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जयपुर : दो ढ़ाणियों के बीच विवाद, एक-दूसरे की बिजली सप्लाई और रास्ता काटकर धरने पर बैठे ग्रामीण

जयपुर के विराटनगर तहसील में आंतेला के पास दो ढाणियों के लोग SDM कार्यालय के बाहर आमने-सामने धरने पर बैठ गए हैं. इनके बीच एक ऐसा विवाद गहरा गया है, जिसके कारण दोनों ढाणियों के करीब 18 परिवार पिछले डेढ़ महीनों से बिना पानी, बिजली और रास्ते के जीने को मजबूर हैं. पढ़ें पूरी खबर...

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एक-दूसरे के बिजली का तार काटकर धरने पर बैठे है ग्रामीण
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Published : Feb 20, 2020, 1:31 PM IST

विराटनगर (जयपुर). जिले में तहसील के आंतेला के पास दो ढाणियों के लोग SDM कार्यालय के बाहर आमने-सामने धरने पर बैठ गए हैं. इनके बीच एक ऐसा विवाद गहरा गया है, जिसके कारण दोनों ढाणियों के करीब 18 परिवार पिछले डेढ़ महीनों से बिना पानी, बिजली और रास्ते के जीने को मजबूर हैं. एक ढाणी वालों ने दूसरे की बिजली काट दी तो दूसरी ढाणी वालों का आरोप है कि उनका रास्ता ही बंद कर दिया गया है.

एक-दूसरे के बिजली का तार काटकर धरने पर बैठे है ग्रामीण

बता दें कि विराट नगर तहसील कालरा की ढाणी है, यहां के बच्चे दिसंबर महीने से ही मोमबत्ती की रोशनी में पढ़ने को मजबूर हैं. बोर्ड परिक्षाएं सिर पर हैं लेकिन बच्चें पढ़ें तो पढ़ें कैसे, क्योंकि बिजली तो है ही नहीं. यहां की महिलाएं रोजाना डेढ़-दो किलोमीटर दूर से पानी लाने को मजबूर हैं. इतनी दूर से पीने का पानी लाने में ही इतनी परेशानी है तो इन जानवरों का क्या हाल हो रहा होगा. क्योंकि जिनके खेतों में से इस ढाणी के लिए बिजली के तार गुजर रहे थे, उन खेतों के मालिकों ने बिजली के तार काट दिए हैं.

पढ़ें: नागौर में दलित युवकों के साथ ज्यादती, पूनिया ने सरकार को बताया विफल तो मंत्री ने पुलिस को बताया 'हीरो'

दरअसल, यहां आगे पीछे दो ढाणियां हैं. सड़क किनारे कालरा की ढाणी है लेकिन इनके यहां बिजली आ रही है. जबकि पीछे वाली भोगल की ढाणी की तरफ अगर कालरा वालों की मानें तो भोगल वालों ने जबरन उनकी बिजली सप्लाई काट दी. जबकि भोगल वालों का कहना है कि कालरा वालों से उनको रास्ता देने का समझौता किया गया है लेकिन अब वे रास्ता देने से इनकार कर रहे हैं.

जबकि भोगल वालों के लिए घर तक पहुंचने का कोई और जरिया नहीं है. इसलिए उन्होने मजबूर होकर कालरा वालों की बिजली काट दी. इनका कहना है कि कालरा की ढाणी वाले रास्ते से ही उनके यहां पानी के टैंकर आ सकते हैं. अब रास्ता बंद कर देने की वजह से वे पीने के पानी से भी वंचित हैं.

यह भी पढ़ें: भीलवाड़ा: संविधान बचाओ एकता मंच का CAA, NRC और NPR को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी

किसी की जबरन बिजली काट देना या जबरन रास्ता रोक देना, दोनों ही कानूनी रूप से गलत हैं. लेकिन हैरानी की बात ये है कि डेढ़ महीने से नागरिकों को मूलाधिकारों से वंचित किया जा रहा है, शिकायतें की जा रही हैं जिसके बावजूद प्रशासन उसी दिन पहुंच पाता है जब इस खबर को कवर करने मीडिया पहुंचती है.

कालरा की ढाणी वालों ने शिकायतों के बावजूद बिजली न जोड़े जाने की वजह से अधिकारियों पर राजनीतिक दबाव का आरोप लगाया है. वहीं प्रशासनिक अनदेखी पर ग्रामीणों ने जयपुर जाकर कलेक्टर को ज्ञापन सौपा है. अब देखने वाली बात ये है कि कितने दिन कालरा वाले बिना बिजली के रहेंगे और कितने दिन भोगल वाले बिना रास्ते के रहने को मजबूर होंगे.

विराटनगर (जयपुर). जिले में तहसील के आंतेला के पास दो ढाणियों के लोग SDM कार्यालय के बाहर आमने-सामने धरने पर बैठ गए हैं. इनके बीच एक ऐसा विवाद गहरा गया है, जिसके कारण दोनों ढाणियों के करीब 18 परिवार पिछले डेढ़ महीनों से बिना पानी, बिजली और रास्ते के जीने को मजबूर हैं. एक ढाणी वालों ने दूसरे की बिजली काट दी तो दूसरी ढाणी वालों का आरोप है कि उनका रास्ता ही बंद कर दिया गया है.

एक-दूसरे के बिजली का तार काटकर धरने पर बैठे है ग्रामीण

बता दें कि विराट नगर तहसील कालरा की ढाणी है, यहां के बच्चे दिसंबर महीने से ही मोमबत्ती की रोशनी में पढ़ने को मजबूर हैं. बोर्ड परिक्षाएं सिर पर हैं लेकिन बच्चें पढ़ें तो पढ़ें कैसे, क्योंकि बिजली तो है ही नहीं. यहां की महिलाएं रोजाना डेढ़-दो किलोमीटर दूर से पानी लाने को मजबूर हैं. इतनी दूर से पीने का पानी लाने में ही इतनी परेशानी है तो इन जानवरों का क्या हाल हो रहा होगा. क्योंकि जिनके खेतों में से इस ढाणी के लिए बिजली के तार गुजर रहे थे, उन खेतों के मालिकों ने बिजली के तार काट दिए हैं.

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दरअसल, यहां आगे पीछे दो ढाणियां हैं. सड़क किनारे कालरा की ढाणी है लेकिन इनके यहां बिजली आ रही है. जबकि पीछे वाली भोगल की ढाणी की तरफ अगर कालरा वालों की मानें तो भोगल वालों ने जबरन उनकी बिजली सप्लाई काट दी. जबकि भोगल वालों का कहना है कि कालरा वालों से उनको रास्ता देने का समझौता किया गया है लेकिन अब वे रास्ता देने से इनकार कर रहे हैं.

जबकि भोगल वालों के लिए घर तक पहुंचने का कोई और जरिया नहीं है. इसलिए उन्होने मजबूर होकर कालरा वालों की बिजली काट दी. इनका कहना है कि कालरा की ढाणी वाले रास्ते से ही उनके यहां पानी के टैंकर आ सकते हैं. अब रास्ता बंद कर देने की वजह से वे पीने के पानी से भी वंचित हैं.

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किसी की जबरन बिजली काट देना या जबरन रास्ता रोक देना, दोनों ही कानूनी रूप से गलत हैं. लेकिन हैरानी की बात ये है कि डेढ़ महीने से नागरिकों को मूलाधिकारों से वंचित किया जा रहा है, शिकायतें की जा रही हैं जिसके बावजूद प्रशासन उसी दिन पहुंच पाता है जब इस खबर को कवर करने मीडिया पहुंचती है.

कालरा की ढाणी वालों ने शिकायतों के बावजूद बिजली न जोड़े जाने की वजह से अधिकारियों पर राजनीतिक दबाव का आरोप लगाया है. वहीं प्रशासनिक अनदेखी पर ग्रामीणों ने जयपुर जाकर कलेक्टर को ज्ञापन सौपा है. अब देखने वाली बात ये है कि कितने दिन कालरा वाले बिना बिजली के रहेंगे और कितने दिन भोगल वाले बिना रास्ते के रहने को मजबूर होंगे.

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