जयपुर. 'जयपुर शहर' के विश्व धरोहर की सूची में शामिल होने के बाद प्रदेशवासियों में खुशी की लहर है. धारीवाल ने जयपुर को वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में शामिल होने से पर्यटन और व्यापारियों को फायदा मिलने की भी बात कही. जबकि जयपुर के मेयर ने बीजेपी की ओर से उनकी पेरिस यात्रा पर उठाए गए सवालों का इसे जवाब बताया.
ऐतिहासिक इमारतों से घिरे जयपुर के लिए शनिवार का दिन खुशी की खबर लेकर आया. यूनेस्को की ओर से विश्व धरोहर की सूची में जयपुर का नाम शामिल कर लिया गया है. जयपुर के इस कीर्तिमान पर प्रदेश के यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल भी शहरवासियों को बधाई दी. प्रदेश के यूडीएच मंत्री इसे 1998 से शुरू की गई कोशिश का नतीजा बता रहे है. उन्होंने कहा 1998 से चार दीवारी के हेरिटेज क्षेत्र को बचाए रखने की मुहिम सरकार की ओर से चलाई गई.
परकोटा क्षेत्र को नो कंस्ट्रक्शन जोन भी घोषित किया गया. यहां पर फसाड़ वर्क और गलियों की मरम्मत भी कराई गई. ये प्रयास कांग्रेस ने अपने 2008 से 2013 के कार्यकाल में भी जारी रखा और 2019 में मेयर और निगम के दूसरे अधिकारियों के जरिए यूनेस्को प्रेजेंटेशन भेजा गया. जिसके बाद शहर को ये सौगात मिली.
उन्होंने कहा कि इससे पर्यटन को तो लाभ मिलेगा ही, साथ ही शहर के व्यापारी, मजदूर वर्ग को भी इसका फायदा मिलेगा. मंत्री ने शहर के लिए एक चैलेंज लेते हुए कहा कि अभी काफी काम करना बाकी है, साथ ही देश के दूसरे हेरिटेज साइट से ऊपर आकर जयपुर का नाम भी करना है.
उधर, मेयर विष्णु लाटा भी मंत्री शांति धारीवाल और सीएम अशोक गहलोत को बधाई देने के लिए उनके सरकारी आवास पर पहुंचे. इस दौरान विष्णु लाटा ने कहा कि 1727 में जयपुर की स्थापना हुई थी. और तब से जयपुर वासियों ने शहर को हेरिटेज बनाए रखा. उन्होंने कहा कि भले ही बीजेपी ने उनके पेरिस दौरे पर सवाल खड़े किए हो लेकिन जयपुर का विश्व धरोहर की सूची में शामिल होना उनके इन्हीं सवालों का जवाब है.
इस दौरान उन्होंने यूनेस्को की गाइडलाइन पर काम करने, और चुनौतियों के साथ आगे बढ़ने की भी बात कही. बता दें कि राजस्थान में स्थित वर्ल्ड हैरिटेज साइट्स मौजूद हैं इनमें चित्तौड़गढ़ का किला, कुंभलगढ़, जैसलमेर, रणथंभौर और गागरोन का किला शामिल है. और अब जयपुर का चारदीवारी क्षेत्र भी इस सूची में शामिल हो गया है.