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Rajasthan High Court: कॉलेज को टेकओवर किया तो उसके कर्मचारियों को क्यों नहीं?

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए (High Court asked the Chief Secretary) मुख्य सचिव समेत अन्य अधिकारियों से जवाब मांगा है. साथ ही पूछा है कि कॉलेज को टेकओवर किया तो उसके कर्मचारियों को समायोजित क्यों नहीं किया?.

Rajasthan High Court asked,  Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट.
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Published : Apr 26, 2023, 9:12 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने स्ववित्तपोषित कॉलेज को टेकओवर करने के दौरान उसमें कार्यरत कर्मचारियों को समायोजित नहीं करने पर मुख्य सचिव, प्रमुख उच्च शिक्षा सचिव, प्रमुख वित्त सचिव सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. अदालत ने इन अधिकारियों से पूछा है कि स्ववित्तपोषित कॉलेज को टेकओवर किया गया है तो उसके कर्मचारियों को समायोजित क्यों नहीं किया?. इसके साथ ही अदालत ने कॉलेज में कार्यरत शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक कर्मचारियों को हटाने पर अंतरिम रोक लगा दी है. जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश डॉ. संजय कुमार यादव व अन्य की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता अलवर की बाबा मोहन राम किसान महाविद्यालय में विभिन्न पदों पर कई सालों से काम कर रहे हैं. राज्य सरकार ने एक अगस्त, 2020 को आदेश जारी कर प्रदेश की पांच स्ववित्तपोषित कॉलेजों को राज्याधीन कर अपने नियंत्रण में ले लिया. इसमें बाबा मोहन राम किसान महाविद्यालय को भी शामिल किया गया. नियमानुसार कॉलेज में कार्यरत सभी कर्मचारियों को भी राज्य सरकार को समायोजित करना चाहिए था. इसके बावजूद कर्मचारियों का समायोजन नहीं किया गया.

पढ़ेंः Rajasthan High Court: कम रिजल्ट आया तो हेडमास्टर को किया दंडित, हाईकोर्ट ने लगाई रोक

याचिका में बताया गया कि राजस्थान सिविल सेवा नियम और निजी संस्थानों को टेकओवर करने के संबंध में वर्ष 1977 में बने नियमों के तहत जब भी किसी संस्था को राज्य सरकार अपने अधीन लेती है तो उसके कर्मचारियों को भी अपने अधीन लेने का प्रावधान है. ऐसे में राज्य सरकार को निर्देश दिए जाएं कि वह याचिकाकर्ताओं को सेवा से अलग न करें. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं को हटाने पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने स्ववित्तपोषित कॉलेज को टेकओवर करने के दौरान उसमें कार्यरत कर्मचारियों को समायोजित नहीं करने पर मुख्य सचिव, प्रमुख उच्च शिक्षा सचिव, प्रमुख वित्त सचिव सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. अदालत ने इन अधिकारियों से पूछा है कि स्ववित्तपोषित कॉलेज को टेकओवर किया गया है तो उसके कर्मचारियों को समायोजित क्यों नहीं किया?. इसके साथ ही अदालत ने कॉलेज में कार्यरत शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक कर्मचारियों को हटाने पर अंतरिम रोक लगा दी है. जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश डॉ. संजय कुमार यादव व अन्य की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता अलवर की बाबा मोहन राम किसान महाविद्यालय में विभिन्न पदों पर कई सालों से काम कर रहे हैं. राज्य सरकार ने एक अगस्त, 2020 को आदेश जारी कर प्रदेश की पांच स्ववित्तपोषित कॉलेजों को राज्याधीन कर अपने नियंत्रण में ले लिया. इसमें बाबा मोहन राम किसान महाविद्यालय को भी शामिल किया गया. नियमानुसार कॉलेज में कार्यरत सभी कर्मचारियों को भी राज्य सरकार को समायोजित करना चाहिए था. इसके बावजूद कर्मचारियों का समायोजन नहीं किया गया.

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याचिका में बताया गया कि राजस्थान सिविल सेवा नियम और निजी संस्थानों को टेकओवर करने के संबंध में वर्ष 1977 में बने नियमों के तहत जब भी किसी संस्था को राज्य सरकार अपने अधीन लेती है तो उसके कर्मचारियों को भी अपने अधीन लेने का प्रावधान है. ऐसे में राज्य सरकार को निर्देश दिए जाएं कि वह याचिकाकर्ताओं को सेवा से अलग न करें. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं को हटाने पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

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