जयपुर. शहर में नगर निगम ने राजस्व नुकसान की भरपाई करने की नीति अपनाई है. अब शहर में 300 वर्ग गज से अधिक क्षेत्रफल के प्लाट को यूडी टैक्स (शहरी विकास कर) के दायरे में लाने की कवायाद की जा रही है. इसके लिए स्वायत्त शासन विभाग ने जयपुर नगर निगम ने निर्देश दिए हैं.
दरअसल, इंदौर और भोपाल जैसे बड़े शहरों में 200 से 300 करोड़ रुपए के यूडी टैक्स की वसूली होती है. वहीं जयपुर नगर निगम महज 50 से 75 करोड़ रुपए ही वसूल कर पाता है. अब यूडी टैक्स के कलेक्शन को बढ़ाने के लिए स्वायत्त शासन विभाग ने निगम को दिशा निर्देश दिए हैं. स्वायत्त शासन सचिव और डीएलबी निदेशक ने नगर निगम के अधिकारियों के साथ अर्बन डवलपमेंट टैक्स के कलेक्शन को बढ़ाने और इंप्रूवमेंट पॉलिसी बनाने को लेकर बेसिक चर्चा की है.
पवन अरोड़ा ने बताया कि राजधानी में ऐसे हजारों रिहायशी प्लॉट हैं, जिनका क्षेत्रफल 300 वर्ग गज से अधिक है. इसके बावजूद उन्हें यूडी टैक्स के दायरे में नहीं लिया गया है. यूडी टैक्स की इंप्रूवमेंट पॉलिसी बनाने के दौरान इस तरह के प्लॉट को भी टैक्स के दायरे में लाया जाएगा. जिससे निगम के राजस्व में बढ़ोतरी होगी. इसके अलावा भी नगर निगम ऐसे होटल, रेस्टोरेंट, विवाह स्थल को यूडी टैक्स के दायरे में लाने की कवायद की जाएगी, जो बिना अनुमति के शहर में संचालित हो रहे हैं. माना जा रहा है कि नगर निगम के इस निर्णय के बाद राजस्व के नुकसान में कमी आएगी