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आरयू में फिर बढ़ाई गई फीस...छात्रों ने किया विरोध प्रदर्शन

राजस्थान विश्वविद्यालय में नया सत्र शुरू होने के साथ ही हर साल फीस वृद्धि कर दी जाती है. इस बार भी रेगुलर कोर्स में 10 फ़ीसदी फीस की बढ़ोतरी की गई है. जिसको लेकर छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया.

आरयू में फिर बढ़ाई गई फीस
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Published : Jun 20, 2019, 7:58 AM IST

जयपुर. आरयू फीस वृद्धि को लेकर छात्रों ने प्रदर्शन किया. दरअसल हर साल रेगुलर कोर्स में 10 फीसदी फीस की वृद्धि की जाती है. आरयू में एसएफएस कोर्स की फीस तो अब कई प्राइवेट सेक्टर के कॉलेज से भी ज्यादा हो गई है. जिसे लेकर छात्रों में आक्रोश देखने को मिल रहा है. वहीं कुलपति ने इसे सिंडिकेट का निर्णय बताते हुए कहा कि वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए विश्वविद्यालय में 10% फीस बढ़ाई गई है.

आरयू में फिर बढ़ाई गई फीस
प्रदेश का सबसे बड़ा और सबसे प्रमुख राजस्थान विश्वविद्यालय में इन दिनों मिशन एडमिशन का दौर जारी है. इसे लेकर आज संघटक कॉलेजों ने अपनी पहली मेरिट कटऑफ लिस्ट भी जारी कर दी. बीए, बीकॉम, बीएससी, बीसीए, बीबीए को लेकर निकली कट ऑफ लिस्ट के बाद गुरुवार से फीस जमा कराने का दौर भी शुरू हो जाएगा. लेकिन छात्रों में प्रोस्पेक्टस में अंकित की गई फीस को लेकर आक्रोश है. रेगुलर कोर्सेज में फीस बढ़ोतरी के खिलाफ छात्रों ने मोर्चा खोल दिया है. इसे लेकर एबीवीपी एनएसयूआई सभी ने हर साल 10 फीसदी बढ़ाई जाने वाली फीस पर विरोध दर्ज कराया है. छात्रों ने कहा कि विश्वविद्यालय का ध्यान फीस वृद्धि पर है. जबकि उन्हें सीट वृद्धि पर काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का स्तर लगातार गिरता जा रहा है, और फीस का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है.


उधर, विश्वविद्यालय कुलपति आरके कोठारी ने कहा कि फीस बढ़ाने का फैसला कुलपति का नहीं, सिंडिकेट में लिया गया निर्णय है. यूनिवर्सिटी की वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए 10% फीस बढ़ाई गई है. हालांकि उन्होंने ये माना कि एसएफएस कोर्स में फीस का स्तर प्राइवेट सेक्टर से भी ज्यादा हो गया है. जिस पर हर 3 साल में रोक लगाए जाने की बात कही. साल 2015 में अचानक विश्वविद्यालय की ओर से 45% फीस बढ़ा दी गई थी. जिस पर छात्रों के विरोध के बाद सिंडिकेट में हर वर्ष 10% फीस बढ़ाने का फैसला लिया गया था. और अब सुविधाओं के अभाव में छात्रों को ये बढ़ी हुई फीस भी भार लग रही है.

जयपुर. आरयू फीस वृद्धि को लेकर छात्रों ने प्रदर्शन किया. दरअसल हर साल रेगुलर कोर्स में 10 फीसदी फीस की वृद्धि की जाती है. आरयू में एसएफएस कोर्स की फीस तो अब कई प्राइवेट सेक्टर के कॉलेज से भी ज्यादा हो गई है. जिसे लेकर छात्रों में आक्रोश देखने को मिल रहा है. वहीं कुलपति ने इसे सिंडिकेट का निर्णय बताते हुए कहा कि वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए विश्वविद्यालय में 10% फीस बढ़ाई गई है.

आरयू में फिर बढ़ाई गई फीस
प्रदेश का सबसे बड़ा और सबसे प्रमुख राजस्थान विश्वविद्यालय में इन दिनों मिशन एडमिशन का दौर जारी है. इसे लेकर आज संघटक कॉलेजों ने अपनी पहली मेरिट कटऑफ लिस्ट भी जारी कर दी. बीए, बीकॉम, बीएससी, बीसीए, बीबीए को लेकर निकली कट ऑफ लिस्ट के बाद गुरुवार से फीस जमा कराने का दौर भी शुरू हो जाएगा. लेकिन छात्रों में प्रोस्पेक्टस में अंकित की गई फीस को लेकर आक्रोश है. रेगुलर कोर्सेज में फीस बढ़ोतरी के खिलाफ छात्रों ने मोर्चा खोल दिया है. इसे लेकर एबीवीपी एनएसयूआई सभी ने हर साल 10 फीसदी बढ़ाई जाने वाली फीस पर विरोध दर्ज कराया है. छात्रों ने कहा कि विश्वविद्यालय का ध्यान फीस वृद्धि पर है. जबकि उन्हें सीट वृद्धि पर काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का स्तर लगातार गिरता जा रहा है, और फीस का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है.


उधर, विश्वविद्यालय कुलपति आरके कोठारी ने कहा कि फीस बढ़ाने का फैसला कुलपति का नहीं, सिंडिकेट में लिया गया निर्णय है. यूनिवर्सिटी की वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए 10% फीस बढ़ाई गई है. हालांकि उन्होंने ये माना कि एसएफएस कोर्स में फीस का स्तर प्राइवेट सेक्टर से भी ज्यादा हो गया है. जिस पर हर 3 साल में रोक लगाए जाने की बात कही. साल 2015 में अचानक विश्वविद्यालय की ओर से 45% फीस बढ़ा दी गई थी. जिस पर छात्रों के विरोध के बाद सिंडिकेट में हर वर्ष 10% फीस बढ़ाने का फैसला लिया गया था. और अब सुविधाओं के अभाव में छात्रों को ये बढ़ी हुई फीस भी भार लग रही है.

Intro:जयपुर - राजस्थान विश्वविद्यालय में नया सत्र शुरू होने के साथ ही हर साल फीस वृद्धि कर दी जाती है। इस बार भी रेगुलर कोर्स में 10 फ़ीसदी फीस की बढ़ोतरी की गई है। जबकि एसएफएस कोर्स की फीस तो अब कई प्राइवेट सेक्टर के कॉलेज से भी ज्यादा हो गई है। जिसे लेकर छात्रों में आक्रोश देखने को मिल रहा है। वहीं कुलपति ने इसे सिंडिकेट का निर्णय बताते हुए कहा कि वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए विश्वविद्यालय में 10% फीस बढ़ाई गई है।


Body:प्रदेश का सबसे बड़ा और सबसे प्रमुख राजस्थान विश्वविद्यालय में इन दिनों मिशन एडमिशन का दौर जारी है। इसे लेकर आज संघटक कॉलेजों ने अपनी पहली मेरिट कटऑफ लिस्ट भी जारी कर दी। बीए, बीकॉम, बीएससी, बीसीए, बीबीए को लेकर निकली कट ऑफ लिस्ट के बाद गुरुवार से फीस जमा कराने का दौर भी शुरू हो जाएगा। लेकिन छात्रों में प्रोस्पेक्टस में अंकित की गई फीस को लेकर आक्रोश है। रेगुलर कोर्सेज में फीस बढ़ोतरी के खिलाफ छात्रों ने मोर्चा खोल दिया है। इसे लेकर एबीवीपी एनएसयूआई सभी ने हर साल 10 फीसदी बढ़ाई जाने वाली फीस पर विरोध दर्ज कराया है। छात्रों ने कहा कि विश्वविद्यालय का ध्यान फीस वृद्धि पर है। जबकि उन्हें सीट वृद्धि पर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। और फीस का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है।
बाईट - अमित बड़बड़वाल, छात्र नेता

उधर, विश्वविद्यालय कुलपति आरके कोठारी ने कहा कि फीस बढ़ाने का फैसला कुलपति का नहीं, सिंडिकेट में लिया गया निर्णय है। यूनिवर्सिटी की वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए 10% फीस बढ़ाई गई है। हालांकि उन्होंने ये माना कि एसएफएस कोर्स में फीस का स्तर प्राइवेट सेक्टर से भी ज्यादा हो गया है। जिस पर हर 3 साल में रोक लगाए जाने की बात कही।
बाईट - प्रोफेसर आरके कोठारी, कुलपति


Conclusion:साल 2015 में अचानक विश्वविद्यालय की ओर से 45% फीस बढ़ा दी गई थी। जिस पर छात्रों के विरोध के बाद सिंडिकेट में हर वर्ष 10% फीस बढ़ाने का फैसला लिया गया था। और अब सुविधाओं के अभाव में छात्रों को ये बढ़ी हुई फीस भी भार लग रही है।
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