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आस्था का अनूठा रंग : 64 वर्षीय बुजुर्ग सैकड़ों किलोमीटर घुटनों के बल पहुंचा रामदेवरा

आस्था का कोई पैमाना नहीं होता अगर भगवान के प्रति सच्ची श्रद्धा हो तो भक्त किसी भी विपरीत परिस्थिति से लड़ जाता है और इस लड़ाई में भगवान भी उसका पूरा साथ देते हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं जैसलमेर जिले के रामदेवरा तीर्थ की. जिसे पश्चिमी राजस्थान का महातीर्थ कहा जाता है और यहां राजस्थान के साथ-साथ देश के कई इलाकों से लोग दर्शन करने के लिये आते हैं. बाबा रामदेव के मेले में भक्तों की आस्था के कई रंग देखने को मिलते हैं. जिसे देखकर साधारण व्यक्ति हक्का बक्का रह जाता है.

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Published : Sep 14, 2019, 11:57 PM IST

जैसलमेर. लोक देवता बाबा रामदेव जिन्हें भगवान श्री कृष्ण का कलयुगी अवतार माना गया है. बता दें कि यह तीर्थ हिन्दुओं के लिये बाबा रामदेव और मुस्लिम समुदाय के लिये रामसा पीर के नाम से प्रसिद्ध है. इसी बाबा रामदेव की नगरी से आज हम आस्था की एक ऐसी कहानी लेकर आएं है जो आपको हैरान कर देगी.

64 वर्षीय बुजुर्ग सैकड़ों किलोमीटर घुटनों के बल पहुंचा रामदेवरा

सरहदी जिले बाड़मेर के बालोतरा का रहने वाला 65 वर्षीय सकाराम जो पिछले 9 सालों से बालोतरा से रामदेवरा तक दंडवत आ कर बाबा के दर्शन करता है. दरअसल, सकाराम ने बाबा रामदेव से एक मन्नत मांगी थी जिसके बदले उसने 12 बार कनक दंडवत बाबा की समाधि के दर्शनों की बात कही थी. जिसमें वह 9 बार सफलतापूर्वक रामदेवरा पहुंच चुका है. तेज चिलचिलाती धूप और तेज तपन पैदा करने वाली डांबर की सड़के जिस पर पैदल चलना भी मुश्किल होता है, वहां सकाराम घुटनों के बल चलकर अपने श्रद्धेय बाबा रामदेव की समाधि के दर्शन करने पहुंचा है.

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सकाराम ने बताया कि पिछले 34 दिनों से वो लगातार यात्रा करते हुए रामदेवरा पहुंचा है. सकाराम का कहना है कि इस कठिन यात्रा के लिये उसका शरीर भले ही बूढ़ा हो गया हो लेकिन बाबा रामदेव उसे शक्ति प्रदान करते हैं. जिसके कारण इस कठिन यात्रा को वह आसानी से पूरा कर लेता है. सकाराम ने बताया कि पिछले 34 दिनों तक घुटनों के बल चलते हुए उसने प्रण किया था कि जबतक वह बाबा के दर्शन नहीं कर लेता तबतक अन्न गृहण नहीं करेगा. ऐसे में भूख-प्यास को पीछे छोड़ते हुए रामदेवरा पहुंचे सकाराम की भक्ति को देखकर हरकोई अचभिंत है.

सकाराम ने यह भी बताया कि उसने 12 बार बाबा रामदेव जी समाधि पर दंडवत आने की मन्नत मांगी थी. उसी के चलते वह पिछले 9 वर्ष से कनक दंडवत करते हुए पहुंच रहा है, लेकिन इस बार उम्र के इस पड़ाव में वह दोनों हाथों पर उठ नहीं पा रहा और एक दुर्घटना में उसका एक पैर भी टूट गया. जिसके कारण वह इस वर्ष दंडवत कर आने की जगह घुटनों के बल चलकर बाबा के दर्शन करने पहुंचा है.

यह भी पढे़ं : मोदी 2.0 के 100 दिन का रिपोर्ट कार्ड: करौली के युवा बोले- रोजगार भी मिलेगा..मोदी हैं तो मुमकिन है

भगवान होता है या नहीं यह बहस भले ही बेनतीजा रही हो, लेकिन सकाराम जैसे लोगों को देखकर यही लगता है कि 64 साल की उम्र में जब कोई व्यक्ति पैदल चलने में भी तकलीफ महसूस करता है, ऐसे में भक्त का घुटनों के बल चलकर सैकड़ों किलोमीटर दूर पहुंचना स्पष्ट करता है कि दुनिया में कोई तो ऐसी शक्ति जरूर है जो सकाराम जैसे भक्तों को उर्जा प्रदान करती है.

जैसलमेर. लोक देवता बाबा रामदेव जिन्हें भगवान श्री कृष्ण का कलयुगी अवतार माना गया है. बता दें कि यह तीर्थ हिन्दुओं के लिये बाबा रामदेव और मुस्लिम समुदाय के लिये रामसा पीर के नाम से प्रसिद्ध है. इसी बाबा रामदेव की नगरी से आज हम आस्था की एक ऐसी कहानी लेकर आएं है जो आपको हैरान कर देगी.

64 वर्षीय बुजुर्ग सैकड़ों किलोमीटर घुटनों के बल पहुंचा रामदेवरा

सरहदी जिले बाड़मेर के बालोतरा का रहने वाला 65 वर्षीय सकाराम जो पिछले 9 सालों से बालोतरा से रामदेवरा तक दंडवत आ कर बाबा के दर्शन करता है. दरअसल, सकाराम ने बाबा रामदेव से एक मन्नत मांगी थी जिसके बदले उसने 12 बार कनक दंडवत बाबा की समाधि के दर्शनों की बात कही थी. जिसमें वह 9 बार सफलतापूर्वक रामदेवरा पहुंच चुका है. तेज चिलचिलाती धूप और तेज तपन पैदा करने वाली डांबर की सड़के जिस पर पैदल चलना भी मुश्किल होता है, वहां सकाराम घुटनों के बल चलकर अपने श्रद्धेय बाबा रामदेव की समाधि के दर्शन करने पहुंचा है.

यह भी पढे़ं : जोधपुर-ब्यास और जोधपुर-सत्संग किराया स्पेशल रेल सेवा में डिब्बों की बढ़ोतरी

सकाराम ने बताया कि पिछले 34 दिनों से वो लगातार यात्रा करते हुए रामदेवरा पहुंचा है. सकाराम का कहना है कि इस कठिन यात्रा के लिये उसका शरीर भले ही बूढ़ा हो गया हो लेकिन बाबा रामदेव उसे शक्ति प्रदान करते हैं. जिसके कारण इस कठिन यात्रा को वह आसानी से पूरा कर लेता है. सकाराम ने बताया कि पिछले 34 दिनों तक घुटनों के बल चलते हुए उसने प्रण किया था कि जबतक वह बाबा के दर्शन नहीं कर लेता तबतक अन्न गृहण नहीं करेगा. ऐसे में भूख-प्यास को पीछे छोड़ते हुए रामदेवरा पहुंचे सकाराम की भक्ति को देखकर हरकोई अचभिंत है.

सकाराम ने यह भी बताया कि उसने 12 बार बाबा रामदेव जी समाधि पर दंडवत आने की मन्नत मांगी थी. उसी के चलते वह पिछले 9 वर्ष से कनक दंडवत करते हुए पहुंच रहा है, लेकिन इस बार उम्र के इस पड़ाव में वह दोनों हाथों पर उठ नहीं पा रहा और एक दुर्घटना में उसका एक पैर भी टूट गया. जिसके कारण वह इस वर्ष दंडवत कर आने की जगह घुटनों के बल चलकर बाबा के दर्शन करने पहुंचा है.

यह भी पढे़ं : मोदी 2.0 के 100 दिन का रिपोर्ट कार्ड: करौली के युवा बोले- रोजगार भी मिलेगा..मोदी हैं तो मुमकिन है

भगवान होता है या नहीं यह बहस भले ही बेनतीजा रही हो, लेकिन सकाराम जैसे लोगों को देखकर यही लगता है कि 64 साल की उम्र में जब कोई व्यक्ति पैदल चलने में भी तकलीफ महसूस करता है, ऐसे में भक्त का घुटनों के बल चलकर सैकड़ों किलोमीटर दूर पहुंचना स्पष्ट करता है कि दुनिया में कोई तो ऐसी शक्ति जरूर है जो सकाराम जैसे भक्तों को उर्जा प्रदान करती है.

Intro:Body:Note:- स्टोरी में वीओ करना है

आस्था का अनूठा रंग
64 वर्षीय बुजुर्ग घुटनों के बल सैकडों किलोमीटर चल पहुंचा रामदेवरा
इससे पहले 9 बार दंडवत पहुँचा था रामदेवरा
34 दिनों में अपनी यात्रा की पूरी
साथ ही यात्रा के दौरान रखा उपवास
कहते हैं कि आस्था का कोई पैमाना नहीं होता है। भगवान के प्रति अगर सच्ची श्रद्धा हो तो भक्त किसी भी विपरीत परिस्थिति से लड़ जाता है और उसकी इस लडाई में भगवान भी उसका पूरा साथ भी देते हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं जैसलमेर जिले के रामदेवरा तीर्थ की जिसे पश्चिमी राजस्थान का महातीर्थ कहा जाता है और यहां पर राजस्थान के साथ साथ देश के विभिन्न इलाकों से लोग दर्शन करने के लिये आते हैं। बाबा रामदेव का मेला एक ऐसा स्थल है जहां पर भक्तों की आस्था के कई रंग देखने को मिलते हैं जिसे देखकर साधारण व्यक्ति दांतों तले उंगली दबा ले कि क्या वास्तव में ऐसा भी होता है।

जी हां......... लोक देवता बाबा रामदेव जिन्हें भगवान श्री कृष्ण का कलयुगी अवतार माना गया है और यह तीर्थ हिन्दुओं के लिये बाबा रामदेव व मुस्लिम समुदाय के लिये रामसा पीर के नाम से सांप्रदायिक सौहार्द की भी बडी मिशाल के रूप में जाना जाता है। इसी बाबा रामदेव की नगरी से आज हम लेकर आये हैं आस्था की एक ऐसी कहानी जो आपको अचंभित कर देगी और सोचने पर मजबूर कर देगी कि क्या वाकई ऐसा होता है।

सरहदी जिले बाडमेर के बालोतरा का रहने वाला 65 वर्षीय सकाराम जो पिछले नौं सालों से बालोतरा से रामदेवरा तक दंडवत आ कर बाबा के दर्शन करता है। जी हां सकाराम ने बाबा रामदेव से एक मन्नत मांगी थी जिसके बदले उसने 12 बार कनक दण्डवत बाबा की समाधि के दर्शनों की बात कही थी , जिसमें इस बार नौंवी बार वो सफलतापूर्वक रामदेवरा पहुंचा है। तेज चिलचिलाती धूप और तेज तपन पैदा करने वाली डांबर की सडके जिस पर पैदल चलना भी मुश्किल होता है, वहां सकाराम घुटनों के बल चलकर अपने श्रद्धेय बाबा रामदेव की समाधि के दर्षन करने पहुंचा है। सकाराम ने बताया कि पिछले 34 दिनों से वो लगातार यात्रा करते हुए रामदेवरा पहुंचा है। सकाराम का कहना है इस कठिन यात्रा के लिये उसका शरीर भले ही बूढा हो गया हो लेकिन बाबा रामदेव उसे शक्ति प्रदान करते हैं, जिसके बलबूते वो अपनी इस कठिन यात्रा को आसानी से पूरा कर लेता है। सकाराम ने बताया कि पिछले 34 दिनों तक घुटनों के बल चलते हुए उसने प्रण किया था कि जबतक वह बाबा रामदेव के दर्शन नहीं कर लेता तबतक अन्न भी गृहण नहीं करेगा ऐसे में भूख - प्यास को पीछे छोडते हुए अपने उपवास के साथ रामदेवरा पहुंचे सकाराम की भक्ति को देखकर रामदेवरा में हरकोई अचभिंत हो रहा था।
सकाराम ने यह भी बताया कि उसने 12 बार बाबा रामदेव जी समाधि पर दंडवत आने की मन्नत मांगी थी उसी के चलते वह पिछले 9 वर्ष से कनक दंडवत करते हुए पहुंच रहा है, लेकिन इस बार उम्र के इस पड़ाव में वह दोनों हाथों पर उठ नहीं पा रहा है साथ ही एक दुर्घटना में उसके पाव भी टूट गया जिसके कारण वह इस वर्ष दंडवत कर आने की जगह घुटनों के बल चलकर बाबा रामदेव समाधि के दर्शन करने आया है ।

भगवान होता है या नहीं यह बहस भले ही बेनतीजा रही हो लेकिन सकाराम जैसे लोगों को देखकर यही लगता है कि 64 साल की उम्र में जब कोई व्यक्ति पैदल चलने में भी तकलीफ महसूस करता है, ऐसे में भक्त का घुटनों के बल चलकर सैकडों किलोमीटर दूर पहुंचना स्पष्ट करता है कि दुनिया में कोई तो ऐसी शक्ति जरूर है जो सखाराम सरीखे भक्तों को उर्जा प्रदान करती है।
बाईट-1- सकाराम, भक्त बाबा रामदेव, जैसलमेर  Conclusion:
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