जयपुर. राजस्थान विधानसभा के आगामी सत्र 19 जनवरी से शुरू होने जा रहा है. इस सत्र से पहले विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने 18 जनवरी को सर्वदलीय बैठक बुलाई है. इस बैठक में सभी राजनीतिक दलों के उन सदस्यों को आमंत्रित किया है जिनके जनप्रतिनिधि सदन के सदस्य हैं. इस बैठक का राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी आरएलपी ने बहिष्कार कर दिया है. आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल ने बुधवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि राज बदला है, लेकिन रिवाज नहीं बदला. सरकार को वही अफसरों की फौज चला रही है जो गहलोत-वसुंधरा के शासन काल को चला रही थी.
उन्होंने कहा कि नई सरकार के गठन को लेकर एक माह से भी अधिक समय हो गया, लेकिन सरकार राजस्थान के युवाओं को न्याय देने की बात पर खामोश नजर आ रही है. जब तक राजस्थान लोक सेवा आयोग को भंग कर पेपर लीक के दोषियों को गिरफ्तारी नहीं कर लिया जाता, तब तक मैं सर्वदलीय बैठक में शामिल नहीं होऊंगा.
आरपीएससी को भंग करके पुनर्गठन करने की रखी मांग: बेनीवाल ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में विधानसभा अध्यक्ष ने मुझे भी आमंत्रित किया है, लेकिन मैंने इस बैठक का बहिष्कार करने का फैसला इसलिए किया क्योंकि इस सरकार ने प्रदेश की युवा पीढ़ी के साथ छलावा किया है. विधानसभा चुनाव से पूर्व भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने प्रेस वार्ता करके कहा था कि भाजपा की सरकार बनेगी तो RPSC को भंग करेंगे, लेकिन सत्ता में आने के उनकी पार्टी इस बात को लेकर खामोश गई. उन्होंने आरएएस मुख्य परीक्षा की तिथि को अभ्यर्थियों की मंशा के अनुरूप स्थगित करने की बात भी कही.
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उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य इस बात का है कि जिस बाबूलाल कटारा को पेपर लीक के मामले में गिरफ्तार करके जेल में डाला वो आज भी RPSC का सदस्य है और वेबसाइट पर भी उसका सदस्य होना दर्शाया जा जा रहा है. बेनीवाल ने भाजपा सरकार से सवाल करते हुए कहा कि आरपीएससी को भंग कब करोगे? इस पवित्र संस्था की गरिमा को जिस तरह विगत 20 वर्षों से तार-तार किया जा रहा है, उसमें सुधार करने के स्थान पर आखिर भाजपा और कांग्रेस की मानसिकता से प्रेरित लोग जिन्हें अध्यक्ष व सदस्य बनाया गया, उन पर सरकार अपनी मेहरबानी कब तक बनाए रखेगी?