जयपुर. देशभर में इस समय लॉकडाउन चल रहा है जिसके चलते हर कोई प्रभावित हो रहा है. 21 दिन का लॉकडाउन 14 अप्रैल से आगे होगा या नहीं इसका फैसला जल्द ही हो जाएगा और संभवतः इसे आगे बढ़ा भी लिया जाए. लेकिन इस दौरान ज्यादा दिक्कत अगर किसी को हो रही है, तो वह है कॉलेज विश्वविद्यालय के छात्र जिनकी परीक्षाएं होनी बाकी है.
हालांकि, 10वीं और 12वीं कक्षा को छोड़ अन्य छात्रों को अगली कक्षा में क्रमोन्नत कर दिया जाएगा. वहीं विश्वविद्यालय और महाविद्यालय स्तर पर परीक्षाएं होंगी. ऐसे में वह छात्र जिन की परीक्षाएं अब तक नहीं हुई है और कोर्स भी कंप्लीट नहीं हुआ है और कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते जब एग्जाम भी आगे खिसका दिए गए हैं.
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प्रदेश के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में बड़ी दिक्कत यह हो गई है कि छात्रों की पढ़ाई जारी कैसे रखी जाए. इसके लिए प्रदेश के लगभग सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में ऑनलाइन शिक्षण का काम शुरू हो चुका है. ऐसा ही हाल जोबनेर के श्री करण नरेंद्र एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी का है. जहां छात्रों को ऑनलाइन कक्षाएं दी जा रही हैं, क्योंकि इससे पहले ऐसा ऑनलाइन एजुकेशन का कांसेप्ट नहीं था. ऐसे में चाहे छात्र हो या प्रोफेसर हर किसी को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन इसके बावजूद भी ऑनलाइन क्लासेस अब शुरू हो चुकी है.
जूम ऐप के जरिए हो रही पढ़ाई
दरअसल, जूम ऐप के जरिए स्टूडेंट्स को ऑनलाइन क्लासेज दी जा रही हैं. जिसमें एक साथ 40 स्टूडेंट जुड़ सकते हैं. इस तरीके से 40-40 के बैच बनाकर यह क्लासेस शुरू की गई है. चाहे टीचर हो या स्टूडेंट सब प्रयास कर रहे हैं कि किसी तरीके से उनके कोर्स कंप्लीट हो जाएं और पढ़ाई में उनको कोई नुकसान ना हो. हालांकि कई मुसीबतों का सामना भी इन ऑनलाइन क्लासेस लेने में टीचर और स्टूडेंट्स को करना पड़ रहा है.
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रिमोट एरिया में नेटवर्क की दिक्कत
सबसे ज्यादा दिक्कत उन छात्रों के सामने हैं, जो रिमोट एरिया में रहते हैं और वहां नेटवर्क की खासी दिक्कत होती है. ऐसे में उन छात्रों का कोर्स कैसे कंप्लीट करवाया जाए. इसे लेकर क्लास के लेक्चर को कई हिस्सों में काट कर उसे एक लिंक के जरिए स्टूडेंट्स को भेजा जाता है. ताकि वह उसे अपने फोन में डाउनलोड कर ले और देख ले कि क्लास में क्या कुछ हुआ है.
विश्वविद्यालय प्रबंधन का कहना है कि वह प्रयास कर रहे हैं कि किसी स्टूडेंट की थ्योरी से जुड़ी हर शिकायत को दूर कर सकें और उनके लेक्चर कंप्लीट कर सकें. हालांकि प्रैक्टिकल के लिए तो तमाम स्टूडेंट्स को कॉलेज और विश्वविद्यालय खुलने का इंतजार करना होगा, क्योंकि प्रैक्टिकल संस्थानों में रहकर ही किए जा सकते हैं.