जयपुर. राजस्थान में मुख्यमंत्री गहलोत ने हाल में सचिन पायलट को लेकर सीधे तौर पर निशाना साधा है. इसके बाद एक तरफ राजस्थान का सियासी पारा गर्माया हुआ है. दूसरी ओर कभी पायलट के साथ होटल में बंद होकर बगावत करने वाले राजस्थान सरकार के मंत्री हेमाराम चौधरी का एक बयान (Minister Hemaram Choudhary on Age of MLAs) इन दिनों चर्चा में है. चौधरी बीते दिनों दिए इस बयान में पार्टी में उम्रदराज लोगों पर युवाओं को तरजीह देने की बात कह रहे हैं.
इस दौरान उन्होंने राजस्थानी कहावत का भी इस्तेमाल किया है. गौरतलब है कि राहुल गांधी ने जयपुर और उदयपुर (Viral Statement of Minister Hemaram Choudhary) के चिंतन शिविर में युवाओं को तरजीह देने की बात कही थी. वहीं सतीश पूनिया ने जयपुर में जुलाई के महीने में एक कार्यक्रम के दौरान 70 पार वाले विधायकों को राजनीतिक संन्यास लेने की बात कही थी. जाहिर है कि मौजूदा विधानसभा में विधायकों की औसत उम्र करीब 54 वर्ष है.
यह कहा था हेमाराम चौधरी ने : बीते दिनों हेमाराम चौधरी का एक बयान वायरल हुआ था. उसमें वे कांग्रेस में पीढ़ी परिवर्तन की वकालत करते हुए नजर आ रहे थे. इस दौरान चौधरी ने कहा था कि लगातार सत्ता में रहने के बाद एक दौर में राजस्थान कांग्रेस बुरे हालात में फंस गई थी. तब पार्टी ने युवा नेताओं को अवसर दिए थे. वे खुद का उदाहरण देते हुए बोल रहे थे कि उन्हें भी इसी तरह की कवायद के तहत मौका मिला था. पार्टी को फिर से ऐसा करना चाहिए, पर मेरे जैसे उम्रदराज नेता युवाओं को आगे आने का मौका नहीं दे रहे हैं. चौधरी ने कहा था कि राजस्थान में एक कहावत है कि 'न मोडो मर, न माचो छोड़े' यानी न तो बुजर्ग मर रहे हैं और न ही चारपाई छोड़ रहे हैं.
चौधरी के इस बयान के मायने एक बार फिर राजस्थान के सियासी संग्राम के बीच सचिन पायलट की युवा छवि और अशोक गहलोत के उम्रदराज होने के किस्सों के बीच तलाशी जा रही है. हेमाराम चौधरी को सचिन पायलट खेमे का नेता माना जाता है. वे सरकार के गठन की शुरुआत में मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज थे. उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष डॉक्टर सीपी जोशी को इस्तीफा देकर कहा था कि सत्ताधारी दल के विधायकों का ही कामकाज के दौरान ध्यान नहीं रखा जा रहा है. सरकार से बगावत के समय में वह पायलट समर्थक विधायकों के साथ मानेसर के होटल में भी रहे थे. अब जब राजस्थान में एक बार फिर से सत्ता में उथल-पुथल दिखाई दे रही है, ऐसे में हेमाराम चौधरी के बयान के भी सियासी मायने तलाशे जा रहे हैं.
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चौधरी की राय चली, तो गहलोत-जोशी रेस से बाहर : राजस्थान में अगर साल 2023 के चुनाव में कांग्रेस युवाओं को मौका (Hemaram Choudhary on Next CM of Rajasthan) देती है, तो मौजूदा विधायकों और कद्दावर नेताओं में से कई चेहरे रेस से बाहर हो जाएंगे. खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का जन्म साल 1951 का है, जिसके हिसाब से वह 71 साल के हो चुके हैं. सीएम पद के प्रमुख दावेदारों में मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष डॉक्टर सीपी जोशी 1950 के जन्म के हिसाब से 72 वर्ष पूरे कर चुके हैं. हर सरकार के सीएम गहलोत के प्रमुख सिपहसालार रहे यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल 79 वर्ष के हो चुके हैं.
वहीं उनके संभाग से आने वाले जनजातीय नेता रामनारायण मीणा भी 80 वर्ष की उम्र का आंकड़ा छूने वाले हैं. मौजूदा गहलोत कैबिनेट में मंत्री बीडी कल्ला, परसादी लाल मीणा, हेमाराम चौधरी, उदयलाल आंजना जैसे विधायकों की उम्र 70 के पार है. वहीं तजुर्बेकार नेताओं में भरत सिंह, अमीन खान, परसराम मोरदिया, गुरमीत सिंह, दयाराम परमार, जौहरी लाल मीणा जैसे विधायकों की भी आयु 70 के पार जा चुकी है. ऐसे में साफ है कि 15 के करीब कांग्रेस नेता अगर आने वाले चुनाव में उम्र पर सेन्सर लगने की शर्त पर रेस से बाहर हो जाएंगे.