कोटा : भारतीय सेना की दक्षिणी पश्चिमी कमान "सप्त शक्ति" का भव्य अलंकरण समारोह कोटा स्थित गांडीव डिवीजन के ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया. इस गौरवमयी अवसर पर एक युद्ध सेना पदक और सात गैलंट्री सेना पदक प्रदान किए गए. इसके अतिरिक्त एक उत्कृष्ट और पांच विशिष्ट सेना मेडल भी दिए गए.
युद्ध और गैलंट्री सेना पदक उन सैनिक कर्मियों और अधिकारियों को मिले हैं, जिन्होंने अपने अदम्य साहस से न केवल खूंखार आतंकवादियों को परास्त किया, बल्कि जम्मू-कश्मीर और अन्य संवेदनशील इलाकों में शांति स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसके अलावा, मणिपुर में भड़की जातीय हिंसा के दौरान लोगों को सुरक्षित बचाने और उपद्रवियों से निपटने में भी इन जांबाजों ने अप्रतिम शौर्य का प्रदर्शन किया. आइए जानते हैं उन वीर सैनिकों की गाथाएं, जिन्होंने अपने पराक्रम से राष्ट्र का मस्तक ऊंचा किया.
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कर्नल ऋषिकेश अजित वाकनिस को युद्ध सेना मेडल : जम्मू कश्मीर राइफल के कर्नल ऋषिकेश अजित वाकनिस को युद्ध सेना मेडल से सम्मानित किया गया. वे वर्ष 2023 तक ढाई वर्षों तक जम्मू-कश्मीर में तैनात रहे. उन्होंने अपनी बटालियन के साथ मिलकर संवेदनशील इलाकों में अमन बहाली का कठिन कार्य किया. इस दौरान उन्होंने कई अभियानों का नेतृत्व किया, जिसमें सैकड़ों घुसपैठियों को मार गिराया गया. इसके साथ ही, उन्होंने नॉन-काइनेटिक एक्शंस के माध्यम से स्थानीय नागरिकों से संवाद स्थापित कर उनकी समस्याओं का समाधान किया और क्षेत्र में शांति बनाए रखने का कार्य किया.
इन सात जवान और अधिकारियों को मिला सेना मेडल गैलंट्री
लेफ्टिनेंट कर्नल रोशन कुमार जैन : राजस्थान के श्रीडूंगरगढ़ निवासी और महार रेजिमेंट में लेफ्टिनेंट कर्नल रोशन कुमार जैन को उनके अद्वितीय साहस के लिए सम्मानित किया गया. साल 2023 में वे जम्मू कश्मीर में तैनात थे. उन्होंने हिजबुल मुजाहिदीन के दो खूंखार आतंकवादियों को मार गिराने में अहम भूमिका निभाई. यह ऑपरेशन 6 अगस्त 2023 को हुआ था. सेना को लाइन ऑफ कंट्रोल के नजदीक पुंछ सेक्टर में हिजबुल मुजाहिदीन के दो खूंखार आतंकवादियों के घुसपैठ की सूचना मिली. टीम लगातार 3 दिन तक तैनात रही और सतर्कता बनाए रखी. रात 1:45 बजे उनकी टीम ने दोनों आतंकियों को घेर लिया और उन्हें नजदीक आने दिया. मात्र 10 मीटर दूरी पर सेना क टुकड़ी ने उन्हें चैलेंज किया. इस दौरान आतंकवादियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. इसके बाद लेफ्टिनेंट कर्नल जैन ने बहादुरी से जवाबी कार्रवाई कर दोनों को ढेर कर दिया.
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गनर हरिचंद : जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों को खत्म करने के अभियान में गनर हरिचंद ने अभूतपूर्व वीरता दिखाई. एक दिन उनकी टीम को सूचना मिली कि एक घर में दो आतंकवादी छिपे हुए हैं. इसके बाद सेना की टुकड़ी, जिसमें गनर हरिचंद भी शामिल थे, आतंकियों को पकड़ने के लिए ऑपरेशन शुरू किया. बुलेटप्रूफ जेसीबी की मदद से जब टीम घर के नजदीक पहुंची, तो आतंकवादियों ने गोलीबारी और ग्रेनेड से हमला शुरू कर दिया. गनर हरिचंद ने अपनी जान की परवाह किए बगैर अदम्य साहस का परिचय देते हुए आतंकियों पर टूट पड़े और जवाबी फायरिंग में दोनों आतंकवादियों को ढेर कर दिया.
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मेजर रोहित सांगवान : पंजाब रेजीमेंट के मेजर रोहित सागवान 2023-24 के दौरान मणिपुर में तैनात थे. यहां पर कुकी और मैतेई समुदायों के बीच जातीय हिंसा जारी था. CRPF के कैंप में 100 से अधिक कुकी परिवारों को सुरक्षा दी गई थी. इसी दौरान कुछ हथियारबंद उपद्रवियों ने सीआरपीएफ कैंप पर हमला कर दिया. यहां मेजर रोहित सांगवान ने साहसिक कार्रवाई करते हुए उपद्रवियों को खदेड़ा और सभी परिवारों को कैंप से सुरक्षित बाहर निकालने में सफल रहे. इसके लिए उन्हें सेना मेडल गैलंट्री से सम्मानित किया गया.
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मेजर सौरभ थापा : मूल रूप से उत्तराखंड देहरादून के रहने वाले मेजर सौरभ थापा फील्ड रेजीमेंट में तैनात हैं. मेजर सौरभ थापा मणिपुर में जातीय हिंसा और दंगों के दौरान साल 2023 के मई महीने में कानून व्यवस्था देख रही टीम का नेतृत्व कर रहे थे. इस दौराना इंफाल में 800 से अधिक लोग फंसे हुए थे, जिन्हें सुरक्षित निकालने की जिम्मेदारी मेजर सौरभ थापा की थी. भारी गोलीबारी के बीच मेजर सौरभ थापा के नेतृत्व में टीम ने एक साहसी अभियान चलाया गया, जिसमें सभी लोगों को सुरक्षित निकाला गया और हिंसक भीड़ के हमले को विफल कर दिया गया. इसके लिए उन्हें सम्मानित किया गया.
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मेजर माणिक सती : मूल रूप से उत्तराखंड के हल्द्वानी के रहने वाले जाट रेजिमेंट में मेजर माणिक सती साल 2023 मणिपुर में तैनात थे. जातीय हिंसा के दौरान बड़ी संख्या में कुछ लोग स्वचालित हथियारों के साथ लोगों पर हमला कर दिया. घरों को जलाया जा रहा था. इस दौरान मेजर मानिक सती ने ऑपरेशन की कमान संभाली और अपने नेतृत्व कौशल और साहस का अद्वितीय परिचय देते हुए करीब 400 लोगों को सुरक्षित बचाया.
नायक जसवीर सिंह : मणिपुर में हिंसा के दौरान एक गांव की सुरक्षा में जाट रेजीमेंट के नायक जसवीर सिंह को तैनात किया गया था. उनकी टुकड़ी में चार से पांच लोग थे. वह गांव की सुरक्षा में लग रहे थे. इसी दौरान उपद्रवियों ने अचानक गोलीबारी शुरू कर दी. इसमें जसवीर सिंह को भी गोली लगी, लेकिन उन्होंने अपनी टोली का नेतृत्व जारी रखा और बहादुरी का परिचय देते हुए जवाबी कार्रवाई की और ग्रामीणों की रक्षा सुनिश्चित की. उनकी इसी बहादुरी के लिए उन्हें सेना मेडल गैलंट्री दिया गया.
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राइफलमैन चुन्नीलाल : जम्मू कश्मीर राइफल बटालियन के राइफलमैन चुन्नीलाल सियाचिन के उत्तरी ग्लेशियर में तैनात थे. उन्हें सूचना मिली कि एक सिविल सुरक्षा कर्मचारी ग्लेशियर के दरार में करीब 30 फीट नीचे गिर गया. उसे बचाने का ऑपरेशन चलाया जा रहा था. चुन्नीलाल और उसके सीनियर्स साथी भी वहां पर मौजूद थे. अदम्य साहस दिखाते हुए चुन्नीलाल ने अपनी जान की परवाह किए बगैर 30 फीट गहरे ग्लेशियर में उतर गए. यह जानते हुए भी कि इस रेस्क्यू में उनकी जान जा सकती है, वह पीछे नहीं हटे और कर्मचारी को सुरक्षित निकालकर अपनी वीरता का परिचय दिया. इस अलंकरण समारोह ने भारतीय सेना के जांबाज सैनिकों की बहादुरी, कर्तव्यपरायणता और त्याग का सम्मान किया गया. इन वीर योद्धाओं की कहानियां न केवल प्रेरणादायक हैं, बल्कि राष्ट्र के प्रति उनकी निष्ठा और समर्पण को भी दर्शाती हैं. उनका साहस और बलिदान भारतीय सेना की गौरवशाली परंपरा को और भी सुदृढ़ करता है.