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स्पेशल रिपोर्टः भारतीय संविधान में राजस्थान के हस्तशिल्प कलाकार की कारीगरी - Workmanship of Rajasthan handicraft artist in Indian constitution

भारत के संविधान की मूल प्रति में 22 चित्र भारत के वैभवशाली इतिहास, परम्‍परा और संस्‍कृति को दर्शाते हैं. जिनका निर्माण विख्‍यात चित्रकार नंदलाल बोस ने किया था और इसमें राजस्‍थान के नामी कलाकार कृपाल सिंह शेखावत ने भी योगदान दिया था. कृपाल सिंह ने भारत के एक प्रसिद्ध हस्तशिल्प कलाकार के रूप में अपनी अलग पहचान बनाई है. पढ़ें कृपाल सिंह पर स्पेशल रिपोर्ट

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भारतीय संविधान में राजस्थान के हस्तशिल्प कलाकार की कारीगरी, Workmanship of Rajasthan handicraft artist in Indian constitution
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Published : Nov 25, 2019, 11:17 PM IST

Updated : Nov 26, 2019, 9:57 AM IST

जयपुर. भारत का संविधान विश्व के किसी भी गणतांत्रिक देश का सबसे लंबा लिखित संविधान है. जिसके निर्माण में राजस्‍थान का योगदान भी अतुलनीय है. भारत के संविधान की मूल प्रति में 22 चित्र भारत के वैभवशाली इतिहास, परम्‍परा और संस्‍कृति को दर्शाते हैं.

भारतीय संविधान में राजस्थान के हस्तशिल्प कलाकार की कारीगरी

जिनका निर्माण विख्‍यात चित्रकार नंदलाल बोस ने किया था और इसमें राजस्‍थान के नामी कलाकार कृपाल सिंह शेखावत ने भी योगदान दिया था. कृपाल सिंह ने झुंझुन जिले के श्रीमाधोपुर के एक छोटे से गांव से निकल कर भारत के एक प्रसिद्ध हस्तशिल्प कलाकार के रूप में अपनी अलग पहचान बनाई. साथ ही जयपुर की ब्लू पॉटरी को पुर्नजीवित करने के उनके कारनामें ने उन्हें अपार प्रसिद्धि भी दिलाई.

कृपाल सिंह जयपुर स्थित सवाई मानसिंह कला मंदिर के निदेशक के तौर पर भी कार्यरत रहे. जहां वह अपने छात्रों को चित्रकला और ब्लू पॉटरी की शिक्षा देते रहे. कला में उनके इस योगदान के कारण 1974 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया. वर्ष 2002 में उन्हें भारत सरकार की ओर से शिल्प गुरू की उपाधि से भी सम्मानित किया गया था.

पढ़ें- डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा : भारत के संविधान निर्माण में बहुमूल्य योगदान

कृपाल सिंह की बेटी मीनाक्षी राठौड़ बताती है कि जब वो अपने पिता कृपाल सिंह के स्टूडियों में होती तो कृपाल सिंह उन्हें हस्तशिल्प कला की बारीकियों के साथ ही स्वतंत्र भारत के किस्से भी सुनाते. उन्होंने बताया की किस तरह से संविधान निर्मात्री समिति के अध्यक्ष बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने उनके गुरु नंदलाल बोस को संविधान कलाकृतियां तैयार करने का जिम्मा दिया. जिसे गुरु नंदलाल बोस ने कृपाल सिंह को दिया.

भारतीय संविधान के पेज पर जो हस्त शिल्प बॉडर पेंटिंग है उसकी डिजाइन कृपाल सिंह के हाथों हुई है. संविधान निर्माण में राजस्‍थान के योगदान के तौर पर प्रख्‍यात कलाकार कृपाल सिंह शेखावत ने जहां नंदलाल बोस के साथ चित्रकारी में योगदान दिया. वहीं वी. टी. कृष्‍णमाचारी, हीरालाल शास्‍त्री, खेतड़ी के सरदार सिंह, जसवंत सिंह, राज बहादुर, माणिक्‍य लाल वर्मा, गोकुल लाल असावा, रामचंद्र उपाध्‍याय, बलवंत सिंहा मेहता, दलेल सिंह और जयनारायण व्‍यास भी शामिल रहे.

कृपाल सिंह ने कला की शिक्षा शांति निकेतन जैसे प्रसद्धि कला संस्थान से ली और जापान के टोक्यो विश्वविद्यालय से ओरिएंटल आर्ट में डिप्लोमा भी प्राप्त किया. शांति निकेतन की कला शिक्षा ने जहां उन्हें भारतीय कला परम्परा की बारीकियों से अवगत कराया. तो वहीं, दूसरी ओर जापान में उन्होंने जापानी चित्रकला में बरते जाने वाले प्राकृतिक रंगों, स्याहियों और कागज से जुड़ी तकनीकी जानकारियों को जाना और समझा.

पढ़ें- जयपुरः देश भर में 26 नवंबर को मनाया जाएगा संविधान दिवस, केंद्रीय कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने दिए सभी राज्यों को निर्देश

कृपाल सिंह की तीन बेटियों में से दो बेटियों ने हस्तशिल्प कला को आगे बढ़ाने का काम किया. कृपाल सिंह की छोटी बेटी मुकुंद राठौड़ बताती है कि पिता से मिले संस्कारों का ही परिणाम है की आज भी वो जयपुर की ब्लू पॉटरी को देश-विदेश तक पहुंचा पा रही हैं.

संविधान की उस मूल प्रति के बाद लीथोग्राफी से प्रिंट की गई हुबहू प्रतिकृति वर्तमान में देश के चुनिन्दा लोगों के पास है. जिनमें से एक प्रतिकृति कृपाल सिंह के परिवार के पास भी है, जिसे उन्होंने यादों के रुप में सजो कर रखा है.

जयपुर. भारत का संविधान विश्व के किसी भी गणतांत्रिक देश का सबसे लंबा लिखित संविधान है. जिसके निर्माण में राजस्‍थान का योगदान भी अतुलनीय है. भारत के संविधान की मूल प्रति में 22 चित्र भारत के वैभवशाली इतिहास, परम्‍परा और संस्‍कृति को दर्शाते हैं.

भारतीय संविधान में राजस्थान के हस्तशिल्प कलाकार की कारीगरी

जिनका निर्माण विख्‍यात चित्रकार नंदलाल बोस ने किया था और इसमें राजस्‍थान के नामी कलाकार कृपाल सिंह शेखावत ने भी योगदान दिया था. कृपाल सिंह ने झुंझुन जिले के श्रीमाधोपुर के एक छोटे से गांव से निकल कर भारत के एक प्रसिद्ध हस्तशिल्प कलाकार के रूप में अपनी अलग पहचान बनाई. साथ ही जयपुर की ब्लू पॉटरी को पुर्नजीवित करने के उनके कारनामें ने उन्हें अपार प्रसिद्धि भी दिलाई.

कृपाल सिंह जयपुर स्थित सवाई मानसिंह कला मंदिर के निदेशक के तौर पर भी कार्यरत रहे. जहां वह अपने छात्रों को चित्रकला और ब्लू पॉटरी की शिक्षा देते रहे. कला में उनके इस योगदान के कारण 1974 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया. वर्ष 2002 में उन्हें भारत सरकार की ओर से शिल्प गुरू की उपाधि से भी सम्मानित किया गया था.

पढ़ें- डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा : भारत के संविधान निर्माण में बहुमूल्य योगदान

कृपाल सिंह की बेटी मीनाक्षी राठौड़ बताती है कि जब वो अपने पिता कृपाल सिंह के स्टूडियों में होती तो कृपाल सिंह उन्हें हस्तशिल्प कला की बारीकियों के साथ ही स्वतंत्र भारत के किस्से भी सुनाते. उन्होंने बताया की किस तरह से संविधान निर्मात्री समिति के अध्यक्ष बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने उनके गुरु नंदलाल बोस को संविधान कलाकृतियां तैयार करने का जिम्मा दिया. जिसे गुरु नंदलाल बोस ने कृपाल सिंह को दिया.

भारतीय संविधान के पेज पर जो हस्त शिल्प बॉडर पेंटिंग है उसकी डिजाइन कृपाल सिंह के हाथों हुई है. संविधान निर्माण में राजस्‍थान के योगदान के तौर पर प्रख्‍यात कलाकार कृपाल सिंह शेखावत ने जहां नंदलाल बोस के साथ चित्रकारी में योगदान दिया. वहीं वी. टी. कृष्‍णमाचारी, हीरालाल शास्‍त्री, खेतड़ी के सरदार सिंह, जसवंत सिंह, राज बहादुर, माणिक्‍य लाल वर्मा, गोकुल लाल असावा, रामचंद्र उपाध्‍याय, बलवंत सिंहा मेहता, दलेल सिंह और जयनारायण व्‍यास भी शामिल रहे.

कृपाल सिंह ने कला की शिक्षा शांति निकेतन जैसे प्रसद्धि कला संस्थान से ली और जापान के टोक्यो विश्वविद्यालय से ओरिएंटल आर्ट में डिप्लोमा भी प्राप्त किया. शांति निकेतन की कला शिक्षा ने जहां उन्हें भारतीय कला परम्परा की बारीकियों से अवगत कराया. तो वहीं, दूसरी ओर जापान में उन्होंने जापानी चित्रकला में बरते जाने वाले प्राकृतिक रंगों, स्याहियों और कागज से जुड़ी तकनीकी जानकारियों को जाना और समझा.

पढ़ें- जयपुरः देश भर में 26 नवंबर को मनाया जाएगा संविधान दिवस, केंद्रीय कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने दिए सभी राज्यों को निर्देश

कृपाल सिंह की तीन बेटियों में से दो बेटियों ने हस्तशिल्प कला को आगे बढ़ाने का काम किया. कृपाल सिंह की छोटी बेटी मुकुंद राठौड़ बताती है कि पिता से मिले संस्कारों का ही परिणाम है की आज भी वो जयपुर की ब्लू पॉटरी को देश-विदेश तक पहुंचा पा रही हैं.

संविधान की उस मूल प्रति के बाद लीथोग्राफी से प्रिंट की गई हुबहू प्रतिकृति वर्तमान में देश के चुनिन्दा लोगों के पास है. जिनमें से एक प्रतिकृति कृपाल सिंह के परिवार के पास भी है, जिसे उन्होंने यादों के रुप में सजो कर रखा है.

Intro:नोट:- इस खबर की फीड लाइव यू से संविधान दिवस के नाम से भेजी गई है ,

भारतीय संविधान में राजस्थान के हस्तशिल्प कलाकार की कारीगरी

एंकर :- 26 नवम्बर यानी वो दिन जिस दिन आजाद भारत का संविधान तैयार हुआ , इस दिन को अब देश भर में संविधान दिवस के रूप में मना रहे है ,भारत का सर्वोच्च विधान है जो संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को पारित हुआ तथा 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ , यह दिन 26 नवम्बर भारत के संविधान दिवस के रूप में घोषित किया गया है , जबकि 26 जनवरी का दिन भारत में गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है , भारत का संविधान विश्व के किसी भी गणतांत्रिक देश का सबसे लंबा लिखित संविधान है , संविधान निर्माण में राजस्‍थान का योगदान भी अतुलनीय है ,

ओपनिंग पीटीसी - जसवंत सिंह ( नोट - खबर का वीओ ओपनिंग पीटीसी के बाद से शरू करे , जहाँ से वीओ लिखा है वहीँ से वॉइसओवर शुरू करे )

VO:1:- देश भर 26 नवम्बर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जा रहा है , 26 नवम्बर 1949 को पारित हुआ भारत का संविधान विश्व के किसी भी गणतांत्रिक देश का सबसे लंबा लिखित संविधान है , संविधान निर्माण में राजस्‍थान का योगदान भी अतुलनीय है , भारत के संविधान की मूल प्रति में 22 चित्र भारत के वैभवशाली इतिहास, परम्‍परा और संस्‍कृति को दर्शाते हुए लगे हैं. इनका निर्माण विख्‍यात चित्रकार नंदलाल बोस ने किया था , जिसमें राजस्‍थान के नामी कलाकार कृपालसिंह शेखावत ने योगदान दिया था , कृपाल सिंह झुंझुन जिले श्रीमाधोपुर के छोटे से गांव से निकल भारत के एक प्रसिद्ध हस्तशिल्पी एवं कलाकार के रूप में अपनी अपनी अलग पहचना बनाई , जयपुर की ब्लू पॉटरी को पुर्नजीवित करने के उनके कारनामे ने उन्हें अपार प्रसिद्धि दिलाई , भारत के स्वतन्त्र होने के बाद भारतीय संविधान की जो मूल प्रति कलागुरू नंदलाला बोस के सौजन्य से तैयार की गई उसमें कृपाल सिंह शेखावत का भी कलात्मक योगदान है। कृपाल सिंह के बेटी मीनाक्षी राठौड़ बताती हे कि जब वो पापा कृपाल सिंह के स्टूडियों में होती तो वो उन्हें हस्तशिल्प कला की बारीकियों के बताने के साथ स्वतंत्र भारत के किस्से भी बताते उन्होंने बताया की किस तरहं से संविधान निर्मात्री समिति के अध्यक्ष बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर ने उनके गुरु नंदलाला बोस संविधान कालकृतियाँ तैयार करने का जिम्मा दिया , उस जिम्मेदारी को गुरु नंदलाला बोस ने कृपाल सिंह को दिया , भारतीय संविधान के पेज पर जो हस्त शिल्प बॉडर पेंटिंग उसकी डिजाइन कृपाल सिंह के हाथों हुई है ,

बाइट :- मीनाक्षी राठौड़ - पुत्री कृपाल सिंह

VO:2:- संविधान निर्माण में राजस्‍थान का योगदान में प्रख्‍यात कलाकार कृपालसिंह शेखावत ने जहां नंदलाल बासु के साथ चित्रकारी में योगदान दिया. वहीं वी. टी. कृष्‍णमाचारी, हीरालाल शास्‍त्री, खेतड़ीके सरदार सिंहजी, जसवंतसिंह जी, राजबहादुर, माणिक्‍यलाल वर्मा, गोकुल लाल असावा, रामचंद्र उपाध्‍याय, बलवंत सिन्‍हा मेहता, दलेल सिंह और जयनारायण व्‍यास शामिल रहे , कृपाल सिंह जयपुर स्थित सवाई मानसिंह कला मंदिर के निदेशक के तौर पर भी कार्यरत रहे जहां वह अपने छात्रों को चित्रकला आैर ब्लू पॉटरी की शिक्षा देते रहे ,कला में उनके इस अप्रतिम योगदान के कारण 1974 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया , वर्ष 2002 में उन्हें भारत सरकार द्वारा शिल्प गुरू की उपाधि से भी सम्मानित किया गया था कृपाल सिंह पॉटरी को पहचना दी , इस कला को पुनर्जीवित किया ,

बाइट :- मीनाक्षी राठौड़ - पुत्री कृपाल सिंह

VO:3 :- कृपाल सिंह ने कला की औपचारिक शांति निकेतन जैसे प्रसद्धि कला संस्थान से ली वहीं जापान के टोक्यो विश्वविद्यालय से ओरिएंटल आर्ट में डिप्लोमा भी प्राप्त किया। शांतिनिकेतन की कला शिक्षा ने जहां उन्हें भारतीय कला परम्परा की बारिकियों से अवगत कराया वहीं जापान में अपने अध्ययन के क्रम में उन्होंने जापानी चित्रकला में बरते जाने वाले प्राकृतिक रंगों, स्याहियों व कागज से जुड़ी तकनीकी जानकारियों को जाना आैर समझा। कृपाल सिंह तीन बैटियों में से दो बैठियों ने पापा की हस्तशिलिप कला को आगे बढ़ाने का काम किया , कृपाल सिंह की छोटी बेटी मुकुंद राठौड़ बताती है पापा से मिले संस्कारों का ही परिणाम है की आज भी जयपुर को ब्लू पॉटरी को वो देश विदेश तक पहुंचा पा रही है , कृपाल सिंह बेटी मीनाक्षी और मुकुद भी पापा की हस्तशिल्प कला को आगे बढ़ा रही है

बाइट :-मुकुद राठौड़ छोटी बेटी कृपाल सिंह

VO:4 - संविधान की उस मूल प्रति के बाद लीथोग्राफी से प्रिंट की गई हुबहू प्रतिकृति वर्तमान में देश में चुनिन्‍दा लोगों के पास है , इनमे से एक प्रतिकृति कृपाल सिंह के परिवार के पास है जिसे वो अमूल्य यादों के रूप से सजोये हुए रखे है ,

क्लोजिंग जसवंत सिंह Body:VoConclusion:Vo
Last Updated : Nov 26, 2019, 9:57 AM IST
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