जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अधिक डीजल खपत कर रोडवेज को आर्थिक हानि पहुंचाने का आरोप लगाते हुए चालक को दी गई चार्जशीट पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने रोडवेज के मुख्य प्रबंधक, कार्यकारी निदेशक और विद्याधर नगर आगार प्रबंधक को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. अदालत ने इन अधिकारियों से पूछा है कि जब अधिक डीजल की खपत दुराचरण की श्रेणी में नहीं आता है तो चालक को चार्जशीट कैसे दी गई और क्यों न उसे रद्द कर दिया जाए. जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश तेजसिंह की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता रोडवेज के विद्याधर नगर आगार में चालक पद पर कार्यरत हैं. आरएसआरटीसी की ओर से उसे 25 जनवरी को यह कहते हुए चार्जशीट दी गई की उसकी ओर से बस चलाने के दौरान लापरवाही बरती जा रही है. जिससे बस संचालन में डीजल की खपत अधिक हो रही है और इससे निगम को आर्थिक हानि उठानी पड़ रही है. उसका यह कृत्य आरएसआरटीसी के स्थाई नियम, 1965 की धारा 34 के तहत गंभीर दुराचरण की श्रेणी में आता है.
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याचिका में कहा गया कि अधिक डीजल की खपत का आरोप आरएसआरटीसी के स्टैंडिंग आर्डर की धारा 34 के तहत दुराचरण की श्रेणी में नहीं आता है. ऐसे में इस आधार पर याचिकाकर्ता को आरोप पत्र भी नहीं दिया जा सकता. इसके अलावा हाईकोर्ट पूर्व में कई प्रकरणों में लो-इनकम एवं अधिक डीजल की खपत के आधार पर जारी की गई चार्जशीट को अवैध घोषित कर निरस्त कर चुका है. ऐसे में याचिकाकर्ता को दी गई चार्जशीट को रद्द किया जाए. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने चार्जशीट की क्रियान्विति पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.