जयपुर. भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी (Rishi Panchami 2022) का व्रत किया जाता है. इस बार ये व्रत 1 सितंबर गुरुवार को मनाया जा रहा है. इस व्रत में सप्त ऋषियों की मुख्य रूप से पूजा की जाती है. धर्म ग्रंथों के अनुसार महिलाओं की ओर से रजस्वला काल के दौरान जाने-अनजाने में की गई गलतियों की क्षमा याचना के लिए यह व्रत किया जाता है.
मनुष्य पर अनंत उपकार करनेवाले ऋषियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन ऋषि पंचमी है. ऋषि पंचमी का त्योहार (Rishi Panchami katha) सप्तऋषियों को समर्पित है. इन ऋषियों के नाम ऋषिमुनि वशिष्ठ, कश्यप, विश्वामित्र, अत्रि, जमदग्नि, गौतम और भारद्वाज हैं. आज के दिन ऋषियों को स्मरण करें. ऋषि पंचमी का दिन वेददिन माना जाता है. इस दिन का महत्व यह है कि जिन प्राचीन ऋषियों ने समाज का भरण और पोषण सुव्यवस्थित करने के लिए अपने संपूर्ण जीवन का त्याग कर वेदों जैसे अमर वाड्मय का निर्माण किया और संशोधनात्मक कार्य किया, उनके प्रति ऋणी रहकर कृतज्ञता के साथ स्मरण करने का यह दिन है.
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ऋषि पंचमी शुभ मुहूर्त 2022- हिंदू पंचाग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 31 अगस्त की शाम 03 बजकर 22 मिनट से शुरू (Rishi Panchami 2022 Shubh Muhurat) हो चुकी है, जो कि 01 सितंबर की दोपहर 02 बजकर 49 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि मान्य होने के कारण ऋषि पंचमी का व्रत 01 सितंबर को रखा जाएगा. पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 05 मिनट से लेकर 01 बजकर 37 मिनट तक है.
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आज का मनुष्य प्राचीन काल के विभिन्न ऋषियों का वंशज है. लेकिन चूंकि मनुष्य यह भूल गया है इसलिए वह ऋषियों के आध्यात्मिक महत्व को नहीं जानता है. साधना करने से ही ऋषियों के महत्व और शक्ति को समझा जा सकता है. भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को 'ऋषि पंचमी' कहा जाता है, इस वर्ष यह 1 और 9 सितंबर को है. इस दिन ऋषियों की पूजा करने का व्रत धर्मशास्त्र में बताया गया है.
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कुछ जातियों में मनाया जाता है रक्षाबंधन- राजस्थान सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी काफी ज्यादा रंगों को खुद में समेटे हुए हैं. यही वजह है कि पर्व और मेलों के साथ-साथ विशेष तिथियों पर खास आयोजन यहां आमतौर पर होते रहते हैं. ऋषि पंचमी (Rishi Panchami 2022) के पर्व पर भी कुछ जाति विशेष इस दिन को रक्षाबंधन के रूप में मनाते हैं. ब्राह्मणों में दादी और पारीक कुल के साथ-साथ कायस्थों में भी ऋषि पंचमी के दिन रक्षाबंधन मनाया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के लिहाज से यह परंपरा सतत बनी हुई है, लेकिन इसके पीछे विशेष मंतव्य का प्रमाण प्राप्त नहीं होता है. मान्यता है कि रूढ़ियों की बाधाओं को पीढ़ी दर पीढ़ी निभाते रहने के बाद अब इन समाजों में यह रक्षाबंधन का पर्व ऋषि पंचमी के दिन ही मनाया जाता है.