जयपुर. डॉक्टरों के कार्य बहिष्कार के कारण प्रदेश के सबसे बड़े सवाई मानसिंह अस्पताल में चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गई हैं. यहां न केवल जयपुर बल्कि प्रदेश के दूर-दराज के इलाकों और प्रदेश के बाहर से आए मरीजों और उनके परिजनों को भी इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है. दरअसल, राज्य सरकार द्वारा लाए गए 'राइट टू हेल्थ' बिल के विरोध में निजी अस्पतालों के डॉक्टर लगातार आंदोलन कर रहे हैं. अब इनके समर्थन में सरकारी चिकित्सक भी उतर आए हैं. उन्होंने आज सोमवार को दो घंटे का कार्य बहिष्कार कर अपना विरोध दर्ज करवाया और आंदोलनरत डॉक्टरों को अपना समर्थन दिया. हालांकि, कार्य बहिष्कार सुबह 9 से 11 बजे तक ही था लेकिन सवाई मानसिंह अस्पताल के धन्वन्तरि ओपीडी में 11 बजे के बाद भी डॉक्टरों के ज्यादातर चैंबर खाली दिखे. इसके चलते सुबह 8-8:30 बजे से कतार में लगे मरीज और उनके परिजन परेशान होते रहे.
अपनी बीमारी का इलाज कराने आगरा से आई बुजुर्ग महिला संतोष का कहना है कि वह सुबह से कतार में लगी है. लेकिन करीब दो घंटे बाद भी उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. वह खांसी, जुकाम और बुखार की समस्या से परेशान है.
470 किमी सफर के बाद भी तकलीफ का अंत नहीं
गंगानगर से आए भगीरथ बताते हैं कि उनके पिताजी की हालत गंभीर है. उनके फेफड़े फट गए हैं. सुबह से वह उन्हें लेकर भूखे-प्यासे लाइन में खड़े हैं. लेकिन अभी तक उनका नंबर नहीं आया है. वे बताते हैं कि फेफड़ों की समस्या के कारण उनके पिताजी करीब एक महीने तक गंगानगर अस्पताल में भर्ती रहे. एक दिन पहले ही वे उन्हें लेकर अच्छे इलाज की उम्मीद में यहां जयपुर आए हैं. लेकिन यहां भी उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. वे करीब ढाई घंटे से कतार में लगकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन अभी तक लाइन एक इंच भी आगे नहीं खिसकी है.
कोई नहीं बता पा रहा कब आएंगे डॉक्टर
जमवारामगढ़ से आए रामनारायण की भी यही पीड़ा है. वे अपने रिश्तेदार को दिखाने एसएमएस एसएमएस अस्पताल पहुंचे लेकिन यहां उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. वे सुबह 9 बजे से कतार में लगे हैं लेकिन अभी तक डॉक्टर का कोई अता-पता नहीं है. बार-बार उन्हें लाइन में खड़ा होने के लिए कहा जा रहा है लेकिन डॉक्टर कब तक आएंगे यह कोई नहीं बता पा रहा है.
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थके तो दीवार के सहारे जमीन पर बैठ गए बुजुर्ग
सांस और दमा की बीमारी से पीड़ित कतार में लगे बस्सी के कजोड़मल थक गए तो दीवार के सहारे जमीन पर ही बैठ गए. उनका कहना है कि सांस की तकलीफ के चलते वे पहले अस्पताल में भर्ती हुए थे. बाद में उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया. अब जब दवा खत्म हो गई तो दुबारा डॉक्टर को दिखाने और दवा लेने आए हैं. वे सुबह करीब 8:30 बजे आकर कतार में खड़े हो गए थे लेकिन 11 बजे तक वे डॉक्टर को दिखाने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं.
दूर-दराज से आए हजारों मरीज और परिजन परेशान
संतोष, भगीरथ, रामनारायण रामनारायण और कजोड़मल तो कुछ उदहारण हैं. आज सवाई मानसिंह अस्पताल अस्पताल में आए सैकड़ों मरीजों और उनके परिजनों की पीड़ा कमोबेश एक जैसी ही है. कोई खुद बीमार होकर भी कतार में डॉक्टर के आने की राह देख रहा है तो कोई अपने किसी बीमार परिजन को दिलासा देते हुए लंबी कतार में अपनी बारी का इंतजार कर रहा है. लेकिन जब तक डॉक्टर नहीं आते तब तक इनकी पीड़ा सुनने वाला यहां कोई नहीं है.