जयपुर. विधानसभा में पूछे जाने वाले सवालों के जवाबों की पेंडेंसी लगातार बढ़ती जा रही है. विभागों की ओर से सदन में जवाब उपलब्ध नहीं कराने पर अध्यक्ष सीपी जोशी ने बुधवार को विधानसभा में उच्च अधिकारियों के साथ बैठक की. इस दौरान जोशी ने जवाब में हो रही देरी पर नाराजगी जताई. साथ ही विभागीय अधिकारियों को साल के अंत में अपने-अपने विभागों की समीक्षा करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि क्वालिटी ऑफ डिबेट के लिए विधानसभा में पूछे गए सवालों के जवाब उपलब्ध होना जरूरी है.
अधिकारियों की जवाबदेही तय हो : विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी ने कहा कि विधानसभा में पूछे गए प्रश्नों का जवाब प्राथमिकता से दिया जाना आवश्यक है. विधानसभा में क्वालिटी ऑफ डिबेट (गुणवत्तापरक बहस) के लिए यह जवाब जरूरी होते हैं. उन्होंने कहा कि समय पर कार्यों का निस्तारण किया जाना चाहिए. विभागों के वार्षिक प्रतिवेदनों को हर वर्ष दिसम्बर माह में अधिकारीगण फॉलोअप करें, ताकि यह प्रतिवेदन विधानसभा सत्र आरम्भ होने के सात दिवस पूर्व विधानसभा में आवश्यक रूप से प्रस्तुत हो सकें. वार्षिक प्रतिवेदन विधानसभा सत्र प्रारम्भ होने के सात दिवस पूर्व विधानसभा में प्रस्तुत किया जाना आवश्यक है.
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15 दिन में जवाब दो : अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी ने 14 वीं व 15 वीं विधानसभा के विभिन्न सत्रों में पूछे गए प्रश्नों की विभागवार समीक्षा की. प्रश्नों के जवाब आगामी 15 दिन में विधानसभा में प्रस्तुत करने के अधिकारियों को निर्देश दिए. डॉ. जोशी ने कहा कि अधिकारीगण प्रश्नों, ध्यानाकर्षण प्रस्तावों, विशेष उल्लेखों, सरकारी आश्वासनों के जवाब और वार्षिक प्रतिवेदन को समय पर भेजा जाना सुनिश्चित करें. इसके साथ ही अध्यक्ष ने विधानसभा के विभिन्न सत्रों में आए ध्यानाकर्षण प्रस्तावों, विशेष उल्लेखों, आश्वासनों और वार्षिक प्रतिवेदनों की समीक्षा की. समीक्षा बैठक में राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और शासन सचिवगण मौजूद रहे.
60 फीसदी सवाल पेंडिंग : राजस्थान विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्य सवाल करते हैं, लेकिन सरकार इन सवालों के जवाब देने में गंभीर नहीं है. आंकड़ों के अनुसार 60 फीसदी से ज्यादा सवालों के जवाब पेंडिंग हैं. न केवल 14 वीं और 15 वीं विधानसभा, बल्कि इससे पहले विधानसभा सत्र में पूछे गए सवालों के जवाब भी अभी तक नहीं आए हैं. जबकि सदन में पूछे जाने वाले तमाम सवाल आम जनता की परेशानियों से जुड़े हुए होते हैं. सवालों के जवाब नहीं मिलने से कई बार विधायक नाराजगी जता चुके हैं, इसके बावजूद भी सरकार इनके प्रति गंभीर नजर नहीं आ रही है.