जयपुर. प्रदेश की सबसे बड़ी राजस्थान यूनिवर्सिटी में पिछले दस सालों से विदेशी स्टूडेंटों की संख्या कम हो रही है. इससे विवि की साख पर सवाल उठने लगे है. स्टूडेंटों की संख्या में आई गिरावट का मुख्य कारण बढ़ती फीस बताया जा रहा है.
वहीं पिछले दस सालों में आम विद्यार्थी से विदेशी विद्यार्थियों की फीस में 13 गुना इजाफा हुआ था. इस कारण विदेशी विद्यार्थियों ने राजस्थान यूनिवर्सिटी को दरकिनार कर दिया है. राजस्थान यूनिवर्सिटी की गिरती रैंकिंग और टॉप यूनिवर्सिटी में शुमार नहीं होना भी ये बड़ा कारण है. लेकिन हाल ही में जारी हुए राजस्थान यूनिवर्सिटी के प्रोस्पेक्टस में विदेशी छात्रों को लुभाने के लिए फीस में कटौती की गई है. वहीं हर साल बढ़ने वाली 10 प्रतिशत फीस को भी नजरअंदाज किया गया है.
ये है विदेशी छात्रों का साल 2018-19 का फीस स्ट्रक्चर
यूजी के लिए- 10,5000 रुपए प्रति वर्ष
पीजी के लिए- 1,75000 रुपए प्रति वर्ष
आम छात्र
यूजी के लिए- 5 से 6 हजार रुपए प्रति वर्ष
पीजी के लिए- 6 से 7 हजार रुपए प्रति वर्ष
विदेशी छात्रों का 2019-20 का फीस स्ट्रक्चर
यूजी के लिए- 70,000 रुपए प्रति वर्ष
पीजी के लिए- 1,40000 रुपए प्रति वर्ष
आम छात्र
यूजी के लिए- 6 से 8 हजार रुपए प्रति वर्ष
पीजी के लिए- 8 से 9 हजार रुपए प्रति वर्ष
वहीं छात्र नेता सज्जन सैनी ने बताया कि बढ़ती फीस के चलते पिछले दस सालों से यूनिवर्सटी में विदेशी विद्यार्थियों की संख्या कम हुई है. हाल ही प्रॉस्पेक्टस में गए साल की तुलना में फीस को कम किया गया है. लेकिन अभी भी फीस कई गुना ज्यादा है.
उधर, डीएसडब्ल्यू जीपी सिंह का कहना है कि राजस्थान और जयपुर में ही निजी यूनिवर्सिटी ज्यादा खुल गयी है, जिससे विद्यार्थियों का रुझान निजी विवि की ओर बढ़ रहा है. हालांकि अभी भी अन्य यूनिवर्सिटी से विवि की फीस 6 से 7 गुना अधिक है. कुलपति आरके कोठारी का कहना है कि विदेशी छात्रों की संख्या बढ़े इसको ध्यान में रखते हुए इस बार फीस में कमी की गई है. आगे और जरूरत पड़ी तो और भी कम की जाएगी.