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इंदिरा की मूर्ति को किया बंधन से मुक्त, रेनवाल नगरपालिका परिसर में 18 साल से कपड़ों से लिपटी और रस्सियां से बंधी थी

जयपुर के रेनवाल नगरपालिका परिसर में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मूर्ति 18 साल से कपड़ों से लिपटी और रस्सियां से बंधी थी. जिसे कुछ युवकों ने शुक्रवार की रात बंधन मुक्त कर दिया.

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Published : Nov 23, 2019, 11:27 AM IST

Updated : Nov 23, 2019, 11:47 AM IST

रेनवाल (जयपुर). रेनवाल नगरपालिका परिसर में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 18 साल से कपड़ों से लिपटी मूर्ति को शुक्रवार को कुछ युवकों ने मुक्त करवाया. बता दें कि शुक्रवार रात करीब 11 बजे युवा कार्यकर्ता महेन्द्र सुल्तानियां के साथ करीब एक दर्जन युवा अचानक नगरपालिका पहुंचे.

जहां कार्यकर्ताओं ने मौजूद कर्मचारी को दूर जाकर बैठने के लिए कहा और मूर्ति पर लिपटे कपड़े और रस्सियां खोल दी. साथ ही मूर्ति को सूत की माला पहना दी. इसके बाद कार्यकर्ता इंदिरा गांधी के जयकारे लगाने लगे. पालिका कर्मचारी की शिकायत के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और कुछ युवकों को पकड़ कर ले गई.

जयपुर में युवाओं ने इंदिरा गांधी की मूर्ति को किया बंधन से मुक्त

वहीं युवा कार्यकर्ताओं का कहना है कि उन्हें देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिराजी की मूर्ति कई वर्षों से कपड़ों में लिपटी होने का बहुत दर्द है. यह अपमान वह सहन नहीं कर सकते इसलिए मूर्ति को कपड़ों के बंधन से दूर करने आए हैं, जिसमें वो सफल भी रहे.

क्या है मामला

स्वर्गीय इंदिराजी की मूर्ति 18 साल बाद भी जयपुर जिले के रेनवाल नगरपालिका परिसर में अनावरण के इंतजार में कपड़ों से लिपटी थी. मूर्ति के अनावरण नहीं होनें के पीछे स्थानीय कांग्रेस और भाजपा नेता दोनों बराबर के जिम्मेदार हैं. पिछले 18 साल में भाजपा और कांग्रेस दोनों की राज्य में सरकार रही है, लेकिन स्थानीय स्तर पर आपसी खींचतान के कारण देश की पूर्व प्रधानमंत्री की मूर्ति का अनावरण नहीं हो सका.
1986 में 17 हजार की लागत से तैयार हुई थी

मूर्ति 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उनकी दूसरी पुण्य तिथि पर शहर के कांग्रेसियों ने गांधी की मूर्ति स्थापना समिति का गठन कर मूर्ति का निमार्ण करवाया था. मूर्ति को पहले कबूतर निवास के पास स्थापित करने का विचार था. बता दें कि मूर्ति करीब ढ़ाई फुट की है.

21 सितंबर 1989 को जयपुर में स्वायत शासन मंत्री की अध्यक्षता में मूर्ति स्थापना समिति की बैठक में स्थानीय विपक्षी नेताओं की शिकायत के बाद इसको कबूतर निवास की जगह अन्य जगह पर लगानें का सुझाव दिया गया. 6 अक्टूबर 1991 को नगरपालिका की बोर्ड बैठक में इंदिराजी की मूर्ति को पालिका परिसर में लगानें का प्रस्ताव तो लिया गया, लेकिन मूर्ति नहीं लग पाई.

यह भी पढ़ें- अलवरः बानसूर सड़क हादसे में महिला की दर्दनाक मौत, ग्रामीणों ने लगाया जाम

आपको बता दें कि साल 2001 में पालिका परिसर में पूर्व प्रधानमंत्री की मूर्ति रातों रात स्थापित कर दी गई, लेकिन राज्य सरकार को शिकायते जानें के बाद अनावरण अटक गया, जो आज तक अटका हुआ था. वहीं सरकार ने अनावरण नहीं होनें तक नगरपालिका को मूर्ति की चौकसी के निर्देश भी दिए थे. पिछले 18 साल से नगरपालिका मूर्ति के चौकीदारों के लिए कर्मचारी नियुक्त कर रखे हैं, जो चौबीसों घंटे मूर्ति की निगरानी करते हैं.

रेनवाल (जयपुर). रेनवाल नगरपालिका परिसर में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 18 साल से कपड़ों से लिपटी मूर्ति को शुक्रवार को कुछ युवकों ने मुक्त करवाया. बता दें कि शुक्रवार रात करीब 11 बजे युवा कार्यकर्ता महेन्द्र सुल्तानियां के साथ करीब एक दर्जन युवा अचानक नगरपालिका पहुंचे.

जहां कार्यकर्ताओं ने मौजूद कर्मचारी को दूर जाकर बैठने के लिए कहा और मूर्ति पर लिपटे कपड़े और रस्सियां खोल दी. साथ ही मूर्ति को सूत की माला पहना दी. इसके बाद कार्यकर्ता इंदिरा गांधी के जयकारे लगाने लगे. पालिका कर्मचारी की शिकायत के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और कुछ युवकों को पकड़ कर ले गई.

जयपुर में युवाओं ने इंदिरा गांधी की मूर्ति को किया बंधन से मुक्त

वहीं युवा कार्यकर्ताओं का कहना है कि उन्हें देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिराजी की मूर्ति कई वर्षों से कपड़ों में लिपटी होने का बहुत दर्द है. यह अपमान वह सहन नहीं कर सकते इसलिए मूर्ति को कपड़ों के बंधन से दूर करने आए हैं, जिसमें वो सफल भी रहे.

क्या है मामला

स्वर्गीय इंदिराजी की मूर्ति 18 साल बाद भी जयपुर जिले के रेनवाल नगरपालिका परिसर में अनावरण के इंतजार में कपड़ों से लिपटी थी. मूर्ति के अनावरण नहीं होनें के पीछे स्थानीय कांग्रेस और भाजपा नेता दोनों बराबर के जिम्मेदार हैं. पिछले 18 साल में भाजपा और कांग्रेस दोनों की राज्य में सरकार रही है, लेकिन स्थानीय स्तर पर आपसी खींचतान के कारण देश की पूर्व प्रधानमंत्री की मूर्ति का अनावरण नहीं हो सका.
1986 में 17 हजार की लागत से तैयार हुई थी

मूर्ति 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उनकी दूसरी पुण्य तिथि पर शहर के कांग्रेसियों ने गांधी की मूर्ति स्थापना समिति का गठन कर मूर्ति का निमार्ण करवाया था. मूर्ति को पहले कबूतर निवास के पास स्थापित करने का विचार था. बता दें कि मूर्ति करीब ढ़ाई फुट की है.

21 सितंबर 1989 को जयपुर में स्वायत शासन मंत्री की अध्यक्षता में मूर्ति स्थापना समिति की बैठक में स्थानीय विपक्षी नेताओं की शिकायत के बाद इसको कबूतर निवास की जगह अन्य जगह पर लगानें का सुझाव दिया गया. 6 अक्टूबर 1991 को नगरपालिका की बोर्ड बैठक में इंदिराजी की मूर्ति को पालिका परिसर में लगानें का प्रस्ताव तो लिया गया, लेकिन मूर्ति नहीं लग पाई.

यह भी पढ़ें- अलवरः बानसूर सड़क हादसे में महिला की दर्दनाक मौत, ग्रामीणों ने लगाया जाम

आपको बता दें कि साल 2001 में पालिका परिसर में पूर्व प्रधानमंत्री की मूर्ति रातों रात स्थापित कर दी गई, लेकिन राज्य सरकार को शिकायते जानें के बाद अनावरण अटक गया, जो आज तक अटका हुआ था. वहीं सरकार ने अनावरण नहीं होनें तक नगरपालिका को मूर्ति की चौकसी के निर्देश भी दिए थे. पिछले 18 साल से नगरपालिका मूर्ति के चौकीदारों के लिए कर्मचारी नियुक्त कर रखे हैं, जो चौबीसों घंटे मूर्ति की निगरानी करते हैं.

Intro:जयपुर जिले के रेनवाल नगरपालिका परिसर में 18वर्ष से कपड़ो से लिपटी व रस्सियां से बंधी
प्रथम प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मूर्ति का कुछ युवकों ने बंधन मुक्त कर दिया। रात करीब 11बजे युवा कार्यकर्ता महेन्द्र सुल्तानियां के साथ
करीब एक दर्जन युवा अचानक नगरपालिका पहंुचे। वहां मौजूद कर्मचारी को धमका
दिया, जिससे वो दूर जाकर बैठ गया। कार्यकर्ताओं ने मूर्ति के लिपटे कपडे व रस्सियां खोल दी तथा सूत की माला पहना दी।Body:इसके बाद कार्यकर्ता इंदिरा
गांधी के जयकारे लगाने लगे। पालिका कर्मचारी की शिकायत के बाद पुलिस मौके पर पहंुची तथा कुछ युवकों को पकड़ कर गाड़ी में ले गई।
वही युवा कार्यकर्ताआें का कहना था कि उसे देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिराजी की मूर्ति कई वर्षो से कपड़ो से लिपटी होने का बहुत दर्द है। यह अपमान हम सहन नही कर सकते इसलिए आज मूर्ति को कपड़ो के बंधन काे दूर करने आया है, जिसमें
वो सफल भी रहे।Conclusion:क्या है मामला-
प्रधानमंत्री की मूर्ति 18 वर्ष बाद भी जयपुर जिले के रेनवाल नगरपालिका परिसर में अनावरण के इंतजार में कपड़ों से लिपटी खड़ी थी। मूर्ति के अनावरण नहीं होनें के पीछे स्थानीय कांग्रेस व भाजपा नेता दोनों बराबर के जुम्मेदार है। पिछले 18 वर्ष में भाजपा व कांग्रेस दोनों की राज्य में सरकार रही है। लेकिन स्थानीय स्तर पर आपसी खींचतान के कारण देश की पूर्व प्रधानमंत्री की मूर्ति का अनावरण नहीं हो सका है। 1986 में 17हजार की लागत से तैयार हुई थी मूर्ति 31अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उनकी दूसरी पुण्य तिथि पर शहर के कांग्रेसियों ने गांधी की मूर्ति स्थापना समिति का गठन कर मूर्ति का निमार्ण करवाया था। मूर्ति को पहले कबूतर निवास के पास स्थापित करने का
विचार था। मूर्ति करीब ढ़ाई फुट की है।
21सितंबर 1989 को जयपुर में स्वायत शासन मंत्री की अध्यक्षता में मूर्ति स्थापना समिति की बैठक में स्थानीय विपक्षी नेताओं की शिकायत के बाद इसको कबूतर निवास की जगह अन्य जगह पर लगानें का सुझाव दिया गया। 6अक्टूबर 1991 को नगरपालिका की बोर्ड बैठक में इंदिराजी की मूर्ति को पालिका परिसर में
लगानें का प्रस्ताव तो लिया गया, लेकिन मूर्ति नहीं लग पाई। वर्ष 2001 में पालिका परिसर में पूर्व प्रधानमंत्री की मूर्ति रातों रात स्थापित कर
दी गई। लेकिन राज्य सरकार को शिकायते जानें के बाद अनावरण अटक गया, जो आज तक अटका हुआ था। वही सरकार ने अनावरण नहीं होनें तक नगरपालिका को मूर्ति की चौकसी के निर्देश भी दिए थे। पिछले 18 साल से नगरपालिका मूर्ति के चोकीदारी के लिए
कर्मचारी नियुक्त कर रखे है,जो चोवीसों घंटे मूर्ति की निगरानी रखते थे।

विजूयल व बाईट -
बाईट-युवा नेता

इटीवी भारत के लिए शिवराज सिंह शेखावत , रेनवाल (जयपुर)
Last Updated : Nov 23, 2019, 11:47 AM IST
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