जयपुर. दो या दो से अधिक पूर्ण ग्राम पंचायतों को नगर पालिका में शामिल करने को लेकर नगर पालिका अध्यक्ष और उपाध्यक्ष कौन होगा इस गुत्थी को राज्य सरकार ने सुलझा लिया है. स्वायत्त शासन विभाग ने आदेश जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि नवगठित नगर पालिका में सर्वाधिक जनसंख्या वाली पूर्ण ग्राम पंचायत का सरपंच अध्यक्ष और जनसंख्या में दूसरे स्थान पर मौजूद पूर्ण ग्राम पंचायत का सरपंच उपाध्यक्ष होगा.
राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 के अनुसार राज्य सरकार द्वारा राज्य की किसी क्षेत्र को नगर पालिका घोषित किए जाने पर संबंधित ग्राम पंचायत के सरपंच, उप सरपंच और पंच उस नगरपालिका का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्य बनाने का प्रावधान है. लेकिन उस नगर पालिका क्षेत्र में एक से ज्यादा पूर्ण ग्राम पंचायत को शामिल किए जाने पर किस ग्राम पंचायत के सरपंच, उप सरपंच को अध्यक्ष, उपाध्यक्ष समझा जाए, इस संबंध में कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं था.
ऐसे में मंगलवार को यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के निर्देश पर स्वायत्त शासन विभाग द्वारा एक अधिसूचना जारी की गई. राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 की धारा 3 की उपधारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए प्रावधान निर्धारित किए गए. इसके तहत नवगठित नगर पालिका में एक पूर्ण ग्राम पंचायत और एक से अधिक आंशिक ग्राम पंचायत के शामिल किए जाने की स्थिति में पूर्ण ग्राम पंचायत के सरपंच और उपसरपंच को नवगठित नगर पालिका का अध्यक्ष या उपाध्यक्ष जबकि शेष वार्ड पंचों और आंशिक ग्राम पंचायत के वार्ड पंचों को सदस्य समझा जाएगा.
ये भी पढ़ें: समाजसेवी हाजी रफत के जनाजे में शामिल हुए हजारों लोग, भाजपा ने गहलोत सरकार पर लगाया तुष्टीकरण का आरोप
वहीं नवगठित नगर पालिका में दो या दो से अधिक पूर्ण ग्राम पंचायतों और एक या एक से अधिक आंशिक ग्राम पंचायत के शामिल किए जाने की स्थिति में, पूर्ण ग्राम पंचायत में जिसकी जनसंख्या सर्वाधिक है उस ग्राम पंचायत के सरपंच को अध्यक्ष बनाया जाएगा. वहीं जनसंख्या में दूसरे स्थान पर रहने वाली ग्राम पंचायत के सरपंच को उपाध्यक्ष बनाया जाएगा.