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108 आपातकालीन सेवाओं के साथ 104 जननी एक्सप्रेस सेवा पर लगा रेस्मा, अत्यावश्यक सेवा किया घोषित

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Published : Dec 14, 2022, 8:13 PM IST

प्रदेश की गहलोत सरकार ने 108 आपातकालीन सेवाओं के साथ 104 जननी एक्सप्रेस सेवा में काम करने वाले कर्मचारियों पर रेस्मा लगा दिया (Resma imposed on 104 Janani Express service) है. रेस्मा 13 दिसंबर से अगले 6 माह तक लागू किया गया है.

Resma imposed on 104 Janani express service along with 108 emergency service
108 आपातकालीन सेवाओं के साथ 104 जननी एक्सप्रेस सेवा पर लगा रेस्मा, अत्यावश्यक सेवा किया घोषित

जयपुर. 108 आपातकालीन सेवाओं के साथ-साथ 104 जननी एक्सप्रेस सेवा में काम करने वाले कर्मचारियों पर भी रेस्मा लागू हो गया (Resma imposed on 104 Janani Express service) है. राज्य सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर प्रदेश में 108 आपातकालीन सेवाओं के साथ 104 जननी एक्सप्रेस सेवा, 104 चिकित्सा परामर्श सेवाओं को तत्काल प्रभाव से 13 दिसम्बर से अगले 6 माह तक अत्यावश्यक सेवा घोषित किया है.

104 जननी एक्सप्रेस सेवा में रेस्मा लागू: शासन उप सचिव गृह (ग्रुप-9) विभाग की ओर से जारी इस अधिसूचना के अनुसार राज्य सरकार की राय है कि 108 आपातकालीन सेवाओं के साथ-साथ 104 जननी एक्सप्रेस सेवा, 104 चिकित्सा परामर्श सेवाओं और कॉलसेन्टर में हड़ताल होने से सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, जिसके चलते लोगों को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है.

पढ़ें: गहलोत सरकार हुई सख्त, रेस्मा किया लागू: रोडवेज कर्मचारी हड़ताल पर गए, तो हो सकती है गिरफ्तारी

अधिसूचना के अनुसार जिन सेवाओं का संचालन जीवीके ईएमआरआई के माध्यम से इनिटग्रेटेड एम्बुलेंस प्रोजेक्ट के तहत किया जा रहा है, इनके समस्त कार्यालयों एवं कर्मचारियों और उसके कार्यकलापों से संबंधित समस्त सेवाओं को 13 दिसम्बर से अगले 6 माह तक अत्यावश्यक सेवा घोषित किया गया है. बता दें कि 108 आपातकालीन सेवाओं में भी रेस्मा लंबे समय से लागू है. हालांकि इसे हर 6 महीने में आगे बढ़ाया जाता है. 108 आपातकालीन सेवाओं के लिए पिछले महीने ही गृह विभाग ने प्रस्ताव जारी करते हुए अगले 6 महीने के लिए आवश्यक सेवा घोषित किया था.

पढ़ें: राज्य सरकार ने रेस्मा की अवधि 6 महीने के लिए बढ़ाई

क्या है रेस्मा?: आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (रेस्मा) हड़ताल को रोकने के लिए लगाया जाता है. रेस्मा अधिकतम 6 महीने के लिए लगाया जा सकता है और इसके लागू होने के बाद अगर कोई कर्मचारी हड़ताल पर जाता है, तो वह अवैध और दण्डनीय है. सरकारें रेस्मा लगाने का फैसला इसलिए करती हैं कि हड़ताल की वजह से आवश्यक सेवाओं पर बुरा असर पड़ने की आशंका होती है. रेस्मा वह कानून है, जो अनिवार्य सेवाओं को बनाए रखने के लिए लागू किया जाता है. जिस सेवा पर रेस्मा लगाया जाता है, उससे संबंधित कर्मचारी हड़ताल नहीं कर सकते, अन्यथा हड़तालियों को 6 माह तक की कैद या आर्थिक दंड अथवा दोनों हो सकते हैं .

पढ़ें: एंबुलेंस सेवाओं पर 'रेस्मा' बढ़ाने की तैयारी, चिकित्सा विभाग ने भेजा प्रस्ताव

रेस्मा राज्य सरकार का हथियार: रेस्मा के रूप में सरकार के पास एक ऐसा हथियार है जिससे वह जब चाहे कर्मचारियों के आंदोलन को कुचल सकती है. विशेषकर हड़तालों पर प्रतिबंध लगा सकती है और बिना वारंट के कर्मचारी नेताओं को गिरफ्तार कर सकती है. रेस्मा लागू होने के बाद यदि कर्मचारी हड़ताल में शामिल होता है तो यह अवैध एवं दंडनीय माना जाता है. राज्य सरकारें इस कानून को लागू करने के लिये स्वतंत्र हैं.

जयपुर. 108 आपातकालीन सेवाओं के साथ-साथ 104 जननी एक्सप्रेस सेवा में काम करने वाले कर्मचारियों पर भी रेस्मा लागू हो गया (Resma imposed on 104 Janani Express service) है. राज्य सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर प्रदेश में 108 आपातकालीन सेवाओं के साथ 104 जननी एक्सप्रेस सेवा, 104 चिकित्सा परामर्श सेवाओं को तत्काल प्रभाव से 13 दिसम्बर से अगले 6 माह तक अत्यावश्यक सेवा घोषित किया है.

104 जननी एक्सप्रेस सेवा में रेस्मा लागू: शासन उप सचिव गृह (ग्रुप-9) विभाग की ओर से जारी इस अधिसूचना के अनुसार राज्य सरकार की राय है कि 108 आपातकालीन सेवाओं के साथ-साथ 104 जननी एक्सप्रेस सेवा, 104 चिकित्सा परामर्श सेवाओं और कॉलसेन्टर में हड़ताल होने से सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, जिसके चलते लोगों को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है.

पढ़ें: गहलोत सरकार हुई सख्त, रेस्मा किया लागू: रोडवेज कर्मचारी हड़ताल पर गए, तो हो सकती है गिरफ्तारी

अधिसूचना के अनुसार जिन सेवाओं का संचालन जीवीके ईएमआरआई के माध्यम से इनिटग्रेटेड एम्बुलेंस प्रोजेक्ट के तहत किया जा रहा है, इनके समस्त कार्यालयों एवं कर्मचारियों और उसके कार्यकलापों से संबंधित समस्त सेवाओं को 13 दिसम्बर से अगले 6 माह तक अत्यावश्यक सेवा घोषित किया गया है. बता दें कि 108 आपातकालीन सेवाओं में भी रेस्मा लंबे समय से लागू है. हालांकि इसे हर 6 महीने में आगे बढ़ाया जाता है. 108 आपातकालीन सेवाओं के लिए पिछले महीने ही गृह विभाग ने प्रस्ताव जारी करते हुए अगले 6 महीने के लिए आवश्यक सेवा घोषित किया था.

पढ़ें: राज्य सरकार ने रेस्मा की अवधि 6 महीने के लिए बढ़ाई

क्या है रेस्मा?: आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (रेस्मा) हड़ताल को रोकने के लिए लगाया जाता है. रेस्मा अधिकतम 6 महीने के लिए लगाया जा सकता है और इसके लागू होने के बाद अगर कोई कर्मचारी हड़ताल पर जाता है, तो वह अवैध और दण्डनीय है. सरकारें रेस्मा लगाने का फैसला इसलिए करती हैं कि हड़ताल की वजह से आवश्यक सेवाओं पर बुरा असर पड़ने की आशंका होती है. रेस्मा वह कानून है, जो अनिवार्य सेवाओं को बनाए रखने के लिए लागू किया जाता है. जिस सेवा पर रेस्मा लगाया जाता है, उससे संबंधित कर्मचारी हड़ताल नहीं कर सकते, अन्यथा हड़तालियों को 6 माह तक की कैद या आर्थिक दंड अथवा दोनों हो सकते हैं .

पढ़ें: एंबुलेंस सेवाओं पर 'रेस्मा' बढ़ाने की तैयारी, चिकित्सा विभाग ने भेजा प्रस्ताव

रेस्मा राज्य सरकार का हथियार: रेस्मा के रूप में सरकार के पास एक ऐसा हथियार है जिससे वह जब चाहे कर्मचारियों के आंदोलन को कुचल सकती है. विशेषकर हड़तालों पर प्रतिबंध लगा सकती है और बिना वारंट के कर्मचारी नेताओं को गिरफ्तार कर सकती है. रेस्मा लागू होने के बाद यदि कर्मचारी हड़ताल में शामिल होता है तो यह अवैध एवं दंडनीय माना जाता है. राज्य सरकारें इस कानून को लागू करने के लिये स्वतंत्र हैं.

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