जैसलमेर. 'हौसले के दम पर आसमां भी हासिल हो सकते हैं', किसी शायर की ये लाइनें बहुत लोगों ने पढ़ी-सुनी होगी. लेकिन महाराष्ट्र के नासिक जिले के एक छोटे से गांव त्रिंबकेश्वर के युवा सचिन ने इसे बखूबी समझा और साबित भी कर दिया. दृढ़ संकल्प और हौसले की मिसाल बना यह युवा महाराष्ट्र के नासिक जिले के छोटे से गांव त्रिंबकेश्वर से है.
त्रिंबकेश्वर गांव शिक्षा और विकास के मामले में भले ही पीछे हो सकता है. लेकिन यहां की माटी में हौसलों और जज्बों की कमी दिखाई नहीं दे रही है. युवक सचिन जो जन्म से एक हाथ और एक पैर से अशक्त है. लेकिन कुदरत की इस मार के बावजूद अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और हौसलों से साइकिल पर दूसरी बार भारत भ्रमण पर निकला है. इससे पहले 2012 में भी वह भारत भ्रमण के साथ-साथ 2017 में नेपाल यात्रा भी कर चुका है.
जैसलमेर पहुंचे सचिन ने बताया, कि वह 2 दिसंबर को अपने गांव त्रंबकेश्वर से रवाना हुआ था और भारत पाक सीमा पर स्थित तनोट माता मंदिर के दर्शन कर वापस जैसलमेर पहुंचा है. उसने बताया, कि अब वह बीकानेर में देशनोक माता के यहां मत्था टेक आगे पंजाब - हरियाणा के रास्ते वैष्णो देवी माता के दर्शन के लिए जम्मू -कश्मीर तक जाएगा. इस भारत भ्रमण यात्रा के दौरान वो प्रसिद्ध तीर्थ स्थल नैनादेवी, कांगड़ा देवी, ज्वाला देवी और उज्जैन के ओमकारेश्वर मंदिर भी जाएगा. सचिन ने बताया, कि 2012 के भारत भ्रमण के दौरान वो वैष्णोदेवी, अमरनाथ, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, अयोध्या, गोरखपुर, बनारस, इलाहाबाद और नेपाल यात्रा के दौरान जनकपुर गया था.
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सचिन ने बताया, कि वह जन्म से ही एक हाथ और एक पैर से दिव्यांग है. लेकिन, वह इसे भारत भ्रमण के अपने सपने के आगे आड़े नहीं आने देता. सचिन जहां से भी गुजरता है. वहां के पुलिस थाने और मंदिर प्रशासन से अपने रजिस्टर में एक संदेश भी लिखवाता है, जो उसके लिए प्रेरणादाई साबित होता है और उसे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता है. युवक ने बताया, कि भारत भ्रमण उसके दिमाग में कैसे आया यह तो नहीं पता, लेकिन अब यह उसका जुनून है और वह लगातार इसे दोहराना चाहता है.