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जैसलमेर में सीमा पार से आ रहे टिड्डी दल का हमला जारी, किसानों और पशुपालकों के लिए मुसीबत

जैसलमेर में सीमा पार पाकिस्तान से आ रहे टिड्डी दल का हमला लगातार जारी है. इन टिड्डियों की वजह से सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले किसानों की नींद उड़ गई गई है और पशुपालक भी बेहद परेशान हैं. टिड्डी नियंत्रण दल लगातार इन पर नियंत्रण के प्रयास कर रहा है, लेकिन अभी तक लगाम नहीं लगी है.

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Published : Sep 7, 2019, 9:24 AM IST

Attack of grasshopper, जैसलमेर में टिड्डी दल

जैसलमेर. जिले में टिड्डी दलों ने किसानों और पशुपालकों के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है. लगातार टिड्डी दल जैसलमेर के विभिन्न इलाकों में पहुंच रहे हैं. टिड्डी नियंत्रण विभाग के प्रयास नाकाम होते नजर आ रहे हैं. कभी नाचना तो कभी भारेवाला में टिड्डी दल ने हमला किया है. साथ ही फील्ड फायरिंग रेंज में भी टिड्डी दलों ने डेरा जमा लिया है. फिलहाल पोछीना, नाचना, नोख, नहरी क्षेत्र के 6 टीबा और हमीरनाडा में टिड्‌डी फाका दल दिखाई दिया. आसपास के गांवों में फाका दल मौजूद है और चार दिन से उन पर नियंत्रण करने के प्रयास किए जा रहे हैं.

जैसलमेर में सीमा पार पाकिस्तान से आ रहे टिड्डी दल का हमला लगातार जारी

अब संकट यह है कि इस बार बारिश तो पर्याप्त हो गई, लेकिन पशुओं के लिए अकाल की स्थिति बन सकती है. इसकी वजह फाका दल है. जिले में कई इलाकों में फाका दल मौजूद है और पाकिस्तान से भी लगातार आ रहे हैं. आगामी एक माह में ये फाका दल बड़ी टिडि्डयों का रूप ले लेंगे और पशुओं के लिए उगे हरे चारे पर संकट के बादल छा जाएंगे. पशुपालकों के सामने मुसीबत खड़ी हो जाएगी. इंद्रदेव की मेहरबानी से चारे की पैदावार तो होगी, लेकिन पशुओं को राहत नहीं मिलेगी.

पढ़ें: कांग्रेस जल्द शुरू करेगी सदस्यता अभियान, सोनिया गांधी के नेतृत्व में 12 सितंबर को होगी बैठक

बताया जा रहा है कि ये फाका दल पाकिस्तान से लगातार आ रहे हैं. हाल ही में नाचना इलाके में नियंत्रण किया गया तो उसके बाद भारेवाला और पोछीना में फाका दल पहुंच गए. वहीं, पाकिस्तान ने अपनी सीमा के अंदर 50 किमी पहले तक तो टिड्डी पर नियंत्रण के प्रयास किए. लेकिन सीमा के नजदीक किसी भी तरह के प्रयास नहीं किए, जिससे वहां पर करोड़ों से भी ज्यादा टिडि्डयों ने प्रजनन किया और अब फाका दल जैसलमेर के इलाकों में प्रवेश कर रहे हैं. पिछले दो माह से पाकिस्तान से लगातार सीमावर्ती क्षेत्र में टिड्डी का हमला जारी है. अब तो फाका टिड्डी पनप चुका है और किसानों के खेतों की बाड़ पर देखा जा रहा है. इससे किसानों को फसलों की चिंता सता रही है. क्षेत्र में पिछले दिनों बरसात के बाद किसान खेतों की देखभाल में जुटे हैं. कई स्थानों पर फसल अंकुरित भी हो रही है, लेकिन टिड्डी फाके ने किसानों की नींद उड़ा दी है. जून माह के अंतिम सप्ताह से शुरू हुआ टिड्डी का हमला लगातार चल रहा है. जो टिड्डी दल पहले दौर में पहुंच था, उनके बच्चे फाके के रूप में लाखों की संख्या में निकल रहे हैं. बारिश के बाद किसानों ने बुवाई प्रारंभ कर दी है और खेत के चारों तरफ मेड़बंदी और बाड़ बनानी शुरू कर दी है. बाड़ों के पास भारी मात्रा में आ रही टिड्डियों ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. किसानों को भय सता रहा है कि फसल उगने के साथ ही टिड्डी सफाया कर देगी.

पढ़ें: जब मासूमों को जंजीर से बांधकर चले गए माता-पिता...

जानकारों के मुताबिक फाका दल 35 से 50 दिन में टिड्डी दलों का रूप ले लेते हैं. फिलहाल पाकिस्तानी सीमा में इनकी संख्या अनगिनत है, ऐसे में समय के साथ ये टिड्डी दल जैसलमेर की सीमा में प्रवेश करेंगे और किसानों की फसलों के साथ-साथ पशुओं के हरे चारे को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इन दिनों टिड्‌डी दल के आतंक से किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरे उभर आई है. नहरी क्षेत्र में टिड्‌डी फाका दल दिखाई दिया. टिड्‌डी फाका दल दिखाई देने के बाद ग्रामीणों ने संबंधित अधिकारियों को भी सूचना दी. टिड्डी फाका दल ने इन क्षेत्रों में फसल, चारे और पेड़-पौधों को काफी नुकसान पहुंचा दिया. इस क्षेत्र में टिड्‌डी फाका दल के छोटे छोटे कई ग्रुप देखे गए हैं. वहीं, ग्रामीणों ने आरोप लगाए कि अधिकारियों को सूचना देने के बावजूद अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचे.

पढ़ें: स्पेशल रिपोर्ट: समझौता और थार एक्सप्रेस रद्द होने के बाद वाघा बॉर्डर से वापस घर लौटे यात्री

टिड्डी नियंत्रण दल लगातार इन पर नियंत्रण के प्रयास कर रहा है, लेकिन अभी तक लगाम नहीं लगी है. थोड़े-थोड़े दिनों के अंतराल में फाका दल जिले के विभिन्न इलाकों में देखने को मिल रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक करोड़ों रुपये खर्च हो चुके हैं. स्प्रे के लिए 96 प्रतिशत मेलाफियोन का उपयोग होता है. यह स्प्रे कीमती है. करीब 50 हजार लीटर स्प्रे का उपयोग किया गया है. वहीं, 20 टीमें सक्रिय है और इन वाहनों का रोजाना हजारों रुपये का डीजल उपयोग में आ रहा है.

बॉर्डर पर ही नियंत्रण की तकनीक नहीं
टिड्डी नियंत्रण विभाग के अधिकारियों के अनुसार उन्हें जैसे ही फाका दल या टिड्डी दल की सूचना मिलती है, वैसे ही मौके पर जाकर स्प्रे करके नियंत्रण करने का प्रयास किया जाता है. उनके अनुसार लगातार पाकिस्तान से फाका दल जैसलमेर के इलाके में आ रहे हैं. बॉर्डर पर ही इनके निस्तारण की कोई तकनीक नहीं है. ऐसे में इन्हें सीमा में प्रवेश करने के साथ ही रोकना संभव नहीं है. इससे आगामी दिनों में ज्यादा नुकसान की संभावना है.

तीन माह में 68 हजार हेक्टेयर पर नियंत्रण
टिड्डी नियंत्रण विभाग के अनुसार जैसलमेर में टिड्डी दलों पर नियंत्रण का काम 22 मई से शुरू हो गया था. तीन माह के अंतराल में करीब 68 हजार हेक्टेयर जमीन पर टिड्डी या फाका दल दिखाई दिए. उन पर स्प्रे कर नियंत्रण किया जा चुका है.फिलहाल पोछीना में लगातार चार दिनों से फाका दल देखे जा रहे हैं। नियंत्रण के लिए जिले में 20 टीमें कार्यरत हैं.

जैसलमेर. जिले में टिड्डी दलों ने किसानों और पशुपालकों के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है. लगातार टिड्डी दल जैसलमेर के विभिन्न इलाकों में पहुंच रहे हैं. टिड्डी नियंत्रण विभाग के प्रयास नाकाम होते नजर आ रहे हैं. कभी नाचना तो कभी भारेवाला में टिड्डी दल ने हमला किया है. साथ ही फील्ड फायरिंग रेंज में भी टिड्डी दलों ने डेरा जमा लिया है. फिलहाल पोछीना, नाचना, नोख, नहरी क्षेत्र के 6 टीबा और हमीरनाडा में टिड्‌डी फाका दल दिखाई दिया. आसपास के गांवों में फाका दल मौजूद है और चार दिन से उन पर नियंत्रण करने के प्रयास किए जा रहे हैं.

जैसलमेर में सीमा पार पाकिस्तान से आ रहे टिड्डी दल का हमला लगातार जारी

अब संकट यह है कि इस बार बारिश तो पर्याप्त हो गई, लेकिन पशुओं के लिए अकाल की स्थिति बन सकती है. इसकी वजह फाका दल है. जिले में कई इलाकों में फाका दल मौजूद है और पाकिस्तान से भी लगातार आ रहे हैं. आगामी एक माह में ये फाका दल बड़ी टिडि्डयों का रूप ले लेंगे और पशुओं के लिए उगे हरे चारे पर संकट के बादल छा जाएंगे. पशुपालकों के सामने मुसीबत खड़ी हो जाएगी. इंद्रदेव की मेहरबानी से चारे की पैदावार तो होगी, लेकिन पशुओं को राहत नहीं मिलेगी.

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बताया जा रहा है कि ये फाका दल पाकिस्तान से लगातार आ रहे हैं. हाल ही में नाचना इलाके में नियंत्रण किया गया तो उसके बाद भारेवाला और पोछीना में फाका दल पहुंच गए. वहीं, पाकिस्तान ने अपनी सीमा के अंदर 50 किमी पहले तक तो टिड्डी पर नियंत्रण के प्रयास किए. लेकिन सीमा के नजदीक किसी भी तरह के प्रयास नहीं किए, जिससे वहां पर करोड़ों से भी ज्यादा टिडि्डयों ने प्रजनन किया और अब फाका दल जैसलमेर के इलाकों में प्रवेश कर रहे हैं. पिछले दो माह से पाकिस्तान से लगातार सीमावर्ती क्षेत्र में टिड्डी का हमला जारी है. अब तो फाका टिड्डी पनप चुका है और किसानों के खेतों की बाड़ पर देखा जा रहा है. इससे किसानों को फसलों की चिंता सता रही है. क्षेत्र में पिछले दिनों बरसात के बाद किसान खेतों की देखभाल में जुटे हैं. कई स्थानों पर फसल अंकुरित भी हो रही है, लेकिन टिड्डी फाके ने किसानों की नींद उड़ा दी है. जून माह के अंतिम सप्ताह से शुरू हुआ टिड्डी का हमला लगातार चल रहा है. जो टिड्डी दल पहले दौर में पहुंच था, उनके बच्चे फाके के रूप में लाखों की संख्या में निकल रहे हैं. बारिश के बाद किसानों ने बुवाई प्रारंभ कर दी है और खेत के चारों तरफ मेड़बंदी और बाड़ बनानी शुरू कर दी है. बाड़ों के पास भारी मात्रा में आ रही टिड्डियों ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. किसानों को भय सता रहा है कि फसल उगने के साथ ही टिड्डी सफाया कर देगी.

पढ़ें: जब मासूमों को जंजीर से बांधकर चले गए माता-पिता...

जानकारों के मुताबिक फाका दल 35 से 50 दिन में टिड्डी दलों का रूप ले लेते हैं. फिलहाल पाकिस्तानी सीमा में इनकी संख्या अनगिनत है, ऐसे में समय के साथ ये टिड्डी दल जैसलमेर की सीमा में प्रवेश करेंगे और किसानों की फसलों के साथ-साथ पशुओं के हरे चारे को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इन दिनों टिड्‌डी दल के आतंक से किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरे उभर आई है. नहरी क्षेत्र में टिड्‌डी फाका दल दिखाई दिया. टिड्‌डी फाका दल दिखाई देने के बाद ग्रामीणों ने संबंधित अधिकारियों को भी सूचना दी. टिड्डी फाका दल ने इन क्षेत्रों में फसल, चारे और पेड़-पौधों को काफी नुकसान पहुंचा दिया. इस क्षेत्र में टिड्‌डी फाका दल के छोटे छोटे कई ग्रुप देखे गए हैं. वहीं, ग्रामीणों ने आरोप लगाए कि अधिकारियों को सूचना देने के बावजूद अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचे.

पढ़ें: स्पेशल रिपोर्ट: समझौता और थार एक्सप्रेस रद्द होने के बाद वाघा बॉर्डर से वापस घर लौटे यात्री

टिड्डी नियंत्रण दल लगातार इन पर नियंत्रण के प्रयास कर रहा है, लेकिन अभी तक लगाम नहीं लगी है. थोड़े-थोड़े दिनों के अंतराल में फाका दल जिले के विभिन्न इलाकों में देखने को मिल रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक करोड़ों रुपये खर्च हो चुके हैं. स्प्रे के लिए 96 प्रतिशत मेलाफियोन का उपयोग होता है. यह स्प्रे कीमती है. करीब 50 हजार लीटर स्प्रे का उपयोग किया गया है. वहीं, 20 टीमें सक्रिय है और इन वाहनों का रोजाना हजारों रुपये का डीजल उपयोग में आ रहा है.

बॉर्डर पर ही नियंत्रण की तकनीक नहीं
टिड्डी नियंत्रण विभाग के अधिकारियों के अनुसार उन्हें जैसे ही फाका दल या टिड्डी दल की सूचना मिलती है, वैसे ही मौके पर जाकर स्प्रे करके नियंत्रण करने का प्रयास किया जाता है. उनके अनुसार लगातार पाकिस्तान से फाका दल जैसलमेर के इलाके में आ रहे हैं. बॉर्डर पर ही इनके निस्तारण की कोई तकनीक नहीं है. ऐसे में इन्हें सीमा में प्रवेश करने के साथ ही रोकना संभव नहीं है. इससे आगामी दिनों में ज्यादा नुकसान की संभावना है.

तीन माह में 68 हजार हेक्टेयर पर नियंत्रण
टिड्डी नियंत्रण विभाग के अनुसार जैसलमेर में टिड्डी दलों पर नियंत्रण का काम 22 मई से शुरू हो गया था. तीन माह के अंतराल में करीब 68 हजार हेक्टेयर जमीन पर टिड्डी या फाका दल दिखाई दिए. उन पर स्प्रे कर नियंत्रण किया जा चुका है.फिलहाल पोछीना में लगातार चार दिनों से फाका दल देखे जा रहे हैं। नियंत्रण के लिए जिले में 20 टीमें कार्यरत हैं.

Intro:Body:सीमा पार पाकिस्तान से टिड्डी दल का हमला जारी
टिड्डी पर नहीं हो पा रहा है नियंत्रण
पहले टिड्डी की मार, फिर मौसम की बेरुखी, अब फिर से टिड्डी की मार ....
पाक सीमा से लगातार आ रहे टिड्डी दल
कीटो के कारण सीमावर्ती किसानों की उडी नींद
अब तक 50 हजार लीटर केमिकल का हो चुका छिड़काव
फसलों और पेड़ पोधो का नामोनिशान मिटा रहा है फ़ाक़ा दल
बॉर्डर पर ही टिड्डी दल के नियंत्रण की तकनीक नहीं।

जैसलमेर । जिले में टिड्डी दलों ने किसानों व पशुपालकों के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है। लगातार टिड्डी दल जैसलमेर के विभिन्न इलाकों में पहुंच रहे हैं। टिड्डी नियंत्रण विभाग के प्रयास नाकाम होते नजर आ रहे हैं। कभी नाचना तो कभी भारेवाला में, इतना ही नहीं फ़ील्ड फायरिंग रेंज में भी टिड्डी दलों ने डेरा जमा लिया। फिलहाल पोछीना, नाचना, नोख, नहरी क्षेत्र के 6 टीबा व हमीरनाडा में टिड्‌डी फाका दल दिखाई दिया व आसपास के गांवों में फाका दल मौजूद है और चार दिन से उन पर नियंत्रण करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
अब संकट यह है कि इस बार बारिश तो पर्याप्त हो गई लेकिन पशुओं के लिए अकाल की स्थिति बन सकती है, इसकी वजह फाका दल है। जिले में कई इलाकों में फाका दल मौजूद है और पाकिस्तान से भी लगातार आ रहे हैं। आगामी एक माह में ये फाका दल, बड़ी टिडि्डयों का रूप ले लेंगे और उसके पशुओं के लिए उगे हरे चारे पर संकट के बादल छा जाएंगे और पशुपालकों के सामने मुसीबत खड़ी हो जाएगी। इंद्रदेव की मेहरबानी से चारे की पैदावार तो होगी लेकिन पशुओं को राहत नहीं मिलेगी। जानकारी के अनुसार ये फाका दल पाकिस्तान से लगातार आ रहे हैं। हाल ही में नाचना इलाके में नियंत्रण किया गया तो उसके बाद भारेवाला व पोछीना में फाका दल पहुंच गए। ऐसे में अंदाजा लगाया जा रहा है कि पाकिस्तान से इनके आने का सिलसिला लगातार जारी है। पाकिस्तान ने अपनी सीमा के अंदर 50 किमी पहले तक तो टिड्डी पर नियंत्रण के प्रयास किए लेकिन सीमा के नजदीक किसी भी तरह के प्रयास नहीं किए जिससे वहां पर करोड़ों से भी ज्यादा टिडि्डयों ने प्रजनन किया और अब फाका दल जैसलमेर के इलाकों में प्रवेश कर रहे हैं। पिछले दो माह से पाकिस्तान से लगातार सीमावर्ती क्षेत्र में टिड्डी का हमला जारी है। अब तो टिड्डी फाकापनप चुका है और किसानों के खेतों की बाड़ पर देखा जा रहा है। इससे किसानों को फसलों की चिंता सता रही है। क्षेत्र में पिछले दिनों बरसात के बाद किसान खेतों की देखभाल में जुटे हैं। कई स्थानों पर फसल अंकुरित भी हो रही है,लेकिन बाड़ के पास टिड्डी फाके ने किसानों की नींद उड़ा दी है। जून माह के अंतिम सप्ताह से शुरू हुआ टिड्डी का हमला लगातार चल रहा है।

जहां पहले दौर में टिड्डी दल पहुंचे थे। वहां पर उनके बच्चे फाके के रूप में लाखों की संख्या में निकल रहे हैं। बारिश के बाद किसानों ने बुवाई प्रारंभ कर दी है और खेत के चारों तरफ मेड़बंदी और बाड़ बनानी शुरू कर दी है। बाड़ों के पास भारी मात्रा में आ रही टिड्डियों ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। किसानों को भय सता रहा है कि फसल उगने के साथ ही टिड्डी सफाया कर देगी। छोटी टिडि्डयों को फाका कहा जाता है। जानकारों के अनुसार फाका दल 35 से 50 दिन में टिड्डी दलों का रूप ले लेते हैं। फिलहाल पाकिस्तानी सीमा में इनकी संख्या अनगिनत है, ऐसे में समय के साथ ये टिड्डी दल जैसलमेर की सीमा में प्रवेश करेंगे और किसानों की फसलों के साथ साथ पशुओं के हरे चारे को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इन दिनों टिड्‌डी दल के आतंक से किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरे उभर आई है। नहरी क्षेत्र में टिड्‌डी फाका दल दिखाई दिया। टिड्‌डी फाका दल दिखाई देने के बाद ग्रामीणों ने संबंधित अधिकारियों को भी सूचना दी। टिड्डी फाका दल ने इन क्षेत्रों में फसल, चारे व पेड़ पाैधों को काफी नुकसान पहुंचा दिया है। इस क्षेत्र में टिड्‌डी फाका दल के छोटे छोटे कई ग्रुप देखे गए है। वहीं ग्रामीणों ने आरोप लगाए कि अधिकारियों को सूचना देने के बावजूद अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचे।
टिड्डी नियंत्रण दल लगातार इन पर नियंत्रण के प्रयास कर रहे हैं लेकिन अभी तक लगाम नहीं लगी है। थोड़े थोड़े दिनों के अंतराल में फाका दल जिले के विभिन्न इलाकों में देखने को मिल रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक करोड़ों रुपए खर्च हो चुके हैं। स्प्रे के लिए 96 प्रतिशत मेलाफियोन का उपयोग होता है। यह स्प्रे कीमती है। करीब 50 हजार लीटर स्प्रे का उपयोग किया गया है। वहीं 20 टीमें सक्रिय है और इन वाहनों का रोजाना हजारों रुपए का डीजल उपयोग में आ रहा है।

बॉर्डर पर ही नियंत्रण की तकनीक नहीं
टिड्डी नियंत्रण विभाग के अधिकारियों के अनुसार उन्हें जैसे ही फाका दल या टिड्डी दल की सूचना मिलती है वहां पर जाकर स्प्रे करके नियंत्रण करने का प्रयास किया जाता है। उनके अनुसार लगातार पाकिस्तान से फाका दल जैसलमेर के इलाके में आ रहे हैं, बॉर्डर पर ही इनके निस्तारण की कोई तकनीक नहीं है। ऐसे में इन्हें सीमा में प्रवेश करने के साथ ही रोकना संभव नहीं है। जिससे आगामी दिनों में ज्यादा नुकसान की संभावना है।

तीन माह में 68 हजार हेक्टेयर पर नियंत्रण
विभाग के अनुसार जैसलमेर में टिड्डी दलों पर नियंत्रण का काम 22 मई से शुरू हो गया था। तीन माह के अंतराल में करीब 68 हजार हेक्टेयर जमीन पर टिड्डी या फाका दल दिखाई दिए उन पर स्प्रे कर नियंत्रण किया जा चुका है। फिलहाल पोछीना में लगातार चार दिनों से फाका दल देखे जा रहे हैं। नियंत्रण के लिए जिले में 20 टीमें कार्यरत है।

बाईट-1-जयसिंह , किसान
बाईट-2- चन्द्रप्रकाश , किसान
बाईट-3- नमित मेहता . जिला कलेक्टर , जैसलमेरConclusion:
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