जयपुर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की और से सीएम अशोक गहलोत की बड़ाई को गुलाम नबी आजाद के साथ जोड़ते हुए पायलट ने न केवल मुख्यमंत्री पर बड़ा हमला बोला बल्कि 25 सितंबर से अब तक इस मामले में बरती गई चुप्पी को (Sachin Pilot breaks silence) भी तोड़ दिया है. अब सवाल यह खड़ा होता है कि क्या कारण था कि सचिन पायलट को अपनी चुप्पी तोड़नी पड़ी. गहलोत को उसी भाषा में जवाब दिया जैसा सीएम 2020 में हुई राजस्थान की उठापटक के दौरान देते थे.
मतलब यह कि गहलोत इशारों में पायलट पर भाजपा से जुड़े होने के आरोप लगाते थे, कुछ ऐसी ही भाषा में पायलट ने अबकी बार गहलोत का भाजपा से जुड़ाव होने के आरोप लगा दिए हैं. बहराल अब चाहे गहलोत हों या पायलट दोनों ही एक दूसरे पर भाजपा से संपर्क होने के आरोप लगा रहे हैं. दूसरी ओर पायलट की चुप्पी तोड़ने की टाइमिंग को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि पायलट ने अपने बयानों के लिए यही समय क्यों चुना? पायलट के चुप्पी तोड़ने के 2 कारणों में से एक यह माना जा रहा है कि वह मंगलवार को हिमाचल में प्रियंका गांधी से मुलाकात कर जयपुर लौटे थे, ऐसे में उनकी बयानबाजी के पीछे कहीं कांग्रेस आलाकमान का पायलट को मिला बैकअप तो नहीं था. वहीं दूसरा कारण यह भी माना जा रहा है कि पायलट जो मानकर चल रहे थे कि 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक नहीं होने और गहलोत गुट के विधायकों के इस्तीफे पर कांग्रेस आलाकमान तुरंत प्रभाव से खुद निर्णय ले लेगा.
![Sachin Pilot target cm Gehlot](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/16822300_thum.jpg)
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क्योंकि राजस्थान में पर्यवेक्षक के तौर पर आए मल्लिकार्जुन खड़गे ही अब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. वह सारी स्थिति को जानते हुए इस पर निर्णय लेंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं और पहले 19 अक्टूबर तक चुनाव का इंतजार हुआ और फिर उसके बाद यह इंतजार 26 अक्टूबर को मलिकार्जुन खड़गे के पदभार ग्रहण तक खिंच गया. अब यह कहा जा रहा है कि गुजरात के चुनाव के बाद ही राजस्थान पर निर्णय लिया जाएगा तो ऐसे में पायलट के सब्र का बांध टूट गया और उन्होंने अपनी चुप्पी तोड़ दी.
साफ है कि पायलट नहीं चाहते कि जिस तरह से 2020 में राजनीतिक उठापटक (Rajasthan Political crisis) के बाद पायलट को कई वादे कर पार्टी में लाया गया था वह वादे कमेटी बनाकर ठंडे बस्ते में डाल दिए गए. उसी तरह से अगर अब गुजरात चुनाव का इंतजार किया गया तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को फिर समय मिल जाएगा और फिर 6 दिसंबर के आसपास राहुल गांधी कि भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान में प्रवेश कर जाएगी जो लगभग पूरे दिसंबर राजस्थान में ही रहेगी. ऐसे में अगर भारत जोड़ो यात्रा से पहले अगर नवंबर के शुरुआत में ही राजस्थान को लेकर निर्णय नहीं हुआ तो फिर पहले हिमाचल और गुजरात के चुनाव के प्रचार और फिर भारत जोड़ो यात्रा में कांग्रेस के नेता व्यस्त हो जाएंगे और राजस्थान में कुर्सी का मुद्दा फिर से चल जाएगा. ऐसे में पायलट ने अपने कल के बयानों से कांग्रेस आलाकमान के सामने यह प्रेशर भी डाला है कि वह बिना इंतजार के जो निर्णय लेना है वह निर्णय ले ले.
![Sachin Pilot breaks silence](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/16822300_dddd.jpg)
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ऐसे निकलता गया समय
जुलाई 2020- गहलोत से नाराज होकर पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली चले गए और गहलोत की सरकार को अल्पमत में बताया.
अगस्त 2020- प्रियंका गांधी कि मध्यस्थता में पायलट को आश्वासन दिया गया और 3 सदस्यीय कमेटी बनाई गई.
अगस्त 2020 से सितंबर 2022 तक इसलिए टला फैसला
अगस्त 2020 में जब पायलट को आश्वासन दिया गया तो उन्होंने कोई भी पद न लेकर चुप्पी साधे रखी. बीच में एक दो बार उन्होंने गहलोत के बयानबाजी पर जवाब जरूर दिया लेकिन कभी राजस्थान में राज्यसभा चुनाव तो फिर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के चलते फैसला टलता रहा और गहलोत को समय मिलता गया. 25 सितंबर 2022 को राजस्थान में जब विधायक दल की बैठक बुलाई गई तो लगा कि पायलट का इंतजार अब समाप्त हो गया है लेकिन गहलोत समर्थक विधायकों ने कांग्रेस आलाकमान की ओर से बुलाई गई बैठक का बहिष्कार कर दिया और स्पीकर को अपना इस्तीफा सौंप दिया.
पायलट का आलाकमान को इशारा...अब तो 13 महीने ही बचें हैं जल्द करें फैसला
बीते 25 सितंबर के हुई घटना के बाद पायलट यह उम्मीद कर बैठे थे कि अब कांग्रेस आलाकमान खुद ही फैसला लेगा, लेकिन एक महीना और 8 दिन का समय बीतने के बाद ऐसा लग रहा है कि मामला गुजरात और हिमाचल चुनाव तक टल गया है और पायलट के सामने मुसीबत यह है कि अगर वह अब अपनी चुप्पी नहीं तोड़ते तो गहलोत को पहले गुजरात और हिमाचल के चुनाव तक और फिर भारत जोड़ो यात्रा के चलते नवंबर दिसंबर का भी समय मिल सकता था. इसके साथ ही क्योंकि गहलोत अब जल्द ही बजट पेश करने के दावे भी कर रहे हैं तो ऐसे में पायलट ने अपनी चुप्पी तोड़ना ही बेहतर समझा. पायलट ने अपने बयानों से कांग्रेस आलाकमान को स्पष्ट रूप से यह संकेत दिए कि अब तो राजस्थान के चुनाव में केवल 13 महीने का समय बचा है, ऐसे में कांग्रेस आलाकमान जिन तीन नेताओं को कारण बताओ नोटिस मिला है उन पर तुरंत कार्रवाई करे और राजस्थान को लेकर भी जो फैसला लेना है उसे जल्द ले.