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कोरोना के बाद राजस्थान में बढ़ी सांस के मरीजों की संख्या, पटाखों से दूरी बनाने की सलाह...

अब दीपावली को एक दिन शेष बचा है, लेकिन दो साल बाद खुलकर सेलिब्रेशन को तैयार (Diwali celebration in Rajasthan) लोगों की आतिशबाजी के प्रति दीवानगी की खुमारी बाजारों में जारी पटाखों की खरीददारी को देख समझा जा सकता है. वहीं, चिकित्सकों की मानें तो पटाखों से सांस के मरीजों और खासकर बच्चों को दूरी बनाए रखने की (Respiratory patients increased in Rajasthan) जरूरत है.

Respiratory patients increased in Rajasthan
Respiratory patients increased in Rajasthan
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Published : Oct 23, 2022, 6:26 PM IST

जयपुर. दीपावली के त्योहार पर अबकी कुछ खास उत्साह नहीं दिख रहा है, क्योंकि पिछले दो सालों से कोरोना संक्रमण से जुड़ी कुछ पाबंदियों के कारण लोग खुलकर (Diwali celebration in Rajasthan) इस त्योहार को सेलिब्रेट नहीं कर पा रहे थे. लेकिन अबकी बाजारों में रौनक देखने को मिल रही है. साथ ही प्रदेशवासियों ने जमकर आतिशबाजी की भी सभी तैयारियां कर ली है.

वहीं, सूबे में इस बार तकरीबन 60 करोड़ से अधिक के पटाखों के कारोबार होने की उम्मीद जताई जा रही है. लेकिन इस बीच चिकित्सकों का कहना है कि पटाखों के धुएं का सबसे ज्यादा असर सांस की बीमारी से जद्दोजहद कर रहे मरीजों (stay away from firecrackers on Diwali) पर पड़ सकता है. ऐसे में इस तरह के मरीजों को पटाखों के धुएं से दूर बनाए रखने की जरूरत है.

पटाखों से दूरी बनाने की सलाह, सुनिए...

चिकित्सकों का कहना है कि कोविड-19 संक्रमण के बाद सांस से संबंधित मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में पटाखों का धुआं इस तरह के मरीजों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. पटाखे जलाने से सल्फर आक्साइड, नाइट्रोजन आक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड जैसी जहरीली गैस वातावरण में फैलती है. जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल के अस्थमा एलर्जी रोग विशेषज्ञ डॉ. नरेश कुमावत ने बताया कि पटाखों के धुएं से अस्थमा, एलर्जी और फेफड़ों की समस्या से जूझ रहे मरीजों को सबसे अधिक परेशानी होती है. ऐसे में इस तरह की समस्या से जूझ रहे मरीज दीपावली के दौरान होने वाली आतिशबाजी पर मास्क का उपयोग करें.

इसे भी पढ़ें - जयपुरः प्रदेश में बढ़ रहे स्वाइन फ्लू के मरीज...अस्पताल प्रशासन तैयारी में जुटा

डॉ. कुमावत ने आगे कहा कि कोविड-19 संक्रमण के बाद सांस संबंधित मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में अस्थमा रोगी, श्वास, दमा से पीड़ित मरीज आतिशबाजी के दौरान घर पर ही रहे. साथ ही सांस के वे मरीज जो इनहेलर लेते हैं, वे इनहेलर के साथ बहुत जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकले और नियमित रूप से दवा लेते रहे.

बच्चों को लेकर बरतें ये सावधानियां : चिकित्सकों का कहना है कि आतिशबाजी के दौरान छोटे बच्चों का भी विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए, क्योंकि पटाखों के धुएं से बच्चों को गंभीर एलर्जी होने की आशंका रहती है. ऐसे में धूल, धुंआ आदि से बच्चों का बचाव करें. यदि अधिक खांसी, स्किन एलर्जी, होंठ या नाखून का रंग नीला होना, सांस फूलना या सीटी की आवाज आए, सीने में जकड़न महसूस हो तो तुरंत चिकित्सकीय परामर्श लें.

जयपुर. दीपावली के त्योहार पर अबकी कुछ खास उत्साह नहीं दिख रहा है, क्योंकि पिछले दो सालों से कोरोना संक्रमण से जुड़ी कुछ पाबंदियों के कारण लोग खुलकर (Diwali celebration in Rajasthan) इस त्योहार को सेलिब्रेट नहीं कर पा रहे थे. लेकिन अबकी बाजारों में रौनक देखने को मिल रही है. साथ ही प्रदेशवासियों ने जमकर आतिशबाजी की भी सभी तैयारियां कर ली है.

वहीं, सूबे में इस बार तकरीबन 60 करोड़ से अधिक के पटाखों के कारोबार होने की उम्मीद जताई जा रही है. लेकिन इस बीच चिकित्सकों का कहना है कि पटाखों के धुएं का सबसे ज्यादा असर सांस की बीमारी से जद्दोजहद कर रहे मरीजों (stay away from firecrackers on Diwali) पर पड़ सकता है. ऐसे में इस तरह के मरीजों को पटाखों के धुएं से दूर बनाए रखने की जरूरत है.

पटाखों से दूरी बनाने की सलाह, सुनिए...

चिकित्सकों का कहना है कि कोविड-19 संक्रमण के बाद सांस से संबंधित मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में पटाखों का धुआं इस तरह के मरीजों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. पटाखे जलाने से सल्फर आक्साइड, नाइट्रोजन आक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड जैसी जहरीली गैस वातावरण में फैलती है. जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल के अस्थमा एलर्जी रोग विशेषज्ञ डॉ. नरेश कुमावत ने बताया कि पटाखों के धुएं से अस्थमा, एलर्जी और फेफड़ों की समस्या से जूझ रहे मरीजों को सबसे अधिक परेशानी होती है. ऐसे में इस तरह की समस्या से जूझ रहे मरीज दीपावली के दौरान होने वाली आतिशबाजी पर मास्क का उपयोग करें.

इसे भी पढ़ें - जयपुरः प्रदेश में बढ़ रहे स्वाइन फ्लू के मरीज...अस्पताल प्रशासन तैयारी में जुटा

डॉ. कुमावत ने आगे कहा कि कोविड-19 संक्रमण के बाद सांस संबंधित मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में अस्थमा रोगी, श्वास, दमा से पीड़ित मरीज आतिशबाजी के दौरान घर पर ही रहे. साथ ही सांस के वे मरीज जो इनहेलर लेते हैं, वे इनहेलर के साथ बहुत जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकले और नियमित रूप से दवा लेते रहे.

बच्चों को लेकर बरतें ये सावधानियां : चिकित्सकों का कहना है कि आतिशबाजी के दौरान छोटे बच्चों का भी विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए, क्योंकि पटाखों के धुएं से बच्चों को गंभीर एलर्जी होने की आशंका रहती है. ऐसे में धूल, धुंआ आदि से बच्चों का बचाव करें. यदि अधिक खांसी, स्किन एलर्जी, होंठ या नाखून का रंग नीला होना, सांस फूलना या सीटी की आवाज आए, सीने में जकड़न महसूस हो तो तुरंत चिकित्सकीय परामर्श लें.

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