जयपुर. जिले के ग्रामीण क्षेत्र में आने वाली शाहपुरा विधानसभा सीट पर बीजेपी ने बेरोजगारों के लिए संघर्ष करने वाले उपेन यादव पर दांव खेला. वहीं, निर्दलीय और वर्तमान विधायक आलोक बेनीवाल एक बार फिर मैदान में उतरे थे, लेकिन इन नामों को दरकिनार करते हुए शाहपुरा की जनता ने मनीष यादव पर विश्वास जताया और उन्हें शाहपुरा से 64,908 वोटों की बड़ी जीत दिलाई. बीजेपी प्रत्याशी यहां तीसरे पायदान पर रहे.
शाहपुरा से 2018 में मिली हार के बावजूद कांग्रेस आलाकमान ने मनीष यादव पर दोबारा दांव खेला और इस बार मनीष यादव ने अपना लोहा मनवाते हुए एक बड़ी जीत दर्ज की. ईटीवी भारत से खास बातचीत में मनीष यादव ने बताया कि 2010 में यहीं से छात्र संघ अध्यक्ष के रूप में निकले थे. उस वक्त छात्रों का साथ मिला था और आज जब वो विधानसभा पहुंच रहे हैं तो शाहपुरा की जनता के साथ की वजह से पहुंच रहे हैं. उन्होंने शाहपुरा की 36 कौम की जनता का आभार जताते हुए कहा कि क्षेत्र की जनता ने इतने लंबे समय तक संघर्ष करने की ताकत उन्हें दी और उन्होंने भी निष्ठा, समर्पण, दृढ़ निश्चय और ईमानदारी से क्षेत्र में काम किया.
उन्होंने कहा कि पिछला चुनाव वो हार गए थे, जिसका मलाल उनसे ज्यादा क्षेत्र की जनता को रहा और बीते 5 वर्षों में जनता ने उनका जो काम देखा, उसका ही आज नतीजा मिला है. विपरीत परिस्थितियों में उन्होंने काम किया, कोरोना काल में हर वर्ग के साथ लगातार वो जुटे रहे.
विधायक से अंसतुष्ट थी जनता : शाहपुरा सीट को त्रिकोणीय मुकाबला बताये जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि पहले दिन से ये एक तरफा ही मुकाबला था, क्योंकि बीते 5 साल पूर्व विधायक के कार्यकाल से जनता संतुष्ट नहीं थी. क्षेत्र में भ्रष्टाचार का वातावरण रहा. उन्होंने कांग्रेस सरकार में खुद तो लाभ लिया, लेकिन क्षेत्र की जनता को लाभ नहीं दिया. शाहपुरा जिला नहीं बन पाया, जो विधायक की निष्क्रियता का परिचायक रहा. इसकी वजह से क्षेत्र पिछड़ा और जनता ने इस बात को भली-भांति समझा.
जनता ने रिवाज नहीं बदला : अभी भी विपक्ष में बैठने के सवाल पर उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनादेश को स्वीकार करना चाहिए. राजस्थान में कांग्रेस की सरकार ने हर वर्ग के लिए योजनाएं लाते हुए काम किया, लेकिन फिर भी राजस्थान की जनता ने रिवाज नहीं बदला. यदि कांग्रेस दोबारा सत्ता में आती तो योजनाएं नियमित हो पाती. बहरहाल, ये जनता का जनादेश है और राजस्थान की जनता ने इस बार भी रिवाज कायम रखते हुए राज बदला है.