जयपुर. राजधानी के दुर्गापुरा कृषि अनुसंधान केंद्र में सोमवार से शुरू हुए राजस्थान मिलेट्स कॉन्क्लेव में मोटे अनाज से बने खाद्य पदार्थों की 100 से ज्यादा स्टॉल्स लगाई गई हैं. इनमें बाजरा, ज्वार, सावा, रागी जैसे उत्पादों से बनी खाद्य सामग्री लोगों को खासी पसंद आ रही है.
खास तौर पर बाजरे के लड्डू, बिस्किट, नमकीन और कुरकुरे लोग चाव से खरीद रहे हैं. इसके अलावा ज्वार से बने उत्पाद भी लोगों को पसंद आ रहे हैं. गौरतलब है कि राजस्थान में देश का सबसे ज्यादा बाजारा उत्पादित किया जाता है. केंद्र सरकार ने बाजरा सहित कई मिलेट्स को 'श्री अन्न' का दर्जा दिया है. इससे इन फसलों को उगाने वाले किसानों के भी दिन फिरने की उम्मीद उम्मीद बढ़ी है. विशेषज्ञों का कहना है कि बाजरा, ज्वार, सावा और रागी जैसे मोटे अनाज डायबिटीज जैसी कई बीमारियों से बचाती है.
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लंबे समय तक खराब नहीं होते हैं उत्पाद: जोधपुर के किसान रामचंद पंचारिया का कहना है कि पश्चिमी राजस्थान में बहुतायत से पैदा होने वाले बाजरे को मोटे अनाज में शामिल किया गया है. इससे आने वाले समय में फायदा होने की उम्मीद है. उनका कहना है कि उन्होंने काजरी में प्रशिक्षण लेने के बाद बाजरे को प्रोसेस कर नमकीन, बिस्किट, कुरकुरे और लड्डू बनाए गए हैं. प्रोसेस करने से फायदा यह होता है कि बाजरे से बने उत्पाद लंबे समय तक प्रयोग किए जा सकते हैं. सामान्य तौर पर बाजरे का आटा कुछ ही दिनों में खराब हो जाता है.
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मेजर मिलेट्स में शामिल है बाजरा और ज्वार: भारत सरकार के कृषि मंत्रालय में तकनीकी अधिकारी अजय स्वामी बताते हैं कि मंत्रालय की ओर से मिलेट्स के प्रमोशन के लिए यहां स्टॉल लगाई गई है. मिलेट्स मूल रूप से एक छोटे बीजों वाली घास होती है. जिन्हें दो श्रेणियों में बांटा गया है. मेजर मिलेट्स में ज्वार, बाजरा और रागी को रखा गया है. जबकि पांच माइनर मिलेट्स हैं जो मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और झारखंड में होती है. कुछ ऐसी फसलें होती हैं जो पहाड़ी क्षेत्रों में भी होती हैं. सरकार का उद्देश्य है कि आम जनमानस मिलेट्स को अपने खाने की प्लेट्स का हिस्सा बनाए. इससे स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याओं से बचा जा सकता है.
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देश में राजस्थान में पैदा होता है सबसे ज्यादा बाजरा: बाजरा खरीफ की फसल में शामिल है. देश में कुल पैदा होने वाले बाजरे का करीब 45 फीसदी राजस्थान में होता है. बाजरा कम पानी में होने वाली फसल है. इसलिए पश्चिमी राजस्थान के उन इलाकों में भी बाजरा बहुतायत से होता है, जहां कम बारिश होती है.