जयपुर. राजस्थान में चुनावी गहमा-गहमी के बीच एक शर्मसार करने वाली और चिंताजनक खबर सामने आई है. दुष्कर्म के मामलों में राजस्थान लगातार चौथे साल देश में पहले पायदान पर है. साल 2022 में प्रदेश में दुष्कर्म के 5,399 मुकदमे दर्ज हुए हैं. यह आंकड़ा देश में सबसे ज्यादा है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ताजा रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है.
एनसीआरबी की रिपोर्ट बताती है कि राजस्थान में साल 2022 में दुष्कर्म के 5,399 मुकदमे दर्ज हुए हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में दुष्कर्म के 3,690, मध्य प्रदेश में 3,029 और महाराष्ट्र में इस तरह की घटनाओं के 2,904 मुकदमे दर्ज हुए हैं. इस तरह देखें तो इस मामले में राजस्थान देश में पहले, उत्तर प्रदेश दूसरे, मध्य प्रदेश तीसरे और महाराष्ट्र चौथे स्थान पर है.
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बीते साल के मुकाबले कम केस, फिर भी अव्वल : दुष्कर्म के आंकड़ों के लिहाज से यह लगातार चौथा साल है, जब राजस्थान में सबसे ज्यादा केस सामने आए हैं. एनसीआरबी की रिपोर्ट बताती है कि राजस्थान में साल 2019 में दुष्कर्म के 5,997, साल 2020 में 5,310, साल 2021 में 6,337 और साल 2022 में 5,399 केस दर्ज हुए हैं.
प्रदेश-राजधानी में महिलाओं संबंधी अपराध भी बढ़े : दुष्कर्म के साथ ही महिला उत्पीड़न के मामलों में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है. प्रदेश में साल 2022 में महिला उत्पीड़न के 45,058 मुकदमे दर्ज हुए हैं, जबकि साल 2021 में यह आंकड़ा 40,738 और 2020 में 34,535 रहा है. बात अगर राजधानी जयपुर की करें तो साल 2022 में महिला उत्पीड़न के 3,479 मुकदमे दर्ज हुए हैं, जबकि साल 2021 में राजधानी में महिला उत्पीड़न के 2,827 और साल 2020 में इस तरह के 2,369 मुकदमे दर्ज हुए थे.
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बढ़ते आंकड़ों के लिए इसको बता चुके जिम्मेदार : यह पहली बार नहीं है जब एनसीआरबी की रिपोर्ट में दुष्कर्म के सबसे ज्यादा मुकदमे राजस्थान में दर्ज होने की जानकारी सामने आई है. हालांकि, इस पर डीजीपी उमेश मिश्रा और खुद तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कह चुके हैं कि प्रदेश में हमने अनिवार्य एफआईआर की व्यवस्था कर रखी है. इसके कारण दर्ज मुकदमों की संख्या में इजाफा होता है. हालांकि, जांच में करीब 45 फीसदी मुकदमे झूठे पाए जाने की बात भी पुलिस कहती आई है.
भाजपा सरकार के लिए भी होगी बड़ी चुनौती : कांग्रेस के शासन में दुष्कर्म और महिला अपराधों में लगातार बढ़ोतरी का मुद्दा विपक्ष में रहते भाजपा ने जमकर भुनाया है. ज्यादातर मौकों पर भाजपा का स्थानीय नेतृत्व और केंद्रीय नेतृत्व इस मुद्दे पर सरकार को घेरता नजर आया है. अब जनता ने भाजपा को सत्ता की चाबी सौंपी है. भाजपा की नई सरकार के लिए लगातार बढ़ते इस आंकड़े को काबू में लाना बड़ी चुनौती साबित हो सकता है.