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राजस्थान विश्वविद्यालय: प्रथम वर्ष में प्रमोट हुए स्वयंपाठी विद्यार्थियों को द्वितीय वर्ष में रेगुलर प्रवेश नहीं

कोरोना काल में बिना परीक्षा के द्वितीय वर्ष में प्रमोट किए गए प्रथम वर्ष के स्वयंपाठी विद्यार्थियों को इस बार द्वितीय वर्ष में रेगुलर स्टूडेंट के रूप में प्रवेश नहीं मिलेगा. राजस्थान विश्वविद्यालय ने यह फैसला लिया है.

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राजस्थान विश्वविद्यालय: प्रथम वर्ष में प्रमोट हुए स्वयंपाठी विद्यार्थियों को द्वितीय वर्ष में रेगुलर प्रवेश नहीं
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Published : Jan 29, 2021, 2:53 PM IST

जयपुर. कोरोना काल में बिना परीक्षा के द्वितीय वर्ष में प्रमोट किए गए प्रथम वर्ष के स्वयंपाठी विद्यार्थियों को इस बार द्वितीय वर्ष में रेगुलर स्टूडेंट के रूप में प्रवेश नहीं मिलेगा. राजस्थान विश्वविद्यालय की परीक्षा प्लानिंग एंड मॉनिटरिंग कमेटी (ईपीएमसी) की बैठक में यह फैसला लिया गया है. जबकि, इससे पहले प्रथम वर्ष के स्वयंपाठी विद्यार्थी यदि चाहते तो उन्हें द्वितीय वर्ष में रेगुलर स्टूडेंट के रूप में अंकों के आधार पर प्रवेश दिया जाता था.

जानकारी के अनुसार अब से पहले तक प्रथम वर्ष स्वयंपाठी विद्यार्थी के रूप में उत्तीर्ण करने वाले विद्यार्थियों को यह विकल्प मिलता था कि वह द्वितीय वर्ष में नियमित विद्यार्थी के रूप में प्रवेश ले सकते थे. हालांकि, इसके लिए प्रथम वर्ष में स्वयंपाठी विद्यार्थी के रूप में उसे 50-55 फीसदी अंक लाने जरूरी होते थे. इस साल कोरोना की वजह से केवल अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों की ही परीक्षा हो पाई है. प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को प्रमोट करके प्रमाण पत्र दिया गया है. जबकि द्वितीय वर्ष के विद्यार्थियों को प्रथम वर्ष के प्राप्तांकों के आधार पर प्रमोट किया गया है. ऐसे में इस साल प्रथम वर्ष के प्रमोटेड स्वयंपाठी विद्यार्थियों को द्वितीय वर्ष में नियमित विद्यार्थी के रूप में प्रवेश नहीं देने का फैसला लिया गया है.

यह भी पढ़ें: राष्ट्रपति के अभिभाषण से बजट सत्र 2021 की शुरुआत, राम मंदिर से लेकर धारा 370 रहे शामिल

राजस्थान विश्वविद्यालय की परीक्षा प्लानिंग एंड मॉनिटरिंग कमेटी के संयोजक प्रो. एसएल शर्मा का कहना है कि पहले कॉलेज में द्वितीय वर्ष में सीट खाली होने पर और स्वयंपाठी विद्यार्थियों के प्रथम वर्ष में न्यूनतम प्राप्तांक के आधार पर प्रवेश दे देते थे. लेकिन, इस बार ऐसा नहीं किया जाएगा.

जयपुर. कोरोना काल में बिना परीक्षा के द्वितीय वर्ष में प्रमोट किए गए प्रथम वर्ष के स्वयंपाठी विद्यार्थियों को इस बार द्वितीय वर्ष में रेगुलर स्टूडेंट के रूप में प्रवेश नहीं मिलेगा. राजस्थान विश्वविद्यालय की परीक्षा प्लानिंग एंड मॉनिटरिंग कमेटी (ईपीएमसी) की बैठक में यह फैसला लिया गया है. जबकि, इससे पहले प्रथम वर्ष के स्वयंपाठी विद्यार्थी यदि चाहते तो उन्हें द्वितीय वर्ष में रेगुलर स्टूडेंट के रूप में अंकों के आधार पर प्रवेश दिया जाता था.

जानकारी के अनुसार अब से पहले तक प्रथम वर्ष स्वयंपाठी विद्यार्थी के रूप में उत्तीर्ण करने वाले विद्यार्थियों को यह विकल्प मिलता था कि वह द्वितीय वर्ष में नियमित विद्यार्थी के रूप में प्रवेश ले सकते थे. हालांकि, इसके लिए प्रथम वर्ष में स्वयंपाठी विद्यार्थी के रूप में उसे 50-55 फीसदी अंक लाने जरूरी होते थे. इस साल कोरोना की वजह से केवल अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों की ही परीक्षा हो पाई है. प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को प्रमोट करके प्रमाण पत्र दिया गया है. जबकि द्वितीय वर्ष के विद्यार्थियों को प्रथम वर्ष के प्राप्तांकों के आधार पर प्रमोट किया गया है. ऐसे में इस साल प्रथम वर्ष के प्रमोटेड स्वयंपाठी विद्यार्थियों को द्वितीय वर्ष में नियमित विद्यार्थी के रूप में प्रवेश नहीं देने का फैसला लिया गया है.

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राजस्थान विश्वविद्यालय की परीक्षा प्लानिंग एंड मॉनिटरिंग कमेटी के संयोजक प्रो. एसएल शर्मा का कहना है कि पहले कॉलेज में द्वितीय वर्ष में सीट खाली होने पर और स्वयंपाठी विद्यार्थियों के प्रथम वर्ष में न्यूनतम प्राप्तांक के आधार पर प्रवेश दे देते थे. लेकिन, इस बार ऐसा नहीं किया जाएगा.

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