भरतपुर : अलवर और भरतपुर के पॉलिटेक्निक कॉलेज के दो प्रवक्ताओं ने एक ऐसा आविष्कार किया है, जो देश के चिकित्सकों को उपचार में और भारतीय सेना को सुरक्षा करने में मददगार साबित होगा. इसका नाम है अब फ्यूजन फ्रेमवर्क सिस्टम. इसके माध्यम से अलग-अलग प्रकार की कई इमेज की सूचनाओं को मर्ज करके (एकीकृत) एक ही इमेज में बदला जा सकेगा और सभी इमेज की जानकारी उस एक ही इमेज से मिल सकेगी. प्रवक्ताओं के इस अविष्कार को जर्मनी ने पेटेंट ग्रांट किया है, यदि चिकित्सा और सामरिक सुरक्षा के क्षेत्र में इस अविष्कार का इस्तेमाल किया जाता है तो यह काफी मददगार साबित होगा.
ये है फ्यूजन फ्रेमवर्क सिस्टम : भरतपुर निवासी अलवर के राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज के इलेक्ट्रॉनिक विभाग के प्रवक्ता गौरव चौधरी ने भरतपुर के महिला पॉलिटेक्निक कॉलेज के इलेक्ट्रॉनिक शाखा के प्रवक्ता उपेंद्र चौधरी की मदद से हिलबर्ट वाइब्रेशन डीकंपोजिशन बेस्ड फ्यूजन फ्रेमवर्क सिस्टम का आविष्कार किया है. प्रवक्ता गौरव चौधरी ने बताया कि यह आविष्कार मैट लैब सॉफ्टवेयर पर कोडिंग कर डिजाइन किया गया है. इसमें इमेज फ्यूजन यानी कई फोटो को मिश्रित कर अच्छी गुणवत्ता का एकल फोटो तैयार किया जाता है, जिसमें सभी अलग-अलग इमेज की जानकारी और सूचनाओं को एकत्रित कर प्रदर्शित किया जाता है.
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चिकित्सा क्षेत्र में ऐसे मिलेगी मदद : प्रवक्ता गौरव चौधरी ने बताया कि सामान्य तौर पर चिकित्सक मरीज के सीटी स्कैन और एमआरआई की अलग-अलग जांच कराकर उनकी अलग-अलग रिपोर्ट देखकर उपचार करते हैं. इसमें चिकित्सक को समय लगता है, लेकिन फ्यूजन फ्रेमवर्क सिस्टम से इन दोनों जांच की इमेजेस को मर्ज करके चिकित्सक एक ही इमेज में परिवर्तित कर देख सकेगा. इससे चिकित्सक को मरीज की बीमारी का कम समय में पता लगाने और उसका उपचार करने में मदद मिल सकेगी.
सुरक्षा में भी कारगर रहेगा : गौरव चौधरी ने बताया कि इसी तरह सुरक्षा क्षेत्र में थर्मल कैमरा और विजन कैमरा का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन फ्यूजन फ्रेमवर्क सिस्टम इन दोनों अलग-अलग फॉर्मेट की इमेज की जानकारी एक साथ एक इमेज में बेहतर गुणवत्ता के साथ उपलब्ध करा सकेगा. इससे सुरक्षा क्षेत्र में मदद मिल सकेगी.
भविष्य में एआई के साथ अपडेट : प्रवक्ता उपेंद्र चौधरी ने बताया कि भविष्य में इस अविष्कार को मशीन लर्निंग जो कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का पार्ट है, इसका इस्तेमाल कर और बेहतर बनाया जा सकेगा. इससे सूचनाओं को जल्दी और बेहतर तरीके से एनालिसिस किया जा सकेगा. प्रवक्ता गौरव चौधरी और उपेंद्र चौधरी ने बताया कि इस आविष्कार के लिए उन्होंने जर्मनी के जर्मन पेटेंट एंड ट्रेडमार्क ऑफिस में अप्लाई किया था, जिसे स्वीकार कर लिया गया है. जर्मनी ने उनके इस अविष्कार को पेटेंट ग्रांट किया है. उन्होंने बताया कि हमारा प्रयास है कि इस अविष्कार को भविष्य में मशीन लर्निंग (एआई) के माध्यम से और बेहतर बनाया जा सके. इस अविष्कार में जयपुर के प्रवक्ता नीरज गर्ग, सीकर की प्रवक्ता ऋतु शर्मा, डूंगरपुर के प्रवक्ता निर्देश शुक्ला और मीनाक्षी सूद ने भी सहयोग दिया है.