जैसलमेर. लोक देवता बाबा रामदेव जिन्हें भगवान श्री कृष्ण का कलयुगी अवतार माना गया है. बता दें कि यह तीर्थ हिन्दुओं के लिये बाबा रामदेव और मुस्लिम समुदाय के लिये रामसा पीर के नाम से प्रसिद्ध है. इसी बाबा रामदेव की नगरी से आज हम आस्था की एक ऐसी कहानी लेकर आएं है जो आपको हैरान कर देगी.
सरहदी जिले बाड़मेर के बालोतरा का रहने वाला 65 वर्षीय सकाराम जो पिछले 9 सालों से बालोतरा से रामदेवरा तक दंडवत आ कर बाबा के दर्शन करता है. दरअसल, सकाराम ने बाबा रामदेव से एक मन्नत मांगी थी जिसके बदले उसने 12 बार कनक दंडवत बाबा की समाधि के दर्शनों की बात कही थी. जिसमें वह 9 बार सफलतापूर्वक रामदेवरा पहुंच चुका है. तेज चिलचिलाती धूप और तेज तपन पैदा करने वाली डांबर की सड़के जिस पर पैदल चलना भी मुश्किल होता है, वहां सकाराम घुटनों के बल चलकर अपने श्रद्धेय बाबा रामदेव की समाधि के दर्शन करने पहुंचा है.
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सकाराम ने बताया कि पिछले 34 दिनों से वो लगातार यात्रा करते हुए रामदेवरा पहुंचा है. सकाराम का कहना है कि इस कठिन यात्रा के लिये उसका शरीर भले ही बूढ़ा हो गया हो लेकिन बाबा रामदेव उसे शक्ति प्रदान करते हैं. जिसके कारण इस कठिन यात्रा को वह आसानी से पूरा कर लेता है. सकाराम ने बताया कि पिछले 34 दिनों तक घुटनों के बल चलते हुए उसने प्रण किया था कि जबतक वह बाबा के दर्शन नहीं कर लेता तबतक अन्न गृहण नहीं करेगा. ऐसे में भूख-प्यास को पीछे छोड़ते हुए रामदेवरा पहुंचे सकाराम की भक्ति को देखकर हरकोई अचभिंत है.
सकाराम ने यह भी बताया कि उसने 12 बार बाबा रामदेव जी समाधि पर दंडवत आने की मन्नत मांगी थी. उसी के चलते वह पिछले 9 वर्ष से कनक दंडवत करते हुए पहुंच रहा है, लेकिन इस बार उम्र के इस पड़ाव में वह दोनों हाथों पर उठ नहीं पा रहा और एक दुर्घटना में उसका एक पैर भी टूट गया. जिसके कारण वह इस वर्ष दंडवत कर आने की जगह घुटनों के बल चलकर बाबा के दर्शन करने पहुंचा है.
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भगवान होता है या नहीं यह बहस भले ही बेनतीजा रही हो, लेकिन सकाराम जैसे लोगों को देखकर यही लगता है कि 64 साल की उम्र में जब कोई व्यक्ति पैदल चलने में भी तकलीफ महसूस करता है, ऐसे में भक्त का घुटनों के बल चलकर सैकड़ों किलोमीटर दूर पहुंचना स्पष्ट करता है कि दुनिया में कोई तो ऐसी शक्ति जरूर है जो सकाराम जैसे भक्तों को उर्जा प्रदान करती है.