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जैसलमेरः LOCKDOWN के बीच फंसे प्रवासी मजदूरों के लिए बने आश्रय स्थल - covid 19

जैसलमेर में अन्य जिलों और राज्यों से हजारों प्रवासी श्रमिक मजदूरी के लिए आए थे और लॉकडाउन के चलते यहीं पर फंस गए. हालांकि केंद्र और राज्य सरकार के निर्देशों के बाद जिला प्रशासन इन प्रवासी श्रमिकों के लिए आवास, भोजन, पानी सहित अन्य जरूरी व्यवस्थाओं को मुहैया कराने का भामाशाह के सहयोग से हर संभव प्रयास कर रही है.

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LOCKDOWN के बीच फंसे प्रवासी मजदूरों के लिए बने आश्रय स्थल
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Published : Apr 16, 2020, 5:24 PM IST

Updated : May 24, 2020, 5:18 PM IST

जैसलमेर. वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण के रोकथाम के लिए चल रहे देशव्यापी लॉकडाउन से गरीब तबके के लोगों और दिहाड़ी मजदूरों को सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ रही है.

LOCKDOWN के बीच फंसे प्रवासी मजदूरों के लिए बने आश्रय स्थल

बात करें जैसलमेर की तो यहां पर अन्य जिलों और राज्यों से हजारों प्रवासी श्रमिक मजदूरी के लिए आए थे और लॉकडॉन के चलते यहीं पर फंस गए. हालांकि केंद्र और राज्य सरकार के निर्देशों के बाद जिला प्रशासन इन प्रवासी श्रमिकों के लिए आवास, भोजन, पानी सहित अन्य जरूरी व्यवस्थाओं को मुहैया कराने का भामाशाह के सहयोग से हर संभव प्रयास कर रही है. जैसलमेर के ग्रामीण हाट बाजार स्थित आश्रय स्थल जहां पर लगभग 300 प्रवासी मजदूरों की व्यवस्था की गई है, वहां पर देखने को मिला की नगर परिषद द्वारा आवास, भोजन और पानी की व्यवस्थाएं लगातार की जा रही है. लेकिन वहां सोशल डिस्टेंसिंग का बिल्कुल भी पालन नहीं किया जा रहा है, ऐसे में वहां संक्रमण की आशंका बनी हुई है.

वहां रहने वाले लोगों से जब हमने बात की तो उन्होंने बताया, कि वहां राशन सामग्री लगातार वितरित हो रही है लेकिन वो वितरण प्रणाली से असंतुष्ट दिखाई दिए. उनका कहना है कि कई बार एक ही परिवार के दो अलग-अलग सदस्य दो किट प्राप्त कर लेते हैं. ऐसे में कई बार किसी परिवार को बिल्कुल राशन सामग्री मुहैया नहीं हो पाती. साथ ही वहां के लोगों का कहना है कि 3 से 4 सदस्यीय एक परिवार को एक राशन सामग्री का कीट जिसमें 5 किलो आटा, 1 किलो दाल, 1 किलो चावल, मिर्च मसालों सहित एक साबुन दिया जाता है जो 6 दिन के लिए पर्याप्त नहीं होता.

पढ़ेंः नागौरः अब पुराने अस्पताल भवन में मिल रही मेडिकल OPD सुविधा, पहले दिन पहुंचे 150 मरीज

इन प्रवासी मजदूरों में से कई लोग लॉकडाउन के बावजूद भी अपने घर जाना चाहते हैं, जो कि फिलहाल संभव नहीं है. वहीं कुछ प्रवासी श्रमिक उन्हें मुहैया कराई जा रही भोजन सहित अन्य व्यवस्थाओं से काफी खुश भी दिखाई दिए और उन्होंने इसके लिए जिला प्रशासन और नगर परिषद को धन्यवाद भी दिया.


धीरे-धारे पलायन कर रहे है मजदूर...

लॉकडाउन की अवधि बढ़ने के बाद जैसलमेर जिला प्रशासन के लिए प्रवासी मजदूरों को लेकर मुश्किलें और बढ़ रही है, क्योंकि अभी तक यह मजदूर जो नहरी क्षेत्रों में फसल कटाई में लगे थे वह अब धीरे-धीरे वहां से पलायन करके जैसलमेर जिला मुख्यालय सहित मुख्य कस्बों की ओर आ रहे हैं. ऐसे में एक साथ इतने लोगों के लिए आवास, भोजन, पानी की व्यवस्था करने और उसे सही तरह से संचालित करने के लिए जिला प्रशासन को अब और अधिक प्रयास करने होंगे.

लॉकडाउन के बीच सरकार और भामाशाहों के सहयोग से जिला प्रशासन और नगर परिषद अपने प्रयास कर रहा है, लेकिन फिर भी अभी वहां सुधार की अधिक आवश्यकता साफ तौर पर देखी जा सकती है.

जैसलमेर. वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण के रोकथाम के लिए चल रहे देशव्यापी लॉकडाउन से गरीब तबके के लोगों और दिहाड़ी मजदूरों को सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ रही है.

LOCKDOWN के बीच फंसे प्रवासी मजदूरों के लिए बने आश्रय स्थल

बात करें जैसलमेर की तो यहां पर अन्य जिलों और राज्यों से हजारों प्रवासी श्रमिक मजदूरी के लिए आए थे और लॉकडॉन के चलते यहीं पर फंस गए. हालांकि केंद्र और राज्य सरकार के निर्देशों के बाद जिला प्रशासन इन प्रवासी श्रमिकों के लिए आवास, भोजन, पानी सहित अन्य जरूरी व्यवस्थाओं को मुहैया कराने का भामाशाह के सहयोग से हर संभव प्रयास कर रही है. जैसलमेर के ग्रामीण हाट बाजार स्थित आश्रय स्थल जहां पर लगभग 300 प्रवासी मजदूरों की व्यवस्था की गई है, वहां पर देखने को मिला की नगर परिषद द्वारा आवास, भोजन और पानी की व्यवस्थाएं लगातार की जा रही है. लेकिन वहां सोशल डिस्टेंसिंग का बिल्कुल भी पालन नहीं किया जा रहा है, ऐसे में वहां संक्रमण की आशंका बनी हुई है.

वहां रहने वाले लोगों से जब हमने बात की तो उन्होंने बताया, कि वहां राशन सामग्री लगातार वितरित हो रही है लेकिन वो वितरण प्रणाली से असंतुष्ट दिखाई दिए. उनका कहना है कि कई बार एक ही परिवार के दो अलग-अलग सदस्य दो किट प्राप्त कर लेते हैं. ऐसे में कई बार किसी परिवार को बिल्कुल राशन सामग्री मुहैया नहीं हो पाती. साथ ही वहां के लोगों का कहना है कि 3 से 4 सदस्यीय एक परिवार को एक राशन सामग्री का कीट जिसमें 5 किलो आटा, 1 किलो दाल, 1 किलो चावल, मिर्च मसालों सहित एक साबुन दिया जाता है जो 6 दिन के लिए पर्याप्त नहीं होता.

पढ़ेंः नागौरः अब पुराने अस्पताल भवन में मिल रही मेडिकल OPD सुविधा, पहले दिन पहुंचे 150 मरीज

इन प्रवासी मजदूरों में से कई लोग लॉकडाउन के बावजूद भी अपने घर जाना चाहते हैं, जो कि फिलहाल संभव नहीं है. वहीं कुछ प्रवासी श्रमिक उन्हें मुहैया कराई जा रही भोजन सहित अन्य व्यवस्थाओं से काफी खुश भी दिखाई दिए और उन्होंने इसके लिए जिला प्रशासन और नगर परिषद को धन्यवाद भी दिया.


धीरे-धारे पलायन कर रहे है मजदूर...

लॉकडाउन की अवधि बढ़ने के बाद जैसलमेर जिला प्रशासन के लिए प्रवासी मजदूरों को लेकर मुश्किलें और बढ़ रही है, क्योंकि अभी तक यह मजदूर जो नहरी क्षेत्रों में फसल कटाई में लगे थे वह अब धीरे-धीरे वहां से पलायन करके जैसलमेर जिला मुख्यालय सहित मुख्य कस्बों की ओर आ रहे हैं. ऐसे में एक साथ इतने लोगों के लिए आवास, भोजन, पानी की व्यवस्था करने और उसे सही तरह से संचालित करने के लिए जिला प्रशासन को अब और अधिक प्रयास करने होंगे.

लॉकडाउन के बीच सरकार और भामाशाहों के सहयोग से जिला प्रशासन और नगर परिषद अपने प्रयास कर रहा है, लेकिन फिर भी अभी वहां सुधार की अधिक आवश्यकता साफ तौर पर देखी जा सकती है.

Last Updated : May 24, 2020, 5:18 PM IST
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