जैसलमेर. जिले के मोहनगढ़ कस्बे के लाल शहीद राजेंद्र सिंह भाटी की सोमवार को पहली पुण्यतिथि है. पिछले साल 28 सितंबर को जम्मू कश्मीर के रामबन इलाके के बटोट में आतंकवादियों से लौहा लेते हुए राजेंद्र सिंह वीर गति को प्राप्त हुए थे.
ऐसे में उनकी पुण्यतिथि पर मोहनगढ़ कस्बे में शहीद को श्रद्धाजंलि देने के लिए कार्यक्रम आयोजित किया गया. जिसमें शहीद के परिवार जन, भूतपूर्व सैनिक, स्थानीय जनप्रतिनिधयों सहित ग्रामीणों ने हिस्सा लिया. कार्यक्रम के दौरान शहीद की प्रतिमा पर सभी ने पुष्पाजंलि अर्पित की और मोहनगढ़ पुलिस द्वारा उन्हें गार्ड ऑफ ऑर्नर भी दिया गया.
पढ़ेंः 108 पर कॉल नहीं लगा तो बेटे ने पिता को ठेले पर पहुंचाया अस्पताल, Video Viral
कार्यक्रम के दौरान बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हुए, लेकिन इस दौरान कोविड-19 से संबंधित सभी दिशा-निर्देशों की सख्ती से पालना की गई. शहीद के सम्मान में सभी वक्ताओं ने अपने-अपने उद्बोधन व्यक्त किए. उन्होंने कहा कि शहीद भाटी जैसलमेर ही नहीं बल्कि प्रदेश और देश के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बने हैं और अब यहां के युवा भी भारतीय सेना में भर्ती होकर अपनी मातृ भूमि की सेवा करना चाहते है. कार्यक्रम के दौरान जिले की विरागंओं और शहीद के पुत्र का सम्मान किया गया.
इस मौके पर पूर्व विधायक सांग सिंह भाटी ने कहा कि भाटी ने अपने परिवार और रिश्तेदारों की परवाह किए बिना ही देश की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया. इस पर हम सभी को गर्व है. पूर्व जिला प्रमुख अंजना मेघवाल ने कहा कि भारत वीरों की धरती है और यहां के वीरों में बचपन से ही देशभक्ति की ज्वाला उमड़ती है और वो अपने वतन के लिए कुछ कर गुजरने की चाह रखते हैं. शहीद भाटी जब भी यहां आते थे, तो युवाओं को सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित करते थे और खुद मैदान में जाकर उन्हें प्रशिक्षण देते थे.
शहीद के भाई समुन्द्र सिंह ने बताया कि वे भी अपने भाई की तरह सेना में जाना चाहते है और भाई के अंतिम संस्कार के दिन ही वे सेना में भर्ती के लिए रवाना हुए थे. शहीद की रिजर्व सीट पर उनका चयन हुआ. जिसे उन्होनें शहीद के पुत्र के लिए छोड़ दी और सामान्य चयन के तहत पहले प्रयास में उनका चयन नहीं हुआ.
पढ़ेंः अजमेर: 66 ग्राम चरस के साथ तीन गिरफ्तार, एक बोलेरो भी जब्त
समुन्द्रं सिंह का कहना है कि वो अभी प्रयास कर रहे हैं. जिससे वो सेना में शामिल होकर आतंकवाद के खिलाफ अपने भाई के तरह की लड़ाई लड़ सके और उसकी शहादत का बदला ले सके. गौरतलब है कि 28 सितम्बर 2019 को जम्मू कश्मीर के बटोट इलाके में सेना की 23 राष्ट्रीय रायफल में तैनात शहीद राजन्द्र सिंह आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई के दौरान शहीद हुए थे और इससे पहले उन्होंने तीन आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा था. जिसके बाद पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार 1 अक्टूबर 2019 को उनके पैतृक गांव मोहनगढ़ में किया गया था और भारत माता के इस वीर सपूत के अंतिम दर्शन के लिए हजारों की संख्या में लोग उमड़े थे.