जयपुर. आगामी राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने एक-एक वोट की गणित लगाना शुरू कर दिया है. प्रवासी राजस्थानियों के जरिए बीजेपी सत्ता वापसी की तैयारी में नज आ रही है. इसके लिए 8 जनवरी को बीजेपी अलग-अलग राज्यों में रह रहे प्रवासी राजस्थानियों का सम्मेलन राजधानी में कराने जा रही है. इन प्रवासियों के जरिये बीजेपी इनके रिश्तेदारों को भी पार्टी की विचारधारा के साथ जोड़ने की कोशिश (BJP targeting Pravasi Rajasthani voters) करेगी.
15 राज्यों के प्रवासी होंगे शामिल: प्रवासी राजस्थानी प्रकोष्ठ के संयोजक राजू मंगोड़ीवाला ने बताया कि 8 जनवरी को नारायण सिंह सर्किल स्थित इन्द्र लोक नसियां में प्रवासी राजस्थानी प्रकोष्ठ की एक दिन की कार्यशाला आयोजित की (Workshop of BJP Overseas Cell on January 8) जाएगी. इसमें करीब 15 राज्यों के प्रकोष्ठ से प्राधिकारी शामिल होंगे. इस आयोजन के पीछे मंशा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में इन प्रवासियों को बीजेपी की रीति और नीति से जोड़ा जाए. इस कार्यशाला में महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, नेपाल, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल, पश्चिम बंगाल, चेन्नई, बैंकॉक, जापान, जर्मनी आदि जगहों से चुनिंदा 250 प्रतिनिधि भाग लेंगे.
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इसके साथ ही प्रवासी प्रकोष्ठ के सभी प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य और जिला संयोजक, जिला सह संयोजक उपस्थित रहेंगे. कार्यशाला को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया और प्रदेश संगठन महामंत्री चन्द्रशेखर संबोधित करेंगे. उन्होंने बताया कि राजस्थान चुनाव के संदर्भ में प्रवासी राजस्थानियों के सुझाव भी आमंत्रित किए जाएंगे. इसमें प्रवासी चुनाव में कैसे भागीदारी निभाएंगे, इस पर भी विचार होगा तथा उनकी जिम्मेदारियां भी तय की जा सकती हैं.
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प्रवासियों के रिश्तेदारों पर भी बीजेपी की नजर: प्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष रूप से देखें तो डेढ़ करोड़ प्रवासी राजस्थानी देश के 15 राज्यों में रहते हैं. इनमें से करीब 25 प्रतिशत प्रदेश में वोटर हैं और बाकी 75 फीसदी वे हैं जिनकी जड़ें यानी रिश्तेदार सगे-संबंधी प्रदेश में रहते हैं. बीजेपी की रणनीति है कि इन प्रवासियों के जरिये प्रदेश में रह रहे इनके रिश्तेदारों को भी पार्टी की विचारधारा से जोड़ा जाए. ताकि ये आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी के पक्ष में वोट कर सकें.
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प्रवासी प्रकोष्ठ के सह संयोजक तेजराज सोलंकी ने बताया कि कार्यशाला के बाद इन प्रवासियों के जरिये इनके रिश्तेदारों तक पार्टी पहुंचेगी. सोलंकी ने बताया कि गुजरात चुनाव में राजस्थानी वोटर ने अपनी भूमिका निभाई थी. ऐसे ही अन्य प्रदेशों में भी प्रवासियों का प्रभाव है. इन सब को पार्टी से जोड़ने के लिए प्रवासी प्रकोष्ठ काम कर रहा है. बता दें कि पिछले चुनाव में कांग्रेस के मुकाबले भाजपा को करीब 1.49 लाख वोटर कम पड़े थे. इतने ही वोट से भाजपा को सत्ता से हाथ धोना पड़ा था. ऐसे में भाजपा इस बार एक-एक वोट की कीमत समझ रही है. प्रवासियों और उनके रिश्तेदारों के वोटरों को लुभाने के लिए भाजपा ने यह रणनीति अपनाई है.