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पांच मांगें नहीं मानने पर सरपंचों ने दी ’महंगाई राहत शिविर’ के बहिष्कार की चेतावनी - पीएम आवास योजना

राष्ट्रीय सरपंच संघ के बैनर तले सोमवार को हुई बैठक में सरपंचों ने अपनी मांगे रखते हुए सरकार से इन्हें पूरा करने की अपील की. संघ का कहना है कि यदि सरकार उनकी मांगे नहीं मानती है, तो वे महंगाई राहत शिविर का बहिष्कार करेंगे.

Sarpanchs demand more rights and departments
पांच मांगें नहीं मानने पर सरपंचों ने दी ’महंगाई राहत शिविर’ के बहिष्कार की चेतावनी
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Published : Apr 17, 2023, 6:37 PM IST

सरपंचों ने की और अधिकार और पेंशन की मांग

जयपुर. प्रदेश की जनता को महंगाई से राहत देने के लिए लगाए जा रहे महंगाई राहत शिविरों का सरपंचों ने बहिष्कार करने का एलान किया है. राष्ट्रीय सरपंच संघ के बैनर तले सोमवार को जयपुर की एक होटल में सरपंचों की बैठक हुई. राष्ट्रीय सरपंच संघ के अध्यक्ष जयराम पलसानिया ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वे अपनी मांगों को लेकर तीन साल से आंदोलन कर रहे हैं. कुछ मांगें सरकार ने मानी हैं लेकिन जो अहम मांगें हैं. वह आज भी बाकी हैं. उन्होंने कहा कि इनमें हमारी पांच प्रमुख मांगे हैं.

जयराम पलसानिया ने कहा कि एसएफसी की राशि लंबे समय से बकाया चल रही है. यह राशि जल्द से जल्द खातों में स्थानांतरित की जाए, ताकि ग्राम विकास के जो काम बाधित हो रहे हैं. वह सुचारू से करवाए जा सकें. दूसरी प्रमुख मांग 73वें संविधान संशोधन को लागू करने की है. इस संविधान संशोधन में 29 विभाग ग्राम पंचायतों को देने की बात कही गई है. लेकिन वर्तमान में महज पांच विभाग ही दे रखे हैं. वह भी नाममात्र के ही हमारे अधीन हैं. हम चाहते हैं कि 73वां संविधान संशोधन पूर्ण रूप से लागू हो और इसमें बताए गए सभी विभाग ग्राम पंचायतों को सौंपे जाए.

पढ़ेंः पंचायती राज मंत्री के बयान और सरकार की वादाखिलाफी के खिलाफ सरपंचों ने निकाली रैली, 5 अगस्त को जयपुर में डालेंगे महापड़ाव

यूपी की तर्ज पर कल्याण कोष और हरियाणा की तरह पेंशन मांगीः जयराम पलसानिया ने बताया कि उत्तर प्रदेश की तर्ज पर पंचायत कल्याण कोष की स्थापना की जाए. हरियाणा सरकार ने सरपंचों को के लिए पेंशन योजना लागू की है. इसके तहत पूर्व सरपंचों को एक हजार रुपए पेंशन दी जाएगी. हमारी मांग है कि हरियाणा की तर्ज पर राजस्थान में सरपंचों के लिए पेंशन लागू की जाए. उन्होंने कहा कि सरकार उच्च गुणवत्ता का काम करवाना चाहती है. हम भी चाहते हैं कि गांवों में हो रहे विकास कार्य उच्च गुणवत्ता के हो. इसलिए हम ई-टेंडरिंग के बजाए तीन कोटेशन के आधार पर काम करवाए जाएं.

मल्लिकार्जुन खड़गे से भी मिले सरपंचः आज हुई बैठक में सरपंचों ने निर्णय किया है कि 24 अप्रैल से पहले सरकार हमारी बात माने और हमारी मांगों को पूरा करे. यदि ऐसा नहीं होता है तो हमें मजबूरन 24 अप्रैल से लगने वाले महंगाई राहत कैंप का बहिष्कार करना पड़ेगा. हमने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से भी अपनी मांगों को लेकर मुलाकात की है. महिला सरपंच मनदीप कौर का कहना है कि इस आंदोलन में महिला सरपंच भी अपनी सहभागिता निभाएगी. यदि सरकार हमारी मांगों पर ध्यान नहीं देती है तो हम पूर्ण रूप से महंगाई राहत शिविरों का बहिष्कार करेंगे.

पढ़ेंः सरपंचों का महापड़ाव स्थगित, 24 को आंदोलन को लेकर हुए दो फाड़...शाम को मांगों पर सहमति का लिखित आदेश जारी

हठधर्मिता पर अड़ा है दूसरा धड़ाः दो धड़ों में बंटने के सवाल पर हनुमानगढ़ जिलाध्यक्ष नरेंद्र सहारण ने कहा कि जहां तक सरपंचों के दो धड़ों में बंटने की बात है. तो कोई धड़ा नहीं था. हम संघर्ष कर रहे थे. नागौर से हमने संघर्ष शुरू किया और आज यहां बैठे हैं. तीन साल के संघर्ष के बाद भी सरकार ने हमें कुछ नहीं दिया है. हमने एक कमेटी बनाई लेकिन दूसरे धड़े के लोग अपनी हठधर्मिता पर अड़े हैं. हम राष्ट्रीय सरपंच संघ के बैनर तले एकजुट हैं. उनके पास दो-चार जिलाध्यक्ष ही हैं. बाकि सभी सभी सरपंच राष्ट्रीय सरपंच संघ के साथ हैं.

पढ़ेंः सरपंच और अधिकारियों के बीच 7 घंटे चली वार्ता रही बेनतीजा...लिखित आश्वासन पर अटका मामला

पीएम आवास योजना और खाद्य सुरक्षा का नहीं मिल रहा फायदाः उनका कहना है कि पीएम आवास योजना का पैसा सरकार दबाकर बैठी है. इसके अलावा खाद्य सुरक्षा योजना में नए नाम जोड़ने के नाम पर मजाक किया जा रहा है. पीएम आवास योजना के तहत ग्रामीण हम सरपंचों से मकान मांग रहे हैं. हमारे पास कौनसे मकान हैं. हमें कोई अधिकार नहीं हैं लोगों को मकान देने का. यह उन्हें समझाएंगे कि सरकार उन्हें मकान नहीं दे रही है. खाद्य सुरक्षा के पोर्टल को लेकर भी मनमानी हो रही है. गांवों इतने कम समय के लिए पोर्टल खोला जाता है कि गांवों में लोग नाम ही नहीं जुड़वा नहीं पाते हैं.

सरपंचों ने की और अधिकार और पेंशन की मांग

जयपुर. प्रदेश की जनता को महंगाई से राहत देने के लिए लगाए जा रहे महंगाई राहत शिविरों का सरपंचों ने बहिष्कार करने का एलान किया है. राष्ट्रीय सरपंच संघ के बैनर तले सोमवार को जयपुर की एक होटल में सरपंचों की बैठक हुई. राष्ट्रीय सरपंच संघ के अध्यक्ष जयराम पलसानिया ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वे अपनी मांगों को लेकर तीन साल से आंदोलन कर रहे हैं. कुछ मांगें सरकार ने मानी हैं लेकिन जो अहम मांगें हैं. वह आज भी बाकी हैं. उन्होंने कहा कि इनमें हमारी पांच प्रमुख मांगे हैं.

जयराम पलसानिया ने कहा कि एसएफसी की राशि लंबे समय से बकाया चल रही है. यह राशि जल्द से जल्द खातों में स्थानांतरित की जाए, ताकि ग्राम विकास के जो काम बाधित हो रहे हैं. वह सुचारू से करवाए जा सकें. दूसरी प्रमुख मांग 73वें संविधान संशोधन को लागू करने की है. इस संविधान संशोधन में 29 विभाग ग्राम पंचायतों को देने की बात कही गई है. लेकिन वर्तमान में महज पांच विभाग ही दे रखे हैं. वह भी नाममात्र के ही हमारे अधीन हैं. हम चाहते हैं कि 73वां संविधान संशोधन पूर्ण रूप से लागू हो और इसमें बताए गए सभी विभाग ग्राम पंचायतों को सौंपे जाए.

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यूपी की तर्ज पर कल्याण कोष और हरियाणा की तरह पेंशन मांगीः जयराम पलसानिया ने बताया कि उत्तर प्रदेश की तर्ज पर पंचायत कल्याण कोष की स्थापना की जाए. हरियाणा सरकार ने सरपंचों को के लिए पेंशन योजना लागू की है. इसके तहत पूर्व सरपंचों को एक हजार रुपए पेंशन दी जाएगी. हमारी मांग है कि हरियाणा की तर्ज पर राजस्थान में सरपंचों के लिए पेंशन लागू की जाए. उन्होंने कहा कि सरकार उच्च गुणवत्ता का काम करवाना चाहती है. हम भी चाहते हैं कि गांवों में हो रहे विकास कार्य उच्च गुणवत्ता के हो. इसलिए हम ई-टेंडरिंग के बजाए तीन कोटेशन के आधार पर काम करवाए जाएं.

मल्लिकार्जुन खड़गे से भी मिले सरपंचः आज हुई बैठक में सरपंचों ने निर्णय किया है कि 24 अप्रैल से पहले सरकार हमारी बात माने और हमारी मांगों को पूरा करे. यदि ऐसा नहीं होता है तो हमें मजबूरन 24 अप्रैल से लगने वाले महंगाई राहत कैंप का बहिष्कार करना पड़ेगा. हमने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से भी अपनी मांगों को लेकर मुलाकात की है. महिला सरपंच मनदीप कौर का कहना है कि इस आंदोलन में महिला सरपंच भी अपनी सहभागिता निभाएगी. यदि सरकार हमारी मांगों पर ध्यान नहीं देती है तो हम पूर्ण रूप से महंगाई राहत शिविरों का बहिष्कार करेंगे.

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हठधर्मिता पर अड़ा है दूसरा धड़ाः दो धड़ों में बंटने के सवाल पर हनुमानगढ़ जिलाध्यक्ष नरेंद्र सहारण ने कहा कि जहां तक सरपंचों के दो धड़ों में बंटने की बात है. तो कोई धड़ा नहीं था. हम संघर्ष कर रहे थे. नागौर से हमने संघर्ष शुरू किया और आज यहां बैठे हैं. तीन साल के संघर्ष के बाद भी सरकार ने हमें कुछ नहीं दिया है. हमने एक कमेटी बनाई लेकिन दूसरे धड़े के लोग अपनी हठधर्मिता पर अड़े हैं. हम राष्ट्रीय सरपंच संघ के बैनर तले एकजुट हैं. उनके पास दो-चार जिलाध्यक्ष ही हैं. बाकि सभी सभी सरपंच राष्ट्रीय सरपंच संघ के साथ हैं.

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पीएम आवास योजना और खाद्य सुरक्षा का नहीं मिल रहा फायदाः उनका कहना है कि पीएम आवास योजना का पैसा सरकार दबाकर बैठी है. इसके अलावा खाद्य सुरक्षा योजना में नए नाम जोड़ने के नाम पर मजाक किया जा रहा है. पीएम आवास योजना के तहत ग्रामीण हम सरपंचों से मकान मांग रहे हैं. हमारे पास कौनसे मकान हैं. हमें कोई अधिकार नहीं हैं लोगों को मकान देने का. यह उन्हें समझाएंगे कि सरकार उन्हें मकान नहीं दे रही है. खाद्य सुरक्षा के पोर्टल को लेकर भी मनमानी हो रही है. गांवों इतने कम समय के लिए पोर्टल खोला जाता है कि गांवों में लोग नाम ही नहीं जुड़वा नहीं पाते हैं.

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