जयपुर. राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 के बाद सचिन पायलट प्रदेश में किस भूमिका में होंगे, यह आने वाला समय बताएगा. इस बीच पायलट टेरिटोरियल आर्मी (प्रादेशिक सेना) में एक के बाद एक प्रमोशन पाने के लिए प्रयास करते जा रहे हैं. पायलट ने सोमवार को टेरिटोरियल आर्मी में कैप्टन से मेजर बनने के लिए पार्ट-बी परीक्षा दी है.
दरअसल सचिन पायलट राजनीति के मैदान के साथ ही 124 सिख रेजीमेंट टेरिटोरियल आर्मी में कैप्टन पद पर भी हैं, जिन्होंने आज प्रमोशन के लिए नई दिल्ली में कंट्रोनमेंट हेड क्वार्टर में लिखित परीक्षा दी. यह परीक्षा पास करने के बाद सचिन पायलट भारतीय टेरिटोरियल आर्मी में कैप्टन से प्रमोट होकर मेजर बन जाएंगे. परीक्षा के बाद वे अपने साथी आर्मी अधिकारियों के साथ नजर आए.
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पिता के नक्शे कदम पायलट: सचिन पायलट के पिता भारतीय वायु सेना में पायलट थे. उन्होंने 1972 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में बहादुरी का परिचय दिया था और यही कारण था कि राजेश्वर प्रसाद विधूड़ी को इंदिरा गांधी ने भरतपुर से कांग्रेस का लोकसभा का टिकट तो दिया ही, उन्हें भारतीय वायुसेना में पायलट होने के चलते नया नाम राजेश पायलट दिया. अब सचिन पायलट भी पिता के नक्शे कदम पर चल रहे हैं, जिन्होंने कांग्रेस पार्टी में एक राजनेता के तौर पर तो अपनी छाप छोड़ी ही है. इसके साथ ही साल 2012 में प्रादेशिक सेना ज्वाइन की थी और उसमें पायलट केंद्र सरकार में मंत्री भी थे. साल 2021 में सचिन पायलट सिख रेजीमेंट में कैप्टन रैंक पर प्रमोट हुए थे और बीते दो दिनों से वे मेजर पद पर प्रमोशन पाने के लिए लिखित परीक्षा दे रहे हैं. परीक्षा के परिणाम में पास होते ही सचिन पायलट कैप्टन से मेजर बन जाएंगे.
युद्ध के समय टेरिटोरियल आर्मी देती है भारतीय सेना को सपोर्ट: टेरिटोरियल आर्मी युद्ध के समय भारतीय सेवा को सपोर्ट सिस्टम उपलब्ध करवाने वाली सबसे महत्वपूर्ण यूनिट मानी जाती है. सचिन पायलट टेरिटोरियल आर्मी के इन्फेंट्री का हिस्सा हैं, जो युद्ध के दौरान भारतीय सेना को बैकअप सपोर्ट प्रदान करती है. यह बैकअप सपोर्ट जितना महत्वपूर्ण होता है, उतनी ही ज्यादा मजबूती से दुश्मनों का मुकाबला करती है. साल 1962 और 1965 के युद्धों के दौरान भी टेरिटोरियल आर्मी के जवानों और अधिकारियों ने सेना का साथ दिया था.