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Ground Report : दानपुण्य की मकर संक्रांति, 14 वस्तुएं कलपने की परंपरा निभा रहीं जयपुर की महिलाएं - Donating 14 material during Makar Sankranti

मकर संक्रांति पर महिलाएं 14 वस्तुओं का दान करती हैं. राजधानी में महिलाएं इसके (Makar Sankranti 2023) लिए खरीदारी में जुटी हैं. बाजारों में स्टील से लेकर प्लास्टिक के सामानों और सुहाग की वस्तुओं की खूब बिक्री हो रही है. हालांकि 14 वस्तुओं का ही दान क्यों होता है? ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट में जानिए ज्योतिषाचार्य मनोज गुप्ता से इस सवाल का जवाब...

मकर संक्रांति 2023
मकर संक्रांति 2023
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Published : Jan 9, 2023, 9:40 PM IST

दानपुण्य की मकर संक्रांति

जयपुर. मकर संक्रांति पर दान का विशेष महत्व माना गया है. इस बार 14 और 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाया (Makar Sankranti 2023) जाएगा. ऐसे में दो दिन दान-पुण्य का सिलसिला भी चलेगा. इसको लेकर शहरवासी विशेष तैयारियों में जुट गए हैं. परंपरा है कि महिलाओं को इस दिन सुहाग की सामग्री और 14 वस्तुएं कलपना (बांटना) होता है जिसके लिए बाजारों में खरीदारी वे करती नजर आ रही हैं. महिलाएं एक ही तरह की 14 वस्तुओं का संकल्प लेकर मकर संक्रांति पर पूजा-आराधना के बाद गरीबों और महिलाओं को वितरित करती हैं.

मकर संक्राति पर सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करता है. इसीलिए इसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है. हर साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही मनाई जाती है. लेकिन इस बार मकर संक्रांति का योग दो दिन बन रहा है. इसीलिए श्रद्धालु दो दिन तक दान पुण्य कर सकेंगे. मकर संक्रांति पर शहरवासी अपने सामर्थ्य के अनुसार दान पुण्य करते हैं. इसके चलते इन दिनों जयपुर के बाजारों में खरीदारी का माहौल बना हुआ है. प्लास्टिक का सामान, कपड़े से बना सामान, भगवान को अर्पित की जाने वाली वस्तुएं, महिलाओं को दान में देने के लिए सुहाग सामग्री और बर्तन सहित अन्य उपयोगी वस्तुओं की खूब बिक्री हो रही है. दान में एक साथ 14 वस्तुएं दिए जाने की परंपरा है. इसके चलते एक साथ ज्यादा सामान बिक रहा है. इससे व्यापारियों ने भी ज्यादा स्टॉक मंगवाया है.

मकर संक्रांति 2023
मकर संक्रांति 2023

पढ़ें. कोरोना की आहट से अजमेर में भी बढ़ी बेचैनी और चिंता, उर्स-मकर संक्रांति स्नान पर उमड़ती है भीड़

क्यों होता है 14 वस्तुओं का दान : धार्मिक और मान्यताओं के इस पौराणिक त्योहार पर (Makar Sankranti in Jaipur) सुहागिन महिलाएं सुहाग कुंडा के रूप में 14 वस्तुएं कलपती हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ये दान 14 वस्तुओं का ही क्यों होता है. इसका जवाब देते हुए ज्योतिषाचार्य मनोज गुप्ता ने बताया कि 7 ग्रह होते हैं और 2 पक्ष (कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष) होते हैं. इसलिए ग्रहों की इस संख्या को दोगुना कर देते हैं. 14 वस्तुओं का संकल्प लेकर महिलाएं जब इसे दान करती हैं तो सातों ग्रहों और दोनों पक्षों के आधार पर जीवन के कष्टों का समाधान मिलता है.

मकर संक्रांति 2023
मकर संक्रांति 2023

इसके साथ ही एक कारण ये है कि मकर संक्रांति पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता (Donating 14 material during Makar Sankranti) है. मकर राशि शनि की है. ऐसे में सूर्य का अपने अतिशत्रु की राशि में प्रवेश करने का मतलब होता है कि उस समय सूर्य और शनि दोनों असहज स्थिति में होते हैं. इसलिए उनका नकारात्मक प्रभाव इस धरती पर कम पड़े, इसलिए कुछ वस्तुओं का दान करते हैं. यदि वस्तुओं का दान कुंडली के आधार पर और उसके रंग के चयन के आधार पर वस्तुओं का दान करते हैं तो उसका श्रेष्ठ लाभ मिलता है. इसके अलावा एक मान्यता ये भी है कि 12 संक्रांति होती है और एक उत्तरायण और दक्षिणायन सूर्य की स्थिति होती है. इस वजह से भी 14 वस्तुएं दान किया जाता है. हालांकि शास्त्रों में कहीं पर इसका स्थाई वर्णन नहीं है.

पढ़ें. मकर संक्रांति पर 'मुर्गों की लड़ाई' का खेल, बाकायदा दी जाती है ट्रेनिंग

स्टील से लेकर प्लास्टिक के सामान की खरीदारी : वहीं 14 वस्तुओं की खरीदारी के लिए राजधानीवासी विशेषकर महिलाएं जयपुर के प्रमुख त्रिपोलिया बाजार और पुरोहित जी का कटला में खरीदारी करने के लिए पहुंच रही हैं. यहां एक ओर त्रिपोलिया बाजार में बर्तनों की दुकानों पर महिलाओं का जमावड़ा लगा हुआ दिखा तो वहीं पुरोहित जी का कटला में भी बाजार गुलजार रहे. बर्तनों की अगर बात करें तो यहां ₹20 से ₹200 तक के डिब्बे गिलास-कटोरी से लेकर ₹10 से ₹150 तक मिलने वाले प्लास्टिक के डिब्बे, बोतल, पट्टे, मग, बाल्टी लेने के लिए उत्साह नजर आया. इसके अलावा पूजन सामग्री और सूत से बने सामानों को भी महिलाओं ने दान करने के लिए खरीदा. जयपुर की महिलाओं के अनुसार मकर सक्रांति पर सुहागिन महिलाएं गरीब और दूसरी महिलाओं को सुहाग का सामान, बर्तन, पूजन सामग्री और प्लास्टिक के सामान देने की परंपरा रही है, जिसका वो सालों से निर्वहन कर रही हैं.

इसी के साथ मकर संक्रांति पर परस्पर स्नेह और मिठास के प्रतीक (Donating during Makar Sankranti) तिल और गुड़ से बने व्यंजन भी बनाए जाते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार लोग सूर्य देव की आराधना करते हैं. इस दिन पतंगबाजी भी करते हैं. इससे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है. सूर्य के राशि परिवर्तन के साथ ही मलमास भी खत्म हो जाता है. ऐसे में विवाह और दूसरे मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाएंगे.

दानपुण्य की मकर संक्रांति

जयपुर. मकर संक्रांति पर दान का विशेष महत्व माना गया है. इस बार 14 और 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाया (Makar Sankranti 2023) जाएगा. ऐसे में दो दिन दान-पुण्य का सिलसिला भी चलेगा. इसको लेकर शहरवासी विशेष तैयारियों में जुट गए हैं. परंपरा है कि महिलाओं को इस दिन सुहाग की सामग्री और 14 वस्तुएं कलपना (बांटना) होता है जिसके लिए बाजारों में खरीदारी वे करती नजर आ रही हैं. महिलाएं एक ही तरह की 14 वस्तुओं का संकल्प लेकर मकर संक्रांति पर पूजा-आराधना के बाद गरीबों और महिलाओं को वितरित करती हैं.

मकर संक्राति पर सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करता है. इसीलिए इसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है. हर साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही मनाई जाती है. लेकिन इस बार मकर संक्रांति का योग दो दिन बन रहा है. इसीलिए श्रद्धालु दो दिन तक दान पुण्य कर सकेंगे. मकर संक्रांति पर शहरवासी अपने सामर्थ्य के अनुसार दान पुण्य करते हैं. इसके चलते इन दिनों जयपुर के बाजारों में खरीदारी का माहौल बना हुआ है. प्लास्टिक का सामान, कपड़े से बना सामान, भगवान को अर्पित की जाने वाली वस्तुएं, महिलाओं को दान में देने के लिए सुहाग सामग्री और बर्तन सहित अन्य उपयोगी वस्तुओं की खूब बिक्री हो रही है. दान में एक साथ 14 वस्तुएं दिए जाने की परंपरा है. इसके चलते एक साथ ज्यादा सामान बिक रहा है. इससे व्यापारियों ने भी ज्यादा स्टॉक मंगवाया है.

मकर संक्रांति 2023
मकर संक्रांति 2023

पढ़ें. कोरोना की आहट से अजमेर में भी बढ़ी बेचैनी और चिंता, उर्स-मकर संक्रांति स्नान पर उमड़ती है भीड़

क्यों होता है 14 वस्तुओं का दान : धार्मिक और मान्यताओं के इस पौराणिक त्योहार पर (Makar Sankranti in Jaipur) सुहागिन महिलाएं सुहाग कुंडा के रूप में 14 वस्तुएं कलपती हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ये दान 14 वस्तुओं का ही क्यों होता है. इसका जवाब देते हुए ज्योतिषाचार्य मनोज गुप्ता ने बताया कि 7 ग्रह होते हैं और 2 पक्ष (कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष) होते हैं. इसलिए ग्रहों की इस संख्या को दोगुना कर देते हैं. 14 वस्तुओं का संकल्प लेकर महिलाएं जब इसे दान करती हैं तो सातों ग्रहों और दोनों पक्षों के आधार पर जीवन के कष्टों का समाधान मिलता है.

मकर संक्रांति 2023
मकर संक्रांति 2023

इसके साथ ही एक कारण ये है कि मकर संक्रांति पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता (Donating 14 material during Makar Sankranti) है. मकर राशि शनि की है. ऐसे में सूर्य का अपने अतिशत्रु की राशि में प्रवेश करने का मतलब होता है कि उस समय सूर्य और शनि दोनों असहज स्थिति में होते हैं. इसलिए उनका नकारात्मक प्रभाव इस धरती पर कम पड़े, इसलिए कुछ वस्तुओं का दान करते हैं. यदि वस्तुओं का दान कुंडली के आधार पर और उसके रंग के चयन के आधार पर वस्तुओं का दान करते हैं तो उसका श्रेष्ठ लाभ मिलता है. इसके अलावा एक मान्यता ये भी है कि 12 संक्रांति होती है और एक उत्तरायण और दक्षिणायन सूर्य की स्थिति होती है. इस वजह से भी 14 वस्तुएं दान किया जाता है. हालांकि शास्त्रों में कहीं पर इसका स्थाई वर्णन नहीं है.

पढ़ें. मकर संक्रांति पर 'मुर्गों की लड़ाई' का खेल, बाकायदा दी जाती है ट्रेनिंग

स्टील से लेकर प्लास्टिक के सामान की खरीदारी : वहीं 14 वस्तुओं की खरीदारी के लिए राजधानीवासी विशेषकर महिलाएं जयपुर के प्रमुख त्रिपोलिया बाजार और पुरोहित जी का कटला में खरीदारी करने के लिए पहुंच रही हैं. यहां एक ओर त्रिपोलिया बाजार में बर्तनों की दुकानों पर महिलाओं का जमावड़ा लगा हुआ दिखा तो वहीं पुरोहित जी का कटला में भी बाजार गुलजार रहे. बर्तनों की अगर बात करें तो यहां ₹20 से ₹200 तक के डिब्बे गिलास-कटोरी से लेकर ₹10 से ₹150 तक मिलने वाले प्लास्टिक के डिब्बे, बोतल, पट्टे, मग, बाल्टी लेने के लिए उत्साह नजर आया. इसके अलावा पूजन सामग्री और सूत से बने सामानों को भी महिलाओं ने दान करने के लिए खरीदा. जयपुर की महिलाओं के अनुसार मकर सक्रांति पर सुहागिन महिलाएं गरीब और दूसरी महिलाओं को सुहाग का सामान, बर्तन, पूजन सामग्री और प्लास्टिक के सामान देने की परंपरा रही है, जिसका वो सालों से निर्वहन कर रही हैं.

इसी के साथ मकर संक्रांति पर परस्पर स्नेह और मिठास के प्रतीक (Donating during Makar Sankranti) तिल और गुड़ से बने व्यंजन भी बनाए जाते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार लोग सूर्य देव की आराधना करते हैं. इस दिन पतंगबाजी भी करते हैं. इससे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है. सूर्य के राशि परिवर्तन के साथ ही मलमास भी खत्म हो जाता है. ऐसे में विवाह और दूसरे मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाएंगे.

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