन व्यवसायियों की चिंता बढ़ती जा रही है.

कब आएंगे "पावणे"

वहीं सरकार और प्रशासन की तरफ से सैलानियों को आकर्षित करने के किसी तरह के प्रयास नहीं हो रहे हैं. एक तरफ तो सरकार कोरोना के साथ जीना सीखने की बातें कर रही है तो दूसरी तरफ कोरोना के साथ सैलानियों का जैसलमेर पहुंचना मुश्किल ही लग रहा है. कोरोना के साथ सैलानियों को यहां बुलाने के लिए कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. अभी तक ट्रेनें शुरू होने का कोई शेड्यूल भी जारी नहीं हुआ है. 12 अगस्त तक ट्रेनें रद्द कर दी गई थी. उसके बाद नई ट्रेनें शुरू करने को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया है. यदि ट्रेनों का संचालन शुरू होता है तो पर्यटकों के आने की उम्मीद बनेगी.

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खाली पड़ी ऐतिहासिक इमारतें

परिस्थितियों को देखते हुए पर्यटन व्यवसायियों के मन में सिर्फ एक ही सवाल है कि सैलानी कब आने शुरू होंगे. जुलाई व अगस्त माह खत्म होने को है और सैलानी जैसलमेर नहीं पहुंचे हैं. पर्यटन व्यवसायी यही उम्मीद लगाए बैठे हैं कि आगामी सितंबर व अक्टूबर माह में सैलानियों की आवक शुरू हो जाएगी तो राहत मिल जाएगी.

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पर्यटकों के इंतजार में बैठा व्यवसायी

पर्यटन व्यवसायियों का कहना है कि जैसलमेर शहर की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर ही निर्भर करती है. ऐसा माना जा रहा है कि यदि पूरा सीजन ऐसा रहा तो सब कुछ चौपट हो जाएगा. बाजार में पैसे की आवक थम जाएगी और हर व्यवसाय में मंदी छा जाएगी. इतना ही नहीं पर्यटन पर सीधे तौर पर निर्भर हजारों परिवारों पर रोजी रोटी पर संकट गहरा जाएगा. पर्यटन व्यवसायी मानते हैं कि कैसे भी कर आगामी अक्टूबर - नवंबर की सीजन तक पर्यन की शुरुआत हो तो सब कुछ पटरी पर आ सकता है.

गत सालों में अगस्त माह में जैसलमेर में आए सैलानी-

वर्ष देशी विदेशी
2015 14830 3380
2016 25620 4270
2017 35740 9230
2018 42411 10803
2019 163545992

जैसलमेर में ऐसा है पयर्टन व्यवसाय

  • जैसलमेर में करीब 200 से अधिक होटल है
  • 100 से अधिक सम व खुहड़ी में रिसोर्ट
  • सालाना 8 से 10 लाख पर्यटक आते हैं
  • 1 हजार करोड़ का टर्न ओवर सालाना पर्यटन से
  • 5 हजार परिवार सीधे तौर पर पर्यटन पर निर्भर
  • कोरोना से अब तक सर्वाधिक नुकसान पर्यटन व्यवसाय पर

सरकार से नहीं मिल रही राहत...

पर्यटन को कोरोना काल में सरकार से किसी भी तरह की राहत नहीं मिली है. पर्यटन व्यवसायी कई बार मांग कर चुके हैं लेकिन अब तक सरकार ने उन्हें राहत नहीं दी है. न तो किसी तरह के बिजली के बिलों में राहत दी गई है और न ही अन्य किसी तरह की व्यवस्था की जा रही है. सम व खुहड़ी के धोरों में अब तक रिसोर्ट शुरू हो जाते थे लेकिन इस बार नहीं हुए. शहर की होटलों व रेस्टोरेंट्स पर ताले लगे हैं. व्यावसायी बस राहत के इंतजार में बैठे हैं.

जैसलमेर. कोरोना ने जहां शुरुआत में ही पर्यटन को झटका दे दिया था वहीं अब इस सीजन की शुरुआत भी पिटती दिख रही है. जुलाई माह में आम तौर पर सैलानियों की आवक शुरू हो जाती है लेकिन इस बार जुलाई में पर्यटक नहीं आए. वहीं सीजन का दूसरा महीना भी खाली जा रहा है. ऐसे में पर्यटन व्यवसायियों की चिंता बढ़ती जा रही है.

कब आएंगे "पावणे"

वहीं सरकार और प्रशासन की तरफ से सैलानियों को आकर्षित करने के किसी तरह के प्रयास नहीं हो रहे हैं. एक तरफ तो सरकार कोरोना के साथ जीना सीखने की बातें कर रही है तो दूसरी तरफ कोरोना के साथ सैलानियों का जैसलमेर पहुंचना मुश्किल ही लग रहा है. कोरोना के साथ सैलानियों को यहां बुलाने के लिए कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. अभी तक ट्रेनें शुरू होने का कोई शेड्यूल भी जारी नहीं हुआ है. 12 अगस्त तक ट्रेनें रद्द कर दी गई थी. उसके बाद नई ट्रेनें शुरू करने को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया है. यदि ट्रेनों का संचालन शुरू होता है तो पर्यटकों के आने की उम्मीद बनेगी.

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परिस्थितियों को देखते हुए पर्यटन व्यवसायियों के मन में सिर्फ एक ही सवाल है कि सैलानी कब आने शुरू होंगे. जुलाई व अगस्त माह खत्म होने को है और सैलानी जैसलमेर नहीं पहुंचे हैं. पर्यटन व्यवसायी यही उम्मीद लगाए बैठे हैं कि आगामी सितंबर व अक्टूबर माह में सैलानियों की आवक शुरू हो जाएगी तो राहत मिल जाएगी.

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पर्यटकों के इंतजार में बैठा व्यवसायी

पर्यटन व्यवसायियों का कहना है कि जैसलमेर शहर की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर ही निर्भर करती है. ऐसा माना जा रहा है कि यदि पूरा सीजन ऐसा रहा तो सब कुछ चौपट हो जाएगा. बाजार में पैसे की आवक थम जाएगी और हर व्यवसाय में मंदी छा जाएगी. इतना ही नहीं पर्यटन पर सीधे तौर पर निर्भर हजारों परिवारों पर रोजी रोटी पर संकट गहरा जाएगा. पर्यटन व्यवसायी मानते हैं कि कैसे भी कर आगामी अक्टूबर - नवंबर की सीजन तक पर्यन की शुरुआत हो तो सब कुछ पटरी पर आ सकता है.

गत सालों में अगस्त माह में जैसलमेर में आए सैलानी-

वर्ष देशी विदेशी
2015 14830 3380
2016 25620 4270
2017 35740 9230
2018 42411 10803
2019 163545992

जैसलमेर में ऐसा है पयर्टन व्यवसाय

  • जैसलमेर में करीब 200 से अधिक होटल है
  • 100 से अधिक सम व खुहड़ी में रिसोर्ट
  • सालाना 8 से 10 लाख पर्यटक आते हैं
  • 1 हजार करोड़ का टर्न ओवर सालाना पर्यटन से
  • 5 हजार परिवार सीधे तौर पर पर्यटन पर निर्भर
  • कोरोना से अब तक सर्वाधिक नुकसान पर्यटन व्यवसाय पर

सरकार से नहीं मिल रही राहत...

पर्यटन को कोरोना काल में सरकार से किसी भी तरह की राहत नहीं मिली है. पर्यटन व्यवसायी कई बार मांग कर चुके हैं लेकिन अब तक सरकार ने उन्हें राहत नहीं दी है. न तो किसी तरह के बिजली के बिलों में राहत दी गई है और न ही अन्य किसी तरह की व्यवस्था की जा रही है. सम व खुहड़ी के धोरों में अब तक रिसोर्ट शुरू हो जाते थे लेकिन इस बार नहीं हुए. शहर की होटलों व रेस्टोरेंट्स पर ताले लगे हैं. व्यावसायी बस राहत के इंतजार में बैठे हैं.

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