जैसलमेर. सरकार ने कक्षा 9 से 12 तक की बेटियों की परेशानियां जानने के लिए 2015 में सभी राजकीय बालिका विद्यालयों में गरिमा पेटी लगवाई थी ताकि बेटियां अपनी परेशानियां और शिकायतें लिखकर स्कूल प्रबंधन को बता सकें. इसके पीछे सरकार का मकसद यह था कि ऐसी कुछ परेशानियां भी होती है जो बेटियां खुलकर नहीं बोल सकती. इन गरिमा पेटियों को हर महीने खोलकर उनमें आई शिकायतों का समाधान खोजना था, लेकिन यह विडंबना है कि इन गरिमा पेटियों के ताले आजतक नहीं खुले.
इस संबंध स्कूल प्रबंधन का कहना है कि अधिकतर पेटियों में लगे ताले की चाबियां खो गई है, इन तालों को कौन तुड़वाए. यानी चार साल से इन पेटियों में पड़ी बेटियों की शिकायतें अब तक ताले में ही बंद हैं. चार सालों में बैठकें तो हुईं, लेकिन किसी भी स्कूल में एक बार भी गरिमा पेटी के ताले नहीं खुले. इन पेटियों की चाबियां स्कूल के प्रधानाचार्य के पास रखी गई थी. लेकिन अब संस्था प्रधान का एक ही जवाब है चाबी नहीं मिली तो ताला कैसे खोलें.
गौरतलब है कि सरकार की ओर से छात्राओं की समस्या जानने के लिए ही गरिमा पेटी लगवाई गई है, लेकिन स्कूल प्रबंधन द्वारा पेटियों की न तो सार संभाल की जा रही है. जैसलमेर की कई स्कूलों में स्थिति यह है कि गरिमा पेटी लगाने के बाद एक बार भी शिकायतें देखी तक नहीं गई. बालिकाओं ने अपनी शिकायतें पेटी में डाली भी लेकिन उनकी उस समस्या का निस्तारण नहीं किया गया है. इससे अब अध्ययनरत बालिकाओं ने गरिमा पेटी में शिकायत पत्र डालना ही बंद कर दिया है.
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बता दें कि स्कूलों में गरिमा पेटियां लगा तो दी गई, लेकिन अब उनमें आने वाली शिकायतों के प्रति कोई भी गंभीर नहीं है और इस गरिमा पेटी की अनदेखी की जा रही है. लिहाजा इस प्रकार की अनदेखी कभी भी भारी पड़ सकती है. मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा की मुझे इस प्रकार की जानकारी नहीं है की गरिमा पेटियां समय पर नहीं खोली जा रही है. साथ ही संबंधित संस्था प्रधानों को इसे समय पर खोलने और बेटियों की समस्याओं का निवारण करने के लिए पुनः निर्देश जारी किये जायेंगे.