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राजस्थान में राइट टू एजुकेशन पर घमासान, अभिभावकों को कार्रवाई का इंतजार, प्राइवेट स्कूलों ने उठाई पुनर्भरण राशि की मांग

प्रदेश में अब राइट टू एजुकेशन पर घमासान जैसे हालात बन गए हैं, क्योंकि कुछ स्कूलों ने आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चों को एडमिशन देने में टालमटोली की थी, जिसके बाद यह मामला शिक्षा विभाग पहुंचा था. वहीं, अब विभाग ने उक्त मामले में सख्त रुख अख्तियार किया है.

Controversy over Right to Education
Controversy over Right to Education
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 2, 2023, 8:38 PM IST

अभिभावक संघ के अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल

जयपुर. प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों में बीते दिनों आरटीई के तहत प्रवेश तो हुए, लेकिन कुछ स्कूलों ने छात्रों को एडमिशन देने में टालमटोली की. जिस पर शिक्षा विभाग ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए मान्यता रद्द करने की ओर कदम बढ़ाया है. ऐसे में अब अभिभावकों को उम्मीद है कि बीकानेर निदेशालय कोर्ट के आदेशों की पालना करने में कामयाब होगा. वहीं, शिक्षामंत्री वार्ता के जरिए रास्ता निकालने की जुगत में हैं. इन सबके बीच अब प्राइवेट स्कूलों ने अपने पुराने बकाए भुगतान की मांग उठा दी है.

राइट टू एजुकेशन के तहत प्राइवेट स्कूलों में 25 फीसदी सीटों पर आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चों को एडमिशन देने का प्रावधान है, लेकिन राजधानी सहित प्रदेश भर में कई स्कूल नियमों को ताक पर रख छात्रों को आरटीई के तहत एडमिशन देने से बच रहे थे. राजधानी के ऐसे ही 24 स्कूलों की मान्यता रद्द करने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी ने निदेशालय को प्रस्ताव भेजा है. इस पर अभिभावक संघ के अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि राइट टू एजुकेशन को लेकर प्राइवेट स्कूलों ने कोर्ट में याचिका लगा रखी थी. जिसमें कोर्ट ने वर्तमान सत्र में जिन छात्रों के एडमिशन हो चुके हैं, उन्हें नियमित रखने के आदेश दिए. बावजूद इसके कोर्ट के आदेशों को भी प्राइवेट स्कूल अपने तरीके से उल्लेखित करते हुए छात्रों को एडमिशन नहीं दिए.

इसे भी पढ़ें - छात्रों को क्लास से बाहर बैठाने पर IIS स्कूल से जुड़े अभिभावकों ने किया हंगामा

इस पर जब जिला शिक्षा अधिकारी के पास अभिभावकों की शिकायत पहुंची तो उस पर कार्रवाई करते हुए जयपुर के नामी 24 बड़े स्कूलों को नोटिस दिए गए. नोटिस का जवाब नहीं देने पर उनकी मान्यता रद्द करने के लिए बीकानेर निदेशालय को प्रस्ताव भेजा गया है. अब अभिभावकों को इंतजार है कि शिक्षा निदेशालय कोर्ट के आदेशों को किस तरह से लागू करवाता है.

उधर, इस मामले में शिक्षा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने कहा कि जब भी संबंधित संस्थान विभाग की ओर से दिए गए नोटिस का जवाब देगी तो वो खुद या शिक्षा सचिव के स्तर पर उन स्कूलों से वार्ता कर समस्या का समाधान करने का प्रयास किया जाएगा. उन्हें स्पष्ट किया कि जब राइट टू एजुकेशन एक्ट आ चुका है तो उसकी पालना करने की जिम्मेदारी सरकार की है और संस्थाओं को उसकी क्रियान्विति करने की जिम्मेदारी है.

इसे भी पढ़ें - छात्राएं हुईं फेल तो नहीं उठा सकेंगी राजस्थान सरकार की इस योजना का लाभ...जानिए डिटेल

हालांकि, प्री प्राइमरी एजुकेशन में अब तक यह साफ नहीं है कि उसमें पुनर्भरण होगा या नहीं. उन्होंने कहा कि चूंकि राइट टू एजुकेशन भारत सरकार का एक्ट है, ऐसे में इसे लेकर भारत सरकार फैसला दे और बताएं कि वो प्री प्राइमरी एजुकेशन में पुनर्भरण करेंगे या नहीं. केंद्र सरकार जो भी फैसला लेती है, उसमें राज्य सरकार अपना सहयोग देने के लिए तैयार है.

वहीं, प्राइवेट स्कूल से जुड़े किशन मित्तल ने बताया कि आरटीई के अंतर्गत साल 2022-23 की पुनर्भरण राशि की पहली और दूसरी किस्त का भुगतान अब तक नहीं किया गया है. यही नहीं सैकड़ों स्कूलों का 2020-21 का भी पुनर्भरण नहीं किया गया है. ऐसे में अब प्राइवेट स्कूल स्वयंसेवी शिक्षण संस्था संघ के बैनर तले सरकार के खिलाफ रोष जता रहे हैं. साथ ही इसका असर विधानसभा चुनाव में पड़ने की ओर इशारा किया है.

अभिभावक संघ के अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल

जयपुर. प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों में बीते दिनों आरटीई के तहत प्रवेश तो हुए, लेकिन कुछ स्कूलों ने छात्रों को एडमिशन देने में टालमटोली की. जिस पर शिक्षा विभाग ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए मान्यता रद्द करने की ओर कदम बढ़ाया है. ऐसे में अब अभिभावकों को उम्मीद है कि बीकानेर निदेशालय कोर्ट के आदेशों की पालना करने में कामयाब होगा. वहीं, शिक्षामंत्री वार्ता के जरिए रास्ता निकालने की जुगत में हैं. इन सबके बीच अब प्राइवेट स्कूलों ने अपने पुराने बकाए भुगतान की मांग उठा दी है.

राइट टू एजुकेशन के तहत प्राइवेट स्कूलों में 25 फीसदी सीटों पर आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चों को एडमिशन देने का प्रावधान है, लेकिन राजधानी सहित प्रदेश भर में कई स्कूल नियमों को ताक पर रख छात्रों को आरटीई के तहत एडमिशन देने से बच रहे थे. राजधानी के ऐसे ही 24 स्कूलों की मान्यता रद्द करने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी ने निदेशालय को प्रस्ताव भेजा है. इस पर अभिभावक संघ के अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि राइट टू एजुकेशन को लेकर प्राइवेट स्कूलों ने कोर्ट में याचिका लगा रखी थी. जिसमें कोर्ट ने वर्तमान सत्र में जिन छात्रों के एडमिशन हो चुके हैं, उन्हें नियमित रखने के आदेश दिए. बावजूद इसके कोर्ट के आदेशों को भी प्राइवेट स्कूल अपने तरीके से उल्लेखित करते हुए छात्रों को एडमिशन नहीं दिए.

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इस पर जब जिला शिक्षा अधिकारी के पास अभिभावकों की शिकायत पहुंची तो उस पर कार्रवाई करते हुए जयपुर के नामी 24 बड़े स्कूलों को नोटिस दिए गए. नोटिस का जवाब नहीं देने पर उनकी मान्यता रद्द करने के लिए बीकानेर निदेशालय को प्रस्ताव भेजा गया है. अब अभिभावकों को इंतजार है कि शिक्षा निदेशालय कोर्ट के आदेशों को किस तरह से लागू करवाता है.

उधर, इस मामले में शिक्षा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने कहा कि जब भी संबंधित संस्थान विभाग की ओर से दिए गए नोटिस का जवाब देगी तो वो खुद या शिक्षा सचिव के स्तर पर उन स्कूलों से वार्ता कर समस्या का समाधान करने का प्रयास किया जाएगा. उन्हें स्पष्ट किया कि जब राइट टू एजुकेशन एक्ट आ चुका है तो उसकी पालना करने की जिम्मेदारी सरकार की है और संस्थाओं को उसकी क्रियान्विति करने की जिम्मेदारी है.

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हालांकि, प्री प्राइमरी एजुकेशन में अब तक यह साफ नहीं है कि उसमें पुनर्भरण होगा या नहीं. उन्होंने कहा कि चूंकि राइट टू एजुकेशन भारत सरकार का एक्ट है, ऐसे में इसे लेकर भारत सरकार फैसला दे और बताएं कि वो प्री प्राइमरी एजुकेशन में पुनर्भरण करेंगे या नहीं. केंद्र सरकार जो भी फैसला लेती है, उसमें राज्य सरकार अपना सहयोग देने के लिए तैयार है.

वहीं, प्राइवेट स्कूल से जुड़े किशन मित्तल ने बताया कि आरटीई के अंतर्गत साल 2022-23 की पुनर्भरण राशि की पहली और दूसरी किस्त का भुगतान अब तक नहीं किया गया है. यही नहीं सैकड़ों स्कूलों का 2020-21 का भी पुनर्भरण नहीं किया गया है. ऐसे में अब प्राइवेट स्कूल स्वयंसेवी शिक्षण संस्था संघ के बैनर तले सरकार के खिलाफ रोष जता रहे हैं. साथ ही इसका असर विधानसभा चुनाव में पड़ने की ओर इशारा किया है.

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