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जैसलमेरः राजकीय बालिका विद्यालयों में चार साल में एक बार नहीं खोली गई गरिमा पेटी, बेटियों के हाथ लगी निराशा

जैसलमेर में चार साल में एक बार भी राजकीय बालिका विद्यालयों में गरिमा पेटी नहीं खोली गई. सरकार ने बेटियों की परेशानियां जानने के लिए 2015 में सभी राजकीय बालिका विद्यालयों में गरिमा पेटी लगवाई थी ताकि बेटियां अपनी परेशानियां और शिकायतें लिखकर स्कूल प्रबंधन को बता सकें. लेकिन बेटियों के हाथ इससे केवल निराशा लगी है.

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एक बार नहीं खोली गई गरिमा पेटी
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Published : Dec 9, 2019, 12:00 AM IST

जैसलमेर. सरकार ने कक्षा 9 से 12 तक की बेटियों की परेशानियां जानने के लिए 2015 में सभी राजकीय बालिका विद्यालयों में गरिमा पेटी लगवाई थी ताकि बेटियां अपनी परेशानियां और शिकायतें लिखकर स्कूल प्रबंधन को बता सकें. इसके पीछे सरकार का मकसद यह था कि ऐसी कुछ परेशानियां भी होती है जो बेटियां खुलकर नहीं बोल सकती. इन गरिमा पेटियों को हर महीने खोलकर उनमें आई शिकायतों का समाधान खोजना था, लेकिन यह विडंबना है कि इन गरिमा पेटियों के ताले आजतक नहीं खुले.

इस संबंध स्कूल प्रबंधन का कहना है कि अधिकतर पेटियों में लगे ताले की चाबियां खो गई है, इन तालों को कौन तुड़वाए. यानी चार साल से इन पेटियों में पड़ी बेटियों की शिकायतें अब तक ताले में ही बंद हैं. चार सालों में बैठकें तो हुईं, लेकिन किसी भी स्कूल में एक बार भी गरिमा पेटी के ताले नहीं खुले. इन पेटियों की चाबियां स्कूल के प्रधानाचार्य के पास रखी गई थी. लेकिन अब संस्था प्रधान का एक ही जवाब है चाबी नहीं मिली तो ताला कैसे खोलें.

चार साल में एक बार नहीं खोली गई गरिमा पेटी

गौरतलब है कि सरकार की ओर से छात्राओं की समस्या जानने के लिए ही गरिमा पेटी लगवाई गई है, लेकिन स्कूल प्रबंधन द्वारा पेटियों की न तो सार संभाल की जा रही है. जैसलमेर की कई स्कूलों में स्थिति यह है कि गरिमा पेटी लगाने के बाद एक बार भी शिकायतें देखी तक नहीं गई. बालिकाओं ने अपनी शिकायतें पेटी में डाली भी लेकिन उनकी उस समस्या का निस्तारण नहीं किया गया है. इससे अब अध्ययनरत बालिकाओं ने गरिमा पेटी में शिकायत पत्र डालना ही बंद कर दिया है.

पढ़ेंः जैसलमेर सीमा पर तैनात जवानों के लिए BSNL लगाएगा नए मोबाइल टावर

बता दें कि स्कूलों में गरिमा पेटियां लगा तो दी गई, लेकिन अब उनमें आने वाली शिकायतों के प्रति कोई भी गंभीर नहीं है और इस गरिमा पेटी की अनदेखी की जा रही है. लिहाजा इस प्रकार की अनदेखी कभी भी भारी पड़ सकती है. मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा की मुझे इस प्रकार की जानकारी नहीं है की गरिमा पेटियां समय पर नहीं खोली जा रही है. साथ ही संबंधित संस्था प्रधानों को इसे समय पर खोलने और बेटियों की समस्याओं का निवारण करने के लिए पुनः निर्देश जारी किये जायेंगे.

जैसलमेर. सरकार ने कक्षा 9 से 12 तक की बेटियों की परेशानियां जानने के लिए 2015 में सभी राजकीय बालिका विद्यालयों में गरिमा पेटी लगवाई थी ताकि बेटियां अपनी परेशानियां और शिकायतें लिखकर स्कूल प्रबंधन को बता सकें. इसके पीछे सरकार का मकसद यह था कि ऐसी कुछ परेशानियां भी होती है जो बेटियां खुलकर नहीं बोल सकती. इन गरिमा पेटियों को हर महीने खोलकर उनमें आई शिकायतों का समाधान खोजना था, लेकिन यह विडंबना है कि इन गरिमा पेटियों के ताले आजतक नहीं खुले.

इस संबंध स्कूल प्रबंधन का कहना है कि अधिकतर पेटियों में लगे ताले की चाबियां खो गई है, इन तालों को कौन तुड़वाए. यानी चार साल से इन पेटियों में पड़ी बेटियों की शिकायतें अब तक ताले में ही बंद हैं. चार सालों में बैठकें तो हुईं, लेकिन किसी भी स्कूल में एक बार भी गरिमा पेटी के ताले नहीं खुले. इन पेटियों की चाबियां स्कूल के प्रधानाचार्य के पास रखी गई थी. लेकिन अब संस्था प्रधान का एक ही जवाब है चाबी नहीं मिली तो ताला कैसे खोलें.

चार साल में एक बार नहीं खोली गई गरिमा पेटी

गौरतलब है कि सरकार की ओर से छात्राओं की समस्या जानने के लिए ही गरिमा पेटी लगवाई गई है, लेकिन स्कूल प्रबंधन द्वारा पेटियों की न तो सार संभाल की जा रही है. जैसलमेर की कई स्कूलों में स्थिति यह है कि गरिमा पेटी लगाने के बाद एक बार भी शिकायतें देखी तक नहीं गई. बालिकाओं ने अपनी शिकायतें पेटी में डाली भी लेकिन उनकी उस समस्या का निस्तारण नहीं किया गया है. इससे अब अध्ययनरत बालिकाओं ने गरिमा पेटी में शिकायत पत्र डालना ही बंद कर दिया है.

पढ़ेंः जैसलमेर सीमा पर तैनात जवानों के लिए BSNL लगाएगा नए मोबाइल टावर

बता दें कि स्कूलों में गरिमा पेटियां लगा तो दी गई, लेकिन अब उनमें आने वाली शिकायतों के प्रति कोई भी गंभीर नहीं है और इस गरिमा पेटी की अनदेखी की जा रही है. लिहाजा इस प्रकार की अनदेखी कभी भी भारी पड़ सकती है. मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा की मुझे इस प्रकार की जानकारी नहीं है की गरिमा पेटियां समय पर नहीं खोली जा रही है. साथ ही संबंधित संस्था प्रधानों को इसे समय पर खोलने और बेटियों की समस्याओं का निवारण करने के लिए पुनः निर्देश जारी किये जायेंगे.

Intro:Body:चार साल में एक बार नहीं खोली गरिमा पेटी , बेटियों के हाथ लगी निराशा

स्कूल प्रशासन की लापरवाही से नहीं खुले गरिमा पेटी के ताले

ये गंभीर लापरवाही है, संस्था प्रधानों को किया जाए पाबंद

पेटियां संभालने को लेकर जिम्मेदार नहीं गंभीर

सरकार ने कक्षा 9 से 12 तक की बेटियों की परेशानियां जानने के लिए 2015 में सभी राजकीय बालिका विद्यालयों में गरिमा पेटी लगवाई ताकि बेटियां अपनी परेशानियां और शिकायतें लिखकर स्कूल प्रबंधन काे बता सकें। इसके पीछे सरकार का मकसद यह था कि ऐसी कुछ परेशानियां भी हाेती है जाे बेटियां खुलकर नहीं बाेल सकती । इन गरिमा पेटियों काे हर महीने खाेलकर उनमें आई शिकायताें का समाधान खाेजना था, लेकिन यह विडंबना है कि इन गरिमा पेटियों के ताले आजतक नहीं खुले। इस संबंध स्कूल प्रबंधन का कहना है कि अधिकतर पेटियों में लगे ताले की चाबियां खाे गई हैं, इन तालाें काे काैन तुड़वाए। यानी चार साल से इन पेटियों में पड़ी बेटियों की शिकायतें आज भी ताले में बंद हैं।

चार सालाें में बैठकें ताे हुईं लेकिन किसी भी स्कूल में एक भी बार गरिमा पेटी के ताले नहीं खुले। इन पेटियों की चाबियां स्कूल के प्रधानाचार्य के पास रखी गई थी, लेकिन अब अधिकतर संस्था प्रधान का एक ही जवाब चाबी नहीं मिली ताे ताला कैसे खाेलें। गौरतलब है कि सरकार द्वारा छात्राओं की समस्या जानने के लिए ही गरिमा पेटी लगवाई गई है, लेकिन स्कूल प्रबंधन द्वारा पेटियों की न तो सार संभाल की जा रही है।

जैसलमेर की कई स्कूलों में स्थिति यह है कि गरिमा पेटी लगाने के बाद एक बार भी शिकायतें देखी तक नहीं गई। बालिकाओं ने अपनी शिकायतें पेटी में डाली भी लेकिन उनकी उस समस्या का निस्तारण नहीं किया गया है। इससे अब अध्ययनरत बालिकाओं ने गरिमा पेटी में शिकायत पत्र डालना ही बंद कर दिया है। स्कूलों में गरिमा पेटियां लगा तो दी गई, लेकिन अब उनमें आने वाली शिकायतों के प्रति कोई भी गंभीर नहीं है और इस गरिमा पेटी की अनदेखी की जा रही है, लिहाजा इस प्रकार की अनदेखी कभी भी भारी पड़ सकती है। मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा की मुझे इस प्रकार की जानकारी नहीं है की गरिमा पेटियां समय पर नहीं खोली जा रही है , संबंधित संस्था प्रधानों को इसे समय पर खोलने और बेटियों की समस्याओं का निवारण करने के लिए पुनः निर्देश जारी किये जायेंगे।

बाईट-1- सत्येंद्र कुमार व्यास , मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी , जैसलमेरConclusion:
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