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जल जीवन मिशन घोटाला : हाईकोर्ट ने पूछा- ACB बताए सक्षम अधिकारी की अनुमति से पहले जांच की या नहीं - RAJASTHAN HIGH COURT

राजस्थान हाईकोर्ट ने जल जीवन मिशन घोटाले से जुड़े मामले में राज्य सरकार और एसीबी से जवाब-तलब किया है.

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 23, 2025, 9:03 PM IST

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने जल जीवन मिशन घोटाले से जुड़े मामले में राज्य सरकार और एसीबी से यह बताने को कहा है कि मामले में सक्षम अधिकारी की अनुमति से पहले याचिकाकर्ताओं के खिलाफ प्रारंभिक जांच की गई थी या नहीं? इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ताओं से जुड़े मामले में केस डायरी व मौजूदा तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करने को कहा है. जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश रमेश चन्द्र मीणा व दो अन्य याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए.

मामले से जुड़े अधिवक्ता दीपक चौहान और सुधीर जैन ने अदालत को बताया कि एसीबी ने 30 अक्टूबर 2024 को जल जीवन मिशन घोटाले से जुड़े मामले में प्रार्थियों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया, लेकिन एसीबी ने इससे पहले सक्षम प्राधिकारी से अनुमति नहीं ली. एसीबी ने प्राथमिक जांच 18 जनवरी 2024 से शुरू की. जबकि सक्षम अधिकारी से 4 जुलाई व 26 सितंबर 2024 को अनुमति ली है.

पढ़ें: जेजेएम मिशन घोटाले के ईडी प्रकरण में ठेकेदार पदम चंद को जमानत, इसे माना आधार

याचिका में कहा गया कि पीसी एक्ट की धारा 17 ए के तहत प्राथमिक जांच करने से पहले अनुमति लेना जरूरी है. ऐसे में एसीबी की पूरी कार्रवाई ही दूषित है. वहीं जिन तथ्यों पर ये एफआईआर दर्ज हुई हैं, उन तथ्यों पर एसीबी पहले ही एफआईआर दर्ज कर चुकी है और याचिकाकर्ताओं के खिलाफ लगाए आरोप भी साबित नहीं हो रहे हैं. जिन सर्टिफिकेट के आधार पर अन्य आरोपियों को टेंडर मिले थे, उनसे याचिकाकर्ताओं का कोई भी लेना-देना नहीं है.

याचिकाकर्ता टेंडर जारी करने के लिए अधिकृत भी नहीं थे. उनको नियमानुसार और कानूनी दायरे में रहकर ही काम किया है. इसलिए उनके खिलाफ एसीबी की ओर से दर्ज एफआईआर को रद्द किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने मामले में राज्य सरकार से तथ्यात्मक रिपोर्ट और सक्षम अधिकारी से अनुमति से पूर्व जांच करने के संबंध में जानकारी पेश करने को कहा है.

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने जल जीवन मिशन घोटाले से जुड़े मामले में राज्य सरकार और एसीबी से यह बताने को कहा है कि मामले में सक्षम अधिकारी की अनुमति से पहले याचिकाकर्ताओं के खिलाफ प्रारंभिक जांच की गई थी या नहीं? इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ताओं से जुड़े मामले में केस डायरी व मौजूदा तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करने को कहा है. जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश रमेश चन्द्र मीणा व दो अन्य याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए.

मामले से जुड़े अधिवक्ता दीपक चौहान और सुधीर जैन ने अदालत को बताया कि एसीबी ने 30 अक्टूबर 2024 को जल जीवन मिशन घोटाले से जुड़े मामले में प्रार्थियों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया, लेकिन एसीबी ने इससे पहले सक्षम प्राधिकारी से अनुमति नहीं ली. एसीबी ने प्राथमिक जांच 18 जनवरी 2024 से शुरू की. जबकि सक्षम अधिकारी से 4 जुलाई व 26 सितंबर 2024 को अनुमति ली है.

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याचिका में कहा गया कि पीसी एक्ट की धारा 17 ए के तहत प्राथमिक जांच करने से पहले अनुमति लेना जरूरी है. ऐसे में एसीबी की पूरी कार्रवाई ही दूषित है. वहीं जिन तथ्यों पर ये एफआईआर दर्ज हुई हैं, उन तथ्यों पर एसीबी पहले ही एफआईआर दर्ज कर चुकी है और याचिकाकर्ताओं के खिलाफ लगाए आरोप भी साबित नहीं हो रहे हैं. जिन सर्टिफिकेट के आधार पर अन्य आरोपियों को टेंडर मिले थे, उनसे याचिकाकर्ताओं का कोई भी लेना-देना नहीं है.

याचिकाकर्ता टेंडर जारी करने के लिए अधिकृत भी नहीं थे. उनको नियमानुसार और कानूनी दायरे में रहकर ही काम किया है. इसलिए उनके खिलाफ एसीबी की ओर से दर्ज एफआईआर को रद्द किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने मामले में राज्य सरकार से तथ्यात्मक रिपोर्ट और सक्षम अधिकारी से अनुमति से पूर्व जांच करने के संबंध में जानकारी पेश करने को कहा है.

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