जयपुर. इस बार बिपरजॉय तूफान के कारण नौतपा में सूर्य की तपिश देखने को नहीं मिली. इसकी वजह से लोगों में वर्षा को लेकर असमंजस की स्थिति थी. ये असमंजस सोमवार को जंतर-मंतर के वृहद सम्राट यंत्र पर किए गए वायु परीक्षण के बाद दूर हुआ. आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा पर जयपुर में परंपरा का निर्वहन करते हुए ज्योतिषाचार्यों ने कहीं खंड वृष्टि और कहीं अतिवृष्टि का फलादेश दिया है. हालांकि, जयपुर के 100 किलोमीटर के रेडियस में अच्छी बारिश होगी और वाटर रिसोर्स पूरी तरह रिचार्ज होंगे.
वायु के अनुसार मानसून का फलादेश : सवाई जयसिंह सिंह द्वितीय की ओर से बनवाई गई वेद शाला जंतर-मंतर पर ज्योतिषियों की ओर से हर साल आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा पर वायु परीक्षण करते हुए वर्षा का पूर्वानुमान लगाया जाता रहा है. सालों से चली आ रही इस परंपरा का सोमवार को भी निर्वहन किया गया. जयपुर के जंतर मंतर पर 105 फीट ऊंचा वृहद सम्राट यंत्र बना हुआ है. ज्योतिषाचार्यों ने ध्वज पूजन के बाद सम्राट यंत्र पर चढ़कर वायु के दाब और दिशा के अनुसार मानसून का फलादेश दिया.
संवत ठीक रहने की संभावना : वृहद सम्राट यंत्र पर वायु परीक्षण के बाद ज्योतिष आचार्य विनोद शास्त्री ने बताया कि सूर्यास्त के समय 7:21 पर वायु परीक्षण में पश्चिम से पूर्व की ओर हवा का प्रवाह था. कुछ समय ईशान कोण की ओर भी प्रवाह रहा, जबकि इससे पहले 10 मिनट स्थिरता भी रही. वायु के प्रवाह से कहीं खंड वृष्टि के और कहीं अतिवृष्टि के योग बन रहे हैं. इसके अलावा भी करीब 35 योग बन रहे हैं. उनमें से अधिकतर योग शुभ हैं, इसलिए ये संवत ठीक रहने की संभावना है.
100 किलोमीटर के रेडियस का अंदाजा : संस्कृत शिक्षा निदेशक डॉ. भास्कर शर्मा ने बताया कि सवाई जयसिंह द्वितीय के समय से प्रचलित वैज्ञानिक परंपरा का निर्वहन किया गया है. इससे क्षेत्र के सभी वार्षिक फलादेश का निर्णय किया जाता है. वायु परीक्षण के अनुसार कहीं अतिवृष्टि तो कहीं अल्प वृष्टि रहेगी, इसलिए ये मध्य श्रेष्ठ वृष्टि योग को प्रतिपादित करती है. इंडियन काउंसिल ऑफ एस्ट्रोलॉजिकल साइंसेज के सीनियर नेशनल वाइस प्रेसिडेंट पं. सतीश शर्मा ने बताया कि वृहद सम्राट यंत्र से अधिकतम 100 किलोमीटर के रेडियस का अंदाजा लगाया जा सकता है. पूरे राजस्थान की गणना इससे नहीं कर सकते.
जयपुर के आसपास के क्षेत्रों में अच्छी बरसात : उन्होंने बताया कि इस बार पश्चिमी राजस्थान और पूर्वी राजस्थान का व्यवहार एकदम अलग है. वायु परीक्षण में सामने आया है कि खंड वृष्टि होगी. कई जगह जल प्लावन होगा. सप्तनाड़ी चक्र कभी बहुत ज्यादा जागृत है, कभी कम जागृत है. इससे कई-कई दिन तक लगातार बारिश के भी दौर रहेंगे. उन्होंने बताया कि अन्न उत्पादन भी होगा, पानी का रिचार्ज भी होगा, सारे नदी-नाले भर जाएंगे और अतिवृष्टि से नुकसान भी होगा. इसमें सरकारें कुछ कर नहीं पाएंगी. कुल मिलाकर जयपुर के आसपास के क्षेत्रों में अच्छी बरसात होगी. जयपुर की पूर्ति हो जाएगी. सुख-समृद्धि और अनाज बढ़ेगा.
कहीं-कहीं हो सकती है खंड वृष्टि : पं. बंशीधर ज्योतिष पंचांग के संपादक पं. दामोदर प्रसाद शर्मा ने बताया कि ये वायु परीक्षण पूरी तरह वैज्ञानिक आधारित कार्यक्रम है. इसी के आधार पर वर्षा की गणना की जाती रही है, जो सटीक जाती है. इस बार वायु पश्चिम से पूर्व की ओर प्रवाहित रही जो श्रेष्ठ वर्षा का द्योतक है. कहीं-कहीं खंड वृष्टि हो सकती है, लेकिन अधिकतर जगह अच्छी वर्षा रहेगी. उन्होंने बताया कि इस बार नौतपा खंडित रहा है. इसका कारण बिपरजॉय तूफान माना जा सकता है. इसी वजह से कुछ जगह खंड वृष्टि के योग बनने के आसार हैं.