जैसलमेर. जिल में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए चल रहे लॉकडाउन के बीच पीलिया ने शहर में अपने पांव पसारने शुरू कर दिया है. पिछले दस दिनों के आंकड़ों की बात करें तो जिले में 500 से अधिक पीलिया रोग से ग्रसित रोगी सामने आए हैं.
सरकारी अस्पतालों में कोरोना के सिवाय किसी अन्य बीमारी के मरीजों को इतनी संजीदगी से नहीं देखा जा रहा है. परंतु निजी अस्पतालों में प्रतिदिन पीलिया के मरीज सामने आ रहे हैं. पीलिया के तेजी से फैलाव का कारण दूषित जल की सप्लाई भी मानी जा रही है. जिसके कारण शहरी इलाकों में पीलिया रोग लगातार अपने पांव पसारता नजर आ रहा है.
शहरी क्षेत्र के चैनपूरा, मैनपुरा, गांधी चौक, लोहार बस्ती, गफ्फूर भट्टा सहित कई इलाको में पीलिया तेजी से पांव पसार रहा है. प्रतिदिन दूषित जल की सप्लाई का यह सिलसिला ना जाने कब रुकेगा. स्वास्थ्य विभाग कोरोना की जंग में कहीं ना कहीं यह भूलता नजर आ रहा है कि अन्य बीमारियां भी मौत का कारण बन सकती हैं.
स्वास्थ्य विभाग एक ओर कोरोना को बहाना बनाता नजर आ रहा है. दूसरी ओर जलदाय विभाग अपना पल्ला यह कहकर झाड़ देता है कि जिस जल की आपूर्ति की जा रही है, वह तीन बार फिल्टर होता है. जबकि हकीकत कुछ और ही है.
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जानकारी के अनुसार सूलीडूंगर स्थित पानी के हेड टैंक की पिछले कई वर्षों से सफाई नहीं हुई है. पानी एकत्रित करने के लिए बनाई गई टंकी भी जर्जर अवस्था में है. टंकी का ढक्कन ऊपर से खुला हैं. पानी भी अब बदबू मारने लगा हैं. पानी में फफूंद तक जम गई हैं. स्थिति यह है कि सामान्य आदमी इसे देख लो तो देखकर ही बीमार पड़ जाए.
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जिला कलेक्टर नमित मेहता ने शहर में पीलिया की शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई करते हुए, प्रभावित क्षेत्रों मे घर-घर व्यापक सर्वे करने के निर्देश दिए हैं. जिला कलेक्टर ने बताया कि इसके लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अधीक्षण अभियन्ता और नगर परिषद आयुक्त को व्यापक दिशा-निर्देश दिए गए हैं.
इसके अनुसार घर-घर स्वास्थ्य जांच, पानी के टैंकों और जलस्रोतों के नमूने लेकर जांच कराने और हरसंभव उपाय सुनिश्चित करने को कहा गया है. इन अधिकारियों से कहा है कि इस कार्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए सभी संभव उपाय सुनिश्चित किए जाएं. आपको बता दें कि जैसलमेर में 35 कोरोना पॉजिटिव केस हैं. ऐसे में पीलिया के 500 से ज्यादा मरीज भी परेशानी खड़ी कर सकतें हैं.