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निगम के नोटिस पर व्यापारियों का जवाब- कमर्शियल यूडी टैक्स लिया जा रहा, फिर अवैध निर्माण कैसे

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Published : Mar 28, 2023, 8:58 PM IST

जयपुर के मानसरोवर के मध्यम मार्ग में 468 मकान-दुकान मालिकों को अवैध निर्माण (Illegal constructions in Mansarovar Colony) हटाने के नोटिस देने के मामले में व्यापारियों ने अपना जवाब पेश किया है.

illegal constructions in Mansarovar Colony
मानसरोवर कॉलोनी में अवैध निर्माण
निगम के नोटिस पर व्यापारियों का जवाब

जयपुर. प्रदेश की सबसे बड़ी कॉलोनी मानसरोवर के मध्यम मार्ग में 468 मकान-दुकान मालिकों को अवैध निर्माण हटाने के नोटिस देने के मामले में व्यापारियों ने मंगलवार को मानसरोवर जोन ऑफिस में जवाब पेश किया. व्यापारियों ने पेश जवाब में बताया कि 90 मीटर से कम के मकान में सेटबैक छोड़ना अनिवार्य नहीं होने और मध्यम मार्ग को मास्टर प्लान 2025 में मिक्स लैंड यूज के तौर पर दर्शाए जाने का हवाला दिया. साथ ही नोटिस के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर करने की भी जानकारी दी.

दरअसल 14 मार्च को राजस्थान हाईकोर्ट ने ग्रेटर नगर निगम को मानसरोवर के मध्यम मार्ग के मकानों से सेटबैक के अवैध निर्माण और आवासीय उपयोग वाले भवनों का व्यवसायिक इस्तेमाल होने पर अवैध निर्माण को हटाने के आदेश दिए थे. जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश मानसरोवर निवासी मनमोहन नागपाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए थे.

पढ़ें. अवैध निर्माण हटाने को लेकर मानसरोवर के व्यापारियों को नोटिस, विरोध में सोमवार को 4 घंटे बंद रहेंगे प्रतिष्ठान

याचिकाकर्ता का सेक्टर 30 में प्रथम तल पर फ्लैट है और भूतल पर मध्यम मार्ग की ओर खुलने वाले मकान में न केवल व्यावसायिक गतिविधियां चल रही हैं, बल्कि सेटबैक में भी दुकानें बना रखी हैं. कोर्ट के निर्देश पर ग्रेटर निगम ने पहले 2 मार्च को दुकानों को सीज कर दिया था. इसके बाद दुकान मालिक अनिल गुप्ता 3 मार्च को हाईकोर्ट में हाजिर होकर बताया कि करीब 5 किलोमीटर लंबे मध्यम मार्ग पर ही व्यावसायिक गतिविधियां संचालित हो रही हैं. ऐसे में अकेले उनकी ही दुकानों को सीज क्यों किया गया है? इस पर कोर्ट ने 14 मार्च को सुनवाई करते हुए ग्रेटर निगम को मध्यम मार्ग का सर्वे करके रिपोर्ट तैयार कर सेटबैक में हो रहे निर्माणों को नोटिस देकर तोड़ने और पालना रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए. मामले में अगली सुनवाई 24 अप्रेल को सुबह 11 बजे होगी.

पढ़ें. राजस्थान हाईकोर्ट ने मानसरोवर मेट्रो स्टेशन से सांगानेर फ्लाईओवर के बीच अतिक्रमण हटाने के दिए आदेश

कोर्ट के आदेश पर थमाए नोटिसः कोर्ट के आदेशों के बाद नगर निगम की मानसरोवर जोन की टीम ने सर्वे कर सेटबैक में अवैध निर्माण करने वालों को नोटिस थमाए. नोटिस देते हुए उन्हें सात दिन में अवैध निर्माण अपने स्तर पर हटाकर जवाब फोटोग्राफ के साथ पेश करने के लिए कहा था. इस पर मंगलवार को व्यापारियों ने निगम में अपना जवाब पेश करते हुए तर्क दिया कि निगम ने पहले तो सही तथ्य पेश नहीं किए. यदि व्यापारी गलत है तो बरसों से उनसे कमर्शियल यूडी टैक्स क्यों लिया जा रहा है? उन्होंने 90 मीटर से कम के मकान में सेट बैक छोड़ना अनिवार्य नहीं होने और निगम की ओर से 2014 में मास्टर प्लान 2025 को लेकर दी गई विज्ञप्ति का भी हवाला दिया. जिसमें मध्यम मार्ग को मिक्स लैंड यूज़ बताया गया है.

निगम कमिश्नर यह बोलेः इस संबंध में ग्रेटर निगम कमिश्नर महेंद्र सोनी ने बताया कि निगम की ओर से मध्यम मार्ग के संबंध में जो भी कार्रवाई की जा रही है, वो न्यायालय के आदेशों के अनुसरण में की जा रही है. किसी को अपना पक्ष रखना है, कानूनन उसकी कोई बात होगी तो निश्चित रूप से उसे सुना जाएगा. यदि कोई न्यायालय में बेहतर ढंग से अपनी बात रख सकता है तो उसके लिए भी वो स्वतंत्र है.

निगम के नोटिस पर व्यापारियों का जवाब

जयपुर. प्रदेश की सबसे बड़ी कॉलोनी मानसरोवर के मध्यम मार्ग में 468 मकान-दुकान मालिकों को अवैध निर्माण हटाने के नोटिस देने के मामले में व्यापारियों ने मंगलवार को मानसरोवर जोन ऑफिस में जवाब पेश किया. व्यापारियों ने पेश जवाब में बताया कि 90 मीटर से कम के मकान में सेटबैक छोड़ना अनिवार्य नहीं होने और मध्यम मार्ग को मास्टर प्लान 2025 में मिक्स लैंड यूज के तौर पर दर्शाए जाने का हवाला दिया. साथ ही नोटिस के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर करने की भी जानकारी दी.

दरअसल 14 मार्च को राजस्थान हाईकोर्ट ने ग्रेटर नगर निगम को मानसरोवर के मध्यम मार्ग के मकानों से सेटबैक के अवैध निर्माण और आवासीय उपयोग वाले भवनों का व्यवसायिक इस्तेमाल होने पर अवैध निर्माण को हटाने के आदेश दिए थे. जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश मानसरोवर निवासी मनमोहन नागपाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए थे.

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याचिकाकर्ता का सेक्टर 30 में प्रथम तल पर फ्लैट है और भूतल पर मध्यम मार्ग की ओर खुलने वाले मकान में न केवल व्यावसायिक गतिविधियां चल रही हैं, बल्कि सेटबैक में भी दुकानें बना रखी हैं. कोर्ट के निर्देश पर ग्रेटर निगम ने पहले 2 मार्च को दुकानों को सीज कर दिया था. इसके बाद दुकान मालिक अनिल गुप्ता 3 मार्च को हाईकोर्ट में हाजिर होकर बताया कि करीब 5 किलोमीटर लंबे मध्यम मार्ग पर ही व्यावसायिक गतिविधियां संचालित हो रही हैं. ऐसे में अकेले उनकी ही दुकानों को सीज क्यों किया गया है? इस पर कोर्ट ने 14 मार्च को सुनवाई करते हुए ग्रेटर निगम को मध्यम मार्ग का सर्वे करके रिपोर्ट तैयार कर सेटबैक में हो रहे निर्माणों को नोटिस देकर तोड़ने और पालना रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए. मामले में अगली सुनवाई 24 अप्रेल को सुबह 11 बजे होगी.

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कोर्ट के आदेश पर थमाए नोटिसः कोर्ट के आदेशों के बाद नगर निगम की मानसरोवर जोन की टीम ने सर्वे कर सेटबैक में अवैध निर्माण करने वालों को नोटिस थमाए. नोटिस देते हुए उन्हें सात दिन में अवैध निर्माण अपने स्तर पर हटाकर जवाब फोटोग्राफ के साथ पेश करने के लिए कहा था. इस पर मंगलवार को व्यापारियों ने निगम में अपना जवाब पेश करते हुए तर्क दिया कि निगम ने पहले तो सही तथ्य पेश नहीं किए. यदि व्यापारी गलत है तो बरसों से उनसे कमर्शियल यूडी टैक्स क्यों लिया जा रहा है? उन्होंने 90 मीटर से कम के मकान में सेट बैक छोड़ना अनिवार्य नहीं होने और निगम की ओर से 2014 में मास्टर प्लान 2025 को लेकर दी गई विज्ञप्ति का भी हवाला दिया. जिसमें मध्यम मार्ग को मिक्स लैंड यूज़ बताया गया है.

निगम कमिश्नर यह बोलेः इस संबंध में ग्रेटर निगम कमिश्नर महेंद्र सोनी ने बताया कि निगम की ओर से मध्यम मार्ग के संबंध में जो भी कार्रवाई की जा रही है, वो न्यायालय के आदेशों के अनुसरण में की जा रही है. किसी को अपना पक्ष रखना है, कानूनन उसकी कोई बात होगी तो निश्चित रूप से उसे सुना जाएगा. यदि कोई न्यायालय में बेहतर ढंग से अपनी बात रख सकता है तो उसके लिए भी वो स्वतंत्र है.

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