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जैसलमेर : दीपावली पर इस बार घर-घर जगमगाएंगे गोबर से बने दीये...

जैसलमेर में इस साल दिवाली के अवसर पर गोबर के दीये बनाए जा रहे हें. ये दीये पर्यावरण को शुद्ध और प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए काफी उपयोगी साबित होंगे. शहर में राष्ट्रीय कामधेनु आयोग द्वारा गोबर से बने दीपकों के विक्रय के लिए विभिन्न जगहों पर काउंटर लगाए जाएंगे.

दिवाली पर गोबर से बने दीये, Diyas made of cow dung on Diwali
दिवाली पर गोबर से बने दीये
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Published : Oct 30, 2020, 4:49 PM IST

जैसलमेर. जिले में इस बार वातावरण को शुद्ध रखने के लिए प्रदेश में गाय के गोबर से बने दीये जगमगाएंगे. इसके लिए राष्ट्रीय कामधेनु आयोग द्वारा पूरे देश में 11 करोड़ परिवारों को गोबर से बने दीयों के अभियान से जोड़ा जाएगा. इस कड़ी में जैसलमेर में भी लोगों ने तैयारी कर ली है. बता दें कि दीपावली पर जैसलमेर शहर में राष्ट्रीय कामधेनु आयोग द्वारा गोबर से बने दीपकों के विक्रय के लिए विभिन्न जगहों पर काउंटर लगाए जाएंगे. जहां लागत मूल्य पर आमजन को दीपक मुहैया करवाए जाएंगे.

दिवाली पर गोबर से बने दीये

इस बार दीपावली पर गाय के गोबर से बने दीपकों को प्रज्ज्वलित किया जाएगा और शहर में अधिक से अधिक घरों में इन दीयों की रोशनी होगी. वहीं दूसरी तरफ गोबर से बने दीपक में घी मिलने से इससे निकलने वाला धुंआ भी वातावरण के लिए बेहद फायदेमंद रहेगा और गोबर से बने दीपक से वातावरण में शुद्धता होगी. इस अभियान के तहत विभिन्न गौशालाओं में यह दीपक तैयार करवाएं जा रहे है. 11 दीपक एक साथ मिलेंगे. जिसकी कीमत 25 रुपए तय की गई है. इसके साथ ही इसके साथ रूई से बनी फूल बाती भी साथ में दी जाएगी. इन गोबर से बने दीपकों से होने वाली आय को गौशाला गौवंश के लिए ही खर्च किया जाएगा.

इस अभियान से जुड़े मानव व्यास ने बताया कि वातावरण को शुद्ध रखने के लिए इस बार दीपावली पर गोबर से बने दीपक जलाने की तैयारी की जा रही है और इसके लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों तक यह सुलभ उपलब्ध हो उसके लिए विस्तृत कार्ययोजना बनाई जा रही है. उन्होंने कहा कि इस बार जैसलमेर में 5 से 6 हजार दीये बनाने का लक्ष्य है. जिससे 500 से 600 परिवार तक हम पहुंचेंगे. उन्होंने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य आमजन को गाय के साथ भावनात्मक रूप से जोड़ना है.

पढ़ेंः सरकार की घोषणाओं से असंतुष्ट गुर्जर आंदोलन पर अड़े, करौली और भरतपुर में इंटरनेट सेवाएं बंद

उन्होंने कहा कि इस बार केवल एक मशीन से यहां उत्पादन हो रहा है और आगामी वर्ष में हमारा लक्ष्य होगा की हम 20 से 25 हजार दिए बनाए. गौरतलब है कि जैसलमेर में होली के पर्व पर गोबर से बने कण्डों का उपयोग किया जाता है. इसके साथ ही विभिन्न समाजों ने भी पहल करते हुए गोबर के कण्डों का उपयोग दाह संस्कार में शुरू किया गया है.

जैसलमेर. जिले में इस बार वातावरण को शुद्ध रखने के लिए प्रदेश में गाय के गोबर से बने दीये जगमगाएंगे. इसके लिए राष्ट्रीय कामधेनु आयोग द्वारा पूरे देश में 11 करोड़ परिवारों को गोबर से बने दीयों के अभियान से जोड़ा जाएगा. इस कड़ी में जैसलमेर में भी लोगों ने तैयारी कर ली है. बता दें कि दीपावली पर जैसलमेर शहर में राष्ट्रीय कामधेनु आयोग द्वारा गोबर से बने दीपकों के विक्रय के लिए विभिन्न जगहों पर काउंटर लगाए जाएंगे. जहां लागत मूल्य पर आमजन को दीपक मुहैया करवाए जाएंगे.

दिवाली पर गोबर से बने दीये

इस बार दीपावली पर गाय के गोबर से बने दीपकों को प्रज्ज्वलित किया जाएगा और शहर में अधिक से अधिक घरों में इन दीयों की रोशनी होगी. वहीं दूसरी तरफ गोबर से बने दीपक में घी मिलने से इससे निकलने वाला धुंआ भी वातावरण के लिए बेहद फायदेमंद रहेगा और गोबर से बने दीपक से वातावरण में शुद्धता होगी. इस अभियान के तहत विभिन्न गौशालाओं में यह दीपक तैयार करवाएं जा रहे है. 11 दीपक एक साथ मिलेंगे. जिसकी कीमत 25 रुपए तय की गई है. इसके साथ ही इसके साथ रूई से बनी फूल बाती भी साथ में दी जाएगी. इन गोबर से बने दीपकों से होने वाली आय को गौशाला गौवंश के लिए ही खर्च किया जाएगा.

इस अभियान से जुड़े मानव व्यास ने बताया कि वातावरण को शुद्ध रखने के लिए इस बार दीपावली पर गोबर से बने दीपक जलाने की तैयारी की जा रही है और इसके लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों तक यह सुलभ उपलब्ध हो उसके लिए विस्तृत कार्ययोजना बनाई जा रही है. उन्होंने कहा कि इस बार जैसलमेर में 5 से 6 हजार दीये बनाने का लक्ष्य है. जिससे 500 से 600 परिवार तक हम पहुंचेंगे. उन्होंने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य आमजन को गाय के साथ भावनात्मक रूप से जोड़ना है.

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उन्होंने कहा कि इस बार केवल एक मशीन से यहां उत्पादन हो रहा है और आगामी वर्ष में हमारा लक्ष्य होगा की हम 20 से 25 हजार दिए बनाए. गौरतलब है कि जैसलमेर में होली के पर्व पर गोबर से बने कण्डों का उपयोग किया जाता है. इसके साथ ही विभिन्न समाजों ने भी पहल करते हुए गोबर के कण्डों का उपयोग दाह संस्कार में शुरू किया गया है.

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