जैसलमेर. राष्ट्रीय मरू उद्यान में लुप्त होते गोडावण को लेकर एक अच्छी खबर सामने आई है. जैसलमेर में दो साल से आ रहे टिड्डी दलों ने करोड़ों की फसल को चौपट कर दिया था, वहीं ये टिड्डी दल राज्य पक्षी गोडावण के लिए फायदेमंद साबित हुआ है. दरअसल, मादा गोडावण आमतौर पर एक वर्ष में एक ही अंडा देती है, लेकिन इस बार पहली बार ऐसा हुआ है, जब दो मादा गोडावण ने एक साथ दो-दो अंडे दिए हैं. इसका मुख्य कारण, गोडावण को खाने के लिए टिड्डी के रूप में प्रोटीनयुक्त भोजन मिला, साथ ही अच्छी बारिश और बेहतरीन वातावरण मिला. इसी के चलते पहली बार दो मादा गोडावण ने दो-दो अंडे दिए हैं.
कैमरा में आए नजर...
इस वर्ष डीएनपी क्षेत्र से 7 अंडे हैचरी लाए गए थे, जिसमें से निकले सभी सातों चूजे स्वस्थ हैं. गोडावण के कन्जर्वेशन सेंटर में अब 16 चूजे मौजूद हैं. डीएनपी के अतिरिक्त उपवन संरक्षक विजय बोराणा ने बताया कि पिछले दिनों डीएनपी के अधिकारियों को कैमरा ट्रैप में सुदासरी और चौहानी में एक ही जगह पर दो-दो अंडे नजर आए. गोडावण अंडे देने के लिए घोंसला तो नहीं बनाती है, लेकिन जगह को साफ करने के बाद ही अंडे देती है.
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टिड्डियां प्रिय भोजन...
बोराणा ने बताया कि एक ही मादा द्वारा दो अंडे देने के पीछे सबसे बड़ी वजह टिड्डी दल है. गोडावण का प्रिय भोजन टिड्डियां है. दो साल से जैसलमेर में टिड्डी दल लगातार आ रहे थे. इस दौरान गोडावण को टिड्डियों का भोजन भरपूर मिला. इस बार ज्यादा प्रजनन होने के पीछे दूसरी वजह यह बताई जा रही है कि क्लोजर क्षेत्र में बरसात भी अच्छी हुई. रेतीले क्षेत्र में आए डीएनपी में आमतौर पर बरसात कम होती है, लेकिन इस बार अच्छी बारिश हुई है. वहीं, डीएनपी के अतिरिक्त उपवन संरक्षक विजय बोराणा ने बताया कि गोडावण सहित अन्य वन्य जीवों की सुरक्षा में उनके अधिकारियों और सुरक्षा कर्मियों का बहुत योगदान है. जिसकी वजह से ही गोडावण की संख्या में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है, साथ ही डीएनपी क्षेत्र में अन्य वन्यजीव भी सुरक्षित है.
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फैक्ट फाइल...
- 3162 वर्ग किमी में फैला है डीएनपी क्षेत्र.
- चार दशक से डीएनपी में गोडावण व अन्य वन्यजीवों का संरक्षण किया जा रहा है.
- राजस्थान में केवल जैसलमेर के डीएनपी में ही राज्य पक्षी गोडावण का विचरण, यहां इनकी तादाद 50 से ज्यादा है.
- जैसलमेर और बाड़मेर जिले के 73 गांव डीएनपी क्षेत्र में आते हैं.
- सम क्षेत्र में स्थित है गोडावण का प्रजनन केन्द्र, जहां तैयार हो रही है गोडावण की फौज.