जयपुर. दिल्ली से जयपुर के लिए रवाना हुई एक विवाहिता पिछले 2 महीने से लापता है. जिसके अपहरण की आशंका जताते हुए पति पिछले 2 महीने से अपहरण का केस दर्ज कराने के लिए दिल्ली और जयपुर के चक्कर काटता रहा. चाहे दिल्ली पुलिस की बात हो या जयपुर पुलिस की, दोनों ही जगह पीड़ित के प्रति पुलिस का रवैया नकारात्मक रहा और कहीं भी उसकी सुनवाई नहीं हुई. अंत में थक हार कर पीड़ित को कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा. कोर्ट की दखलंदाजी के बाद सोमवार देर रात मानसरोवर थाने में अपहरण का मामला दर्ज हो (Kidnap case filed after intervention of court) सका.
प्रकरण की जांच कर रहे जांच अधिकारी हरिओम चौधरी ने बताया कि स्वर्ण पथ निवासी पुनीत राजोरिया ने मुकदमा दर्ज करवाया है. परिवादी का विवाह 2019 सितंबर माह में संजू कुमारी जाटव के साथ हुआ था. उसके बाद से पति-पत्नी मानसरोवर में किराए के मकान पर निवास कर रहे थे. 28 अगस्त को परिवादी की पत्नी संजू दिल्ली में रहने वाले अपने धर्म भाई से मिलने के गई थी. 2 सितंबर को शादी की सालगिरह होने पर परिवादी भी दिल्ली चला गया. दिल्ली में परिवादी ने अपनी पत्नी के साथ शादी की सालगिरह मनाई. पत्नी ने 2 दिन बाद जयपुर आने की बात कही गई, जिस पर परिवादी 3 सितंबर को वापस जयपुर लौट आया.
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दिल्ली हुई रवाना पर नहीं पहुंची जयपुर: परिवादी पुनीत राजोरिया ने बताया कि उसकी पत्नी संजू कुमारी 5 सितंबर को दिल्ली से जयपुर के लिए रवाना हुई थी और दिल्ली से रवाना होने पर उसने फोन कर जयपुर आने की जानकारी दी थी. वहीं देर रात तक जब परिवादी की पत्नी जयपुर नहीं पहुंची तो उसने फोन पर पत्नी से संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन उसका फोन बंद आया. इसके बाद परिवादी ने अपनी पत्नी के धर्म भाई सहित अन्य रिश्तेदारों से पत्नी के संबंध में जानकारी की, तो उसकी पत्नी का कहीं पर भी जाना नहीं पाया गया.
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इसके बाद परिवादी ने अपने स्तर पर पत्नी की काफी तलाश की, लेकिन कहीं भी उसका कोई सुराग नहीं मिला. इसके बाद परिवादी ने मानसरोवर थाने पहुंच अपनी पत्नी के अपहरण का मामला दर्ज कराना चाहा, लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया. पुलिस ने मामला दिल्ली का होने की बात कहते हुए दिल्ली जाकर रिपोर्ट दर्ज कराने को कहा. जिस पर परिवादी दिल्ली पहुंचा लेकिन दिल्ली पुलिस ने भी मामला दर्ज करने से मना कर दिया और जयपुर जाकर रिपोर्ट दर्ज कराने को कहा.
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इस तरह से परिवादी तकरीबन 2 महीने तक दिल्ली और जयपुर के चक्कर काटता रहा. पुलिस के आला अधिकारियों के सामने गुहार भी लगाई. कई पत्र भी लिखे. लेकिन फिर भी उसकी सुनवाई नहीं हुई. अंत में परिवादी ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कोट की दखलंदाजी के बाद मानसरोवर थाने में आईपीसी की धारा 344, 365 और 120-बी के तहत मुकदमा दर्ज किया गया. पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर जांच करना शुरू किया है.