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श्राद्ध पक्ष में यहां कुछ इस तरह से करते हैं पिंडदान

श्राद्ध पक्ष में तर्पण करने का विशेष महत्व होता है. पितृ पक्ष में सभी अपने पूर्वजों की आत्माओं की शांति के लिए पिंड दान करते हैं. ऐसे में पोकरण में भी पिछले नौ दिनों से पितृ तर्पण अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है. इसमें स्थानीय पंडितों हर दिन सुबह तालाब में खड़े होकर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पिंड दान कर रहे हैं.

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Published : Sep 25, 2019, 10:35 AM IST

पोकरण (जैसलमेर). श्राद्ध पक्ष में आत्माओं की शांति के लिए तर्पण किया जाता है. कस्बे के संच्चियाय माता मंदिर के पास गत नौ दिनों से साधोलाई तालाब पर स्थानीय श्रद्धालुओं की ओर से अपने पूर्वजों की पुण्यतिथि के दिन यह काम किया जाता है. यहां श्राद्ध पक्ष में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पितृ तर्पण कर उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की जा रही है.

पूर्वजों की आत्माओं की शांति के लिए लोग कर रहे पिंड दान

आचार्य पंडित मुकेश ओझा ने बताया कि अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए श्राद्ध पक्ष में सरोवर या नदी किनारे पितृ तर्पण का महत्व शास्त्रों में बताया गया है. ऐसी मान्यता है कि श्राद्ध पक्ष के दौरान आज तक दिवंगत हुई आत्माएं धरती पर उतर आती है. इस दौरान उनके वंशजों की ओर से उन्हें याद किया जाता है. साथ ही उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए उनके नाम से ब्राह्मणों और अपने गौत्रजनों को भोजन करवाया जाता है.

पढ़ें- जानिए आखिर क्यों ऋषि गौतम की रसोई से गणेश ने चुराया भोजन

यह कार्यक्रम आगामी अमावस्या तक जारी रहेगा. उन्होंने बताया कि कोई भी व्यक्ति नि:शुल्क तालाब पर आकर अपने दिवंगत पूर्वजों की आत्मशांति के लिए तर्पण अनुष्ठान में शरीक हो सकता है. यजमानों से तर्पण को लेकर कोई दक्षिणा नही ली जाती है.

पोकरण (जैसलमेर). श्राद्ध पक्ष में आत्माओं की शांति के लिए तर्पण किया जाता है. कस्बे के संच्चियाय माता मंदिर के पास गत नौ दिनों से साधोलाई तालाब पर स्थानीय श्रद्धालुओं की ओर से अपने पूर्वजों की पुण्यतिथि के दिन यह काम किया जाता है. यहां श्राद्ध पक्ष में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पितृ तर्पण कर उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की जा रही है.

पूर्वजों की आत्माओं की शांति के लिए लोग कर रहे पिंड दान

आचार्य पंडित मुकेश ओझा ने बताया कि अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए श्राद्ध पक्ष में सरोवर या नदी किनारे पितृ तर्पण का महत्व शास्त्रों में बताया गया है. ऐसी मान्यता है कि श्राद्ध पक्ष के दौरान आज तक दिवंगत हुई आत्माएं धरती पर उतर आती है. इस दौरान उनके वंशजों की ओर से उन्हें याद किया जाता है. साथ ही उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए उनके नाम से ब्राह्मणों और अपने गौत्रजनों को भोजन करवाया जाता है.

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यह कार्यक्रम आगामी अमावस्या तक जारी रहेगा. उन्होंने बताया कि कोई भी व्यक्ति नि:शुल्क तालाब पर आकर अपने दिवंगत पूर्वजों की आत्मशांति के लिए तर्पण अनुष्ठान में शरीक हो सकता है. यजमानों से तर्पण को लेकर कोई दक्षिणा नही ली जाती है.

Intro:पोकरण
श्राद्ध पक्ष में तर्पण का विशेष महत्व
पूर्वजो को किया जाता श्रद्धा पूर्वक याद
अंजली देकर पूर्वजो को पिलाया जाता जल
नदी या तालाब के तीर पर होता कार्यक्रम
पंडितों की ओर से नही ली जाती यजमानों से दक्षिणाBody:पोकरण. कस्बे के संच्चियाय माता मंदिर के पास स्थित साधोलाई तालाब पर श्राद्ध पक्ष में गत नौ दिनोंं से पितृ तर्पण अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें स्थानीय पंडितों की ओर से प्रतिदिन सुबह तालाब में खड़े होकर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ तर्पण किया जा रहा है। आचार्य पंडित मुकेश ओझा ने बताया कि अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति व तृप्ति के लिए श्राद्ध पक्ष में सरोवर अथवा नदी किनारे पितृ तर्पण का बहुत बड़ा महत्व शास्त्रों में बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि श्राद्ध पक्ष के दौरान आज तक दिवंगत हुई आत्माएं धरती पर उतर आती है। इस दौरान उनके वंशजों की ओर से उन्हें याद किया जाता है तथा उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए उनके नाम से ब्राह्मणों व अपने गौत्रजनों को भोजन करवाया जाता है। इसी के अंतर्गत उन्हीं आत्माओं की शांति के लिए तर्पण कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है। उन्होंने बताया कि गत नौ दिनों से साधोलाई तालाब पर स्थानीय श्रद्धालुओं की ओर से अपने पूर्वजों की पुण्यतिथि के दिन श्राद्ध पक्ष में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पितृ तर्पण कर उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की जा रही है। यह कार्यक्रम आगामी अमावस्या तक जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि कोई भी व्यक्ति नि:शुल्क तालाब पर आकर अपने दिवंगत पूर्वजों की आत्मशांति के लिए तर्पण अनुष्ठान में शरीक हो सकता है।Conclusion:वही तर्पण के इस कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है । व यजमानों से तर्पण को लेकर कोई दक्षिणा नही ली जाती है ।
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