जयपुर. लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव लोकतंत्र के इस यज्ञ में युवा बढ़-चढ़कर आहुति देते हैं. लेकिन जब बात आती है छात्र संघ चुनाव की तो यही युवा मतदाता अपने पैर पीछे खींच लेते है. क्योंकि छात्र राजनीति में भी अब तेजी से धनबल और बाहुबल का प्रयोग होने लगा है. इसी का नतीजा है कि पिछले 7 सालों में राजस्थान विश्वविद्यालय में मतदान 58 फीसदी से ज्यादा नहीं हो पाया है. छात्र संगठन और विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से तमाम प्रयास करने के बाद भी युवा मतदाता छात्र राजनीति के इस महाकुंभ में हिस्सा लेने से बचते हुए नजर आते हैं.
यही कारण है कि पिछले साल कैंपस में महज 50.76 फीसदी ही मतदान हो पाया था. बीते 7 सालों में जहां साल 2012 में 49 फीसदी, साल 2013 में सबसे कम 41 फीसदी, साल 2014 में 47.13 प्रतिशत और साल 2015 में 52. 60 प्रतिशत मतदान हुआ. वहीं 2016 में सबसे ज्यादा 58 फीसदी मतदान दर्ज किया गया है. साल 2017 में 51.58 प्रतिशत के बाद साल 2018 में मतदान एक बार फिर 50 प्रतिशत से नीचे उतरकर मात्र 50.76 फीसदी ही रह गया है. इस दौरान मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए आरयू की ओर से कई कार्यक्रम भी चलाए गए.
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लेकिन इसके बाद एक बार फिर से प्रशासन व संगठन की उदासीनता व लापरवाही के कारण युवाओं को घरों मतदान केंद्रों तक नहीं ला सके.इस साल भी मतदान फीसदी बढ़ाने के लिए योजना तैयार कर ली गई है. रा.वि.वि के कुलपति आरके कोठारी का कहना है कि आरयू सहित चारों संघटक कॉलेजों में छात्र मतदाताओं को मतदान के लिए अपील की जा रही है. और इसके लिए डीएसडब्ल्यू के साथ मिलकर नुक्कड़ नाटक और अन्य कार्यक्रम की भी चलाए जाएंगे.
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छात्र संघ चुनाव में राजस्थान विश्वविद्यालय प्रशासन और पुलिस प्रशासन की सख्ती भी कहीं ना कहीं मतदान फीसदी कम रहने का एक बड़ा कारण माना जाता रहा है. इस सवाल के जवाब में कुलपति आरके कोठारी का कहना है कि चाहे मतदान कम हो लेकिन वह स्वच्छ होना चाहिए. कुलपति ने आगे बताया कि इस बार भी विवि ने विवि और संगठक कॉलेजों में फ्लेक्स लगाने जा रहा है. इसमें ज्यादा से ज्यादा वोट की अपील की जाएगी. साथ ही एनएसएस द्वारा रैली निकलवा कर मतदान के लिए जागरूक किया जाएगा.