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शास्त्री नगर दुष्कर्म प्रकरण: आरोपी की शिनाख्त परेड में पॉक्सो एक्ट की अवहेलना, पुलिस कमिश्नर से मांगा स्पष्टीकरण - shastri nagar rape

शास्त्री नगर थाना इलाके में सात साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म होने के बाद पुलिस की गिरफ्त में आए आरोपी जीवाणु को पीड़िता द्वारा शिनाख्ती के लिए जेल परिसर में शिनाख्त परेड की गई जिसमें सात साल की बच्ची को अकेले जेल में ले जाया गया. पुलिस के इस रवैये से नाराज राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने पुलिस कमिश्नर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

SLSA ने पुलिस को जारी किया नोटिस
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Published : Jul 13, 2019, 11:20 PM IST

जयपुर. शास्त्री नगर थाना इलाके में 7 साल की मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा हो गया है. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में भी पुलिस कमिश्नर को नोटिस जारी कर अपना स्पष्टीकरण देने को कहा है.

शास्त्री नगर थाना इलाके में 7 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले में आरोपी जीवाणु की शिनाख्त परेड के दौरान पोक्सो कानून की अवहेलना करने पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने सवाल उठाया है. इसके साथ ही प्राधिकरण के सदस्य सचिव ने पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर इस संबंध में अपना स्पष्टीकरण भी देने को कहा है.

प्राधिकरण के पत्र में कहा गया कि आरोपी से शिनाख्त परेड के लिए नाबालिग पीड़िता को अकेले जेल ले जाया गया. इसके अलावा पोक्सो अधिनियम के प्रावधानों की अवहेलना करते हुए पीड़िता और आरोपी को आमने सामने खड़ा किया गया. पोक्सो अधिनियम की धारा 24 में स्पष्ट प्रावधान है कि अनुसंधान के किसी भी स्तर पर पीड़िता किसी भी तरह से आरोपी के संपर्क में नहीं आनी चाहिए.

गौरतलब है कि गत दिनों पुलिस ने मामले में न्यायिक अभिरक्षा में बंद आरोपी जीवाणु की शिनाख्त के लिए शिनाख्त परेड कराई थी. जिसके चलते पीड़िता को केंद्रीय कारागार लेकर जाया गया. वहीं पीड़िता के साथ उनके अभिभावकों को जेल परिसर में जाने की अनुमति नहीं दी गई. पीड़िता को अकेले ही जेल परिसर के अंदर ले जाया गया और आरोपी जीवाणु के सामने खड़ा कर पीड़िता से शिनाख्त कराई गई. जबकि पोस्ट अधिनियम में स्पष्ट प्रावधान है कि अनुसंधान और ट्रायल के दौरान आरोपी और पीड़िता एक दूसरे के सामने नहीं आ सकते. यहां तक कि मुकदमे की सुनवाई के दौरान भी पीड़िता को अदालत कक्ष में इस तरह रखा जाता है कि आरोपी उसे देख ना सके और पीड़िता अपने बयान आसानी से दर्ज करा सके.

जयपुर. शास्त्री नगर थाना इलाके में 7 साल की मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा हो गया है. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में भी पुलिस कमिश्नर को नोटिस जारी कर अपना स्पष्टीकरण देने को कहा है.

शास्त्री नगर थाना इलाके में 7 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले में आरोपी जीवाणु की शिनाख्त परेड के दौरान पोक्सो कानून की अवहेलना करने पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने सवाल उठाया है. इसके साथ ही प्राधिकरण के सदस्य सचिव ने पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर इस संबंध में अपना स्पष्टीकरण भी देने को कहा है.

प्राधिकरण के पत्र में कहा गया कि आरोपी से शिनाख्त परेड के लिए नाबालिग पीड़िता को अकेले जेल ले जाया गया. इसके अलावा पोक्सो अधिनियम के प्रावधानों की अवहेलना करते हुए पीड़िता और आरोपी को आमने सामने खड़ा किया गया. पोक्सो अधिनियम की धारा 24 में स्पष्ट प्रावधान है कि अनुसंधान के किसी भी स्तर पर पीड़िता किसी भी तरह से आरोपी के संपर्क में नहीं आनी चाहिए.

गौरतलब है कि गत दिनों पुलिस ने मामले में न्यायिक अभिरक्षा में बंद आरोपी जीवाणु की शिनाख्त के लिए शिनाख्त परेड कराई थी. जिसके चलते पीड़िता को केंद्रीय कारागार लेकर जाया गया. वहीं पीड़िता के साथ उनके अभिभावकों को जेल परिसर में जाने की अनुमति नहीं दी गई. पीड़िता को अकेले ही जेल परिसर के अंदर ले जाया गया और आरोपी जीवाणु के सामने खड़ा कर पीड़िता से शिनाख्त कराई गई. जबकि पोस्ट अधिनियम में स्पष्ट प्रावधान है कि अनुसंधान और ट्रायल के दौरान आरोपी और पीड़िता एक दूसरे के सामने नहीं आ सकते. यहां तक कि मुकदमे की सुनवाई के दौरान भी पीड़िता को अदालत कक्ष में इस तरह रखा जाता है कि आरोपी उसे देख ना सके और पीड़िता अपने बयान आसानी से दर्ज करा सके.

Intro:जयपुर। शास्त्री नगर थाना इलाके में 7 साल की मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा हो गया है। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में भी पुलिस कमिश्नर को नोटिस जारी कर अपना स्पष्टीकरण देने को कहा है।


Body:शास्त्री नगर थाना इलाके में 7 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले में आरोपी जीवाणु की शिनाख्त परेड के दौरान पोक्सो कानून की अवहेलना करने पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने सवाल उठाया है। इसके साथ ही प्राधिकरण के सदस्य सचिव ने पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर इस संबंध में अपना स्पष्टीकरण भी देने को कहा है। प्राधिकरण के पत्र में कहा गया कि आरोपी से शिनाख्त परेड के लिए नाबालिग पीड़िता को अकेले जेल ले जाया गया। इसके अलावा पोक्सो अधिनियम के प्रावधानों की अवहेलना करते हुए पीड़िता और आरोपी को आमने सामने खड़ा किया गया। पोक्सो अधिनियम की धारा 24 में स्पष्ट प्रावधान है कि अनुसंधान के किसी भी स्तर पर पीड़िता किसी भी तरह से आरोपी के संपर्क में नहीं आनी चाहिए।
गौरतलब है कि गत दिनों पुलिस ने मामले में न्यायिक अभिरक्षा में बंद आरोपी जीवाणु की शिनाख्त के लिए शिनाख्त परेड कराई थी। जिसके चलते पीड़िता को केंद्रीय कारागार लेकर जाया गया। वही पीड़िता के साथ उनके अभिभावकों को जेल परिसर में जाने की अनुमति नहीं दी गई। पीड़िता को अकेले ही जेल परिसर के अंदर ले जाया गया और आरोपी जीवाणु के सामने खड़ा कर पीड़िता से शिनाख्त कराई गई। जबकि पोस्ट अधिनियम में स्पष्ट प्रावधान है कि अनुसंधान और ट्रायल के दौरान आरोपी और पीड़िता एक दूसरे के सामने नहीं आ सकते। यहां तक कि मुकदमे की सुनवाई के दौरान भी पीड़िता को अदालत कक्ष में इस तरह रखा जाता है कि आरोपी उसे देख ना सके और पीड़िता अपने बयान आसानी से दर्ज करा सके।


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