जैसलमेर. देश के सीमावर्ती जिले जैसलमेर में नार्कोटिक्स, नकली नोट और हत्या जैसे कई अपराधों में 3 दर्जन से ज्यादा ऐसे अभियुक्त हैं, जो भारत में अपराध करके तत्कालीन समय में सीमा पर तारबंदी ना होने के कारण पाकिस्तान भागने में सफल हो गये हैं. ये सभी अपराधी आज भी वहां पनाह लिये हुये हैं. इसमें बड़ी संख्या में ऐसे अपराधी हैं जो पाकिस्तान नागरिक हैं और भारत की अदालते और थाने करीब 3 दशकों से भी ज्यादा समय से उनका इंतजार कर रही हैं.
दरअसल, पाकिस्तान के साथ अभियुक्तों के आदान-प्रदान की संधि न होने के कारण इन अपराधियों को भारत में लाना मुश्किल हो रहा है. हालांकि, जैसलमेर के कई पुलिस अधीक्षकों द्वारा उन्हें लाने के लिए कई बार गृहमंत्रालय को पत्र लिखा जा चुका है. लेकिन फिलहाल इन अभियुक्तों को भारत लाये जाने की कोई गुंजाइश नहीं है. बड़ी बात ये कि पाकिस्तान में शरण लिये सभी अपराधी स्वछंद रुप से वहां घूम रहे हैं और इन अपराधियों को पाकिस्तान सरकार का वृहदस्त प्राप्त हैं.
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मामले में पुलिस अधीक्षक किरण कंग ने इसकी पुष्टि करते हुये बताया कि जिले के विभिन्न थानों और अदालतो में ऐसे अपराधी हैं. जिन्होंने भारत में अपराध करके पाकिस्तान में शरण ले रखी हैं. हमारे जिले में यह स्टंडी वारंटी हैं, इनमें कई तो ऐसे हैं जो पाकिस्तान नागरिक हैं और भारत में आकर अपराध करने के बाद सीमा पार भाग गए तथा कई ऐसे भारतीय भी हैं जो की अपराध करके पाकिस्तान में जाकर बस गए.
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उन्होंने ये भी बताया कि जुमा पुत्र लखाने खां निवासी देहरो का ढाणी, मीठे खां निवासी पाकिस्तान, पानू पुत्र पणिया, अलारख खांन निवासी खारा पाकिस्तान सहित कई अन्य आरोपी प्रमुख रुप से इसमें शामिल हैं. ये सभी आरोपी जैसलमेर जिले की कई अदालत और थानो में चल रहे मुकदमों में वान्छित हैं. जिनमें कई मुकदमे 1980 के दशक से चल रहे हैं. अधिकतक आरोपी, मादत पदार्थो की तस्करी, हथियारों की तस्करी, नकली नोट और हत्या जैसे मुकदमो में वान्छित हैं. पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इन अपराधियों के संबंध में गृह विभाग के जरिये केंद्रीय गृह मंत्रालय को जानकारी देकर इन्हें वापिस लाने के संबंध में प्रयास किये जा रहे है.